राजस्थान के भाजपा विधायक कंवरलाल मीना जेल पहुंच गए हैं। बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से विधायक कंवरलाल मीना को अपने से जुड़े एक आपराधिक मामले में सुप्रीम कोर्ट से झटका मिलने के बाद कोर्ट में सरेंडर करना पड़ा। इसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है। मीना को तीन साल की सजा सुनाई गई है और यह 20 साल पुराने मामले में है। मीना को 20 साल पहले उपसरपंच चुनाव में चुनाव अधिकारी (एसडीएम) पर पिस्तौल तानने के आरोप में सजा सुनाई गई है।
क्या है 20 साल पुराना मामला?
कंवरलाल मीना ने इस चुनाव में दोबारा मतदान की मांग करते हुए एसडीएम के सिर पर पिस्तौल तान दी थी। लेकिन यह दबंगई उन्हें महंगी पड़ गई है। कंवरलाल मीना की छवि शुरू से ही एक दबंग नेता की रही है। हिंदू संगठनों से जुड़े कंवरलाल मीना मूल रूप से बारां से सटे कोटा संभाग के झालावाड़ जिले के मनोहरथाना क्षेत्र के अकलेरा के रहने वाले हैं। मीना पहली बार 2008 में भाजपा के टिकट पर मनोहरथाना से विधायक चुने गए थे। विधायक चुने जाने से करीब तीन साल पहले वर्ष 2005 में क्षेत्र की खाताखेड़ी ग्राम पंचायत के उपसरपंच चुनाव के दौरान उन्होंने अपना दबदबा दिखाया था। चुनाव में विवाद होने पर कंवरलाल मीना ने तत्कालीन एसडीएम रामनिवास पर पिस्तौल तानकर दोबारा मतदान कराने की मांग की थी।
एडीजे कोर्ट ने सुनाई थी सजा
विवाद बढ़ने पर मीना ने सरकारी वीडियोग्राफी की कैसेट भी तोड़ दी थी। इसके बाद स्थानीय थाने में मीना के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। बाद में मामला कोर्ट में चला गया। इस संबंध में अकलेरा की एडीजे कोर्ट ने दिसंबर 2020 में कंवरलाल मीना को मामले में दोषी करार देते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद एडीजे कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मीना ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यह मामला भी राजस्थान हाईकोर्ट में पांच साल तक चला था। फिर हाल ही में हाईकोर्ट ने निचली अदालत द्वारा दी गई सजा के फैसले को बरकरार रखा था।
कैसे खतरे में है कंवर लाल मीना की विधानसभा सदस्यता
जेल जाने के बाद अब मीना की विधानसभा सदस्यता खतरे में है। इसके पीछे वजह जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 है। इसके तहत 2 साल से ज़्यादा की सज़ा पाए किसी भी नेता को विधानसभा या संसद की सदस्यता नहीं मिलती। कांग्रेस पहले भी इस मुद्दे पर बीजेपी पर हमला बोल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद वह चुप हो गई थी। लेकिन अब यह मुद्दा फिर से तूल पकड़ने की संभावना है। कांग्रेस उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग कर रही है। इसके लिए वह राहुल गांधी के मामले का हवाला दे रही है।
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