विजयादशमी के अवसर पर जयपुर में कई स्थानों पर रावण दहन कार्यक्रम आयोजित किए गए। इनमें सबसे प्रमुख और ऐतिहासिक आयोजन आदर्श नगर के दशहरा मैदान में होता है। इस मैदान में करीब 65 साल से लगातार रावण दहन का कार्यक्रम किया जा रहा है, जो शहर के दशहरा उत्सव का मुख्य आकर्षण बन चुका है।
विशेष बात यह है कि दशहरा मैदान में रावण और कुंभकर्ण के पुतले तैयार करने की जिम्मेदारी मथुरा के एक मुस्लिम परिवार के पास है। यह परंपरा पांच पीढ़ियों से लगातार चली आ रही है, जिससे यह आयोजन सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि गंगा-जमुना तहजीब का अनोखा उदाहरण बन गया है। इस परिवार ने दशकों से पुतलों को तैयार करने की कला को जीवित रखा है और दशहरा मैदान की पहचान का हिस्सा बन गया है।
जिले के स्थानीय प्रशासन और आयोजकों के अनुसार, दशहरा मैदान में आयोजित कार्यक्रम में हजारों लोग भाग लेते हैं। रावण दहन के अवसर पर पुतलों को सजाने और तैयार करने में महीनों की मेहनत लगती है। इस दौरान आयोजन स्थल पर सुरक्षा व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण और फायर सेफ्टी के विशेष इंतजाम किए जाते हैं।
स्थानीय लोग और पर्यटक दशहरा मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। आयोजन के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियां, रामलीला और अन्य मनोरंजन कार्यक्रम भी होते हैं, जो पूरे उत्सव को और रंगीन बना देते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की परंपरा भारतीय समाज में सांस्कृतिक सह-अस्तित्व और सामुदायिक सहयोग का प्रतीक है। मुस्लिम परिवार का दशकों से रावण दहन के पुतले बनाना यह दिखाता है कि धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के बीच कैसे समन्वय और सहिष्णुता का उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है।
इस आयोजन के जरिए नए पीढ़ियों को भी यह संदेश मिलता है कि धार्मिक उत्सव सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह समाज में भाईचारे, सह-अस्तित्व और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देने का माध्यम भी हैं।
दशहरा मैदान के आयोजक बताते हैं कि हर साल रावण दहन के दिन विशेष रूप से बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षा और मनोरंजन कार्यक्रम भी रखे जाते हैं। इस तरह, यह आयोजन केवल उत्सव ही नहीं बल्कि शिक्षा और संस्कृति का संगम भी बन गया है।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान भी इस परंपरा को बनाए रखा गया और सभी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित किया गया। अब जबकि सार्वजनिक आयोजन फिर से शुरू हो चुके हैं, आयोजन स्थल पर विशेष सतर्कता और सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
इस प्रकार, जयपुर का आदर्श नगर दशहरा मैदान न केवल रावण दहन का ऐतिहासिक स्थल बन गया है, बल्कि यह सांस्कृतिक सह-अस्तित्व और पांच पीढ़ियों की कला परंपरा का प्रतीक भी बन गया है। यहां का दशहरा समारोह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी शहर के लिए गर्व का कारण बनता है।
You may also like
अब चूहे आपके घर में कभी नहीं` घुसेंगे – जानिए चूहे भगाने का अब तक का सबसे कारगर और रामबाण देसी उपाय एक बार आज़माकर देखिए
"Dussehra 2025" दशहरा के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, शत्रुओं से मिलेगी मुक्ति
रास्ते में पड़ा मिला जेम क्वालिटी का लगभग 25 लाख का हीरा, गरीब की किस्मत चमकी
देश में यहां स्थित है दुनिया का पहला गायत्री मंदिर, यहां लिखे हैं 2400 करोड़ हस्तलिखित गायत्री मंत्र, वीडियो देख आंखों पर नहीं होगा यकीन
अब से टोल टैक्स देना बंद! फ्री` पास ऐसे बनवाएं, फिर टोल पर पैसे नहीं देने पड़ेंगे