पब्लिक अगेंस्ट करप्शन (PAC) संस्था की याचिका पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने राजकॉम्प के अंतर्गत चल रहे लीगल मैट्रोलॉजी और ई.पी.डी.एस प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़ों के मामलों में कार्यवाही न करने और अधिकारियों को बचाने पर नोटिस जारी किया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि संबंधित विभागों में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और वित्तीय अनियमितताएं हुई हैं, बावजूद इसके अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। संस्था ने न्यायालय से मांग की थी कि इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाए और दोषियों को सजा दिलाई जाए।
राजस्थान हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अधिकारियों और राजकॉम्प को नोटिस जारी किया और उन्हें याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़ों के मामलों में अधिकारियों को बचाना कतई स्वीकार्य नहीं है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम राजस्थान में सरकारी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है। उच्च न्यायालय का नोटिस यह संकेत देता है कि बड़े पैमाने पर होने वाले धोखाधड़ी मामलों की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
राजकॉम्प के अधिकारियों ने अभी तक इस नोटिस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं, पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था ने कहा कि न्यायालय की कार्रवाई से सत्ता में बैठे अधिकारियों और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त संदेश जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि लीगल मैट्रोलॉजी और ई.पी.डी.एस प्रोजेक्ट जैसे सरकारी कार्यक्रमों में हुए करोड़ों रुपए के फर्जीवाड़ों की निष्पक्ष जांच होने से राजस्थान के सरकारी तंत्र में विश्वास बहाल होगा और भविष्य में इस तरह की अनियमितताओं पर रोक लगेगी।
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