राजस्थान की सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि राज्य के 3,737 महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। भाजपा सरकार के 16 महीने बीत जाने के बावजूद शिक्षा मंत्री इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले पाए हैं। नतीजा यह रहा कि विद्यार्थियों का एक पूरा शैक्षणिक सत्र बिना पढ़ाई के बर्बाद हो गया। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने सरकार पर शिक्षा व्यवस्था को पंगु बनाने का आरोप लगाते हुए इसे बेहद असंवेदनशीलता बताया है। स्कूलों में शिक्षकों के 17,500 पद खाली होने, मूलभूत सुविधाओं, किताबों, यूनिफॉर्म और शिक्षा में नवाचार की कमी ने सरकार की नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
'शिक्षा व्यवस्था को पंगु बनाने पर तुली सरकार'
पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने राजस्थान पत्रिका की खबर शेयर करते हुए कहा कि भाजपा सरकार राज्य की शिक्षा व्यवस्था को पंगु बनाने पर तुली हुई है, शिक्षा के प्रति सरकार का यह रवैया बेहद असंवेदनशीलता को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि विभाग की अक्षमता देखिए.. पूरा सत्र बिना शिक्षकों के निकल गया, बच्चों को बिना पढ़ाई के बोर्ड परीक्षा दिलवाई और अब राज्य स्तरीय वार्षिक परीक्षा भी करवाने जा रहे हैं। परीक्षा के 8 महीने बाद भी महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों की तैनाती न होना यह दर्शाता है कि इस सरकार की न तो नीति सही है, न ही नीयत।
इस सरकार में स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं
शिक्षा में बुनियादी ढांचे के लिए कोई बजट नहीं है
शिक्षा में नवाचार के लिए कोई विचार नहीं है
बच्चों के लिए यूनिफॉर्म और किताबें नहीं हैं
बच्चों के खेलने के लिए स्पोर्ट्स किट नहीं है
शिक्षा में राज्य को नंबर-1 बनाने की कोई नीति नहीं है
भाजपा सरकार में अगर कुछ है.. तो सिर्फ हल्की-फुल्की बयानबाजी, ओछी टिप्पणियां और पिछली सरकार को कोसना।
यह है पूरा मामला
राज्य सरकार द्वारा संचालित 3737 स्वामी विवेकानंद मॉडल और महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों को अभी तक नहीं भरा गया है। इन विद्यालयों में चयनित शिक्षक साढ़े तीन माह बाद भी जिला आवंटन व पदस्थापन का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षा विभागीय रजिस्ट्रार बीकानेर द्वारा प्रदेश में 25 अगस्त 2024 को परीक्षा आयोजित की गई थी। लेकिन 10 प्रतिशत बोनस अंकों को लेकर मामला कोर्ट में पहुंचने से परिणाम में देरी हुई। अंतत: 23 दिसंबर 2024 को परिणाम घोषित किया गया। इस बीच राज्य सरकार ने 50 जिलों की संख्या घटाकर 41 कर दी, जिससे पूर्व में लिए गए जिला विकल्प बदल गए। शिक्षा विभाग ने चयनित शिक्षकों से 13 से 16 जनवरी 2025 के बीच दोबारा नए विकल्प भरवाए। इसके बाद 3 जनवरी 2025 को उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया गया। फिर भी प्रदेश के 3 हजार 737 अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में चयनित होने के बाद भी हजारों शिक्षकों का पदस्थापन लंबित है।
बिना पढ़ाई के देंगे वार्षिक परीक्षा
इन स्कूलों में शिक्षकों के 17,500 पद खाली हैं, जबकि छात्र बिना पढ़ाई के ही बोर्ड परीक्षाएं दे चुके हैं। अब 24 अप्रैल से प्रदेश में राज्य स्तरीय वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं, लेकिन इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को अभी तक शिक्षक नहीं मिले हैं। बिना पढ़ाई के छात्र वार्षिक परीक्षा कैसे देंगे?
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