बिलियनेयर गौतम अडानी के खिलाफ अमेरिका में लगे धोखाधड़ी के मामले को सुलझाने की कोशिशें फिलहाल रुक गई हैं। यह बात उन लोगों ने कही जो इस मामले से जुड़े हैं। इन रुकी हुई बातचीतों की वजह से अडानी ग्रुप की दुनिया भर में बढ़ती योजनाओं को काफी नुकसान हो रहा है।
पिछले कुछ महीनों में अडानी के प्रतिनिधि और अमेरिकी अधिकारी के बातचीत में ठहराव आ गया है। इसका कारण अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते तनाव हैं, जैसे कि ट्रेड एग्रीमेंट विवाद, रूस से क्रूड ऑयल की खरीद और भारत-पाकिस्तान के बीच के हाल का संघर्ष। ट्रंप प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने अडानी के वकीलों को साफ बता दिया है कि जब तक दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण रहेंगे, तब तक आरोपों को खत्म करने का कोई मौका नहीं मिलेगा।
फेडरल प्रॉसिक्यूटर इस आपराधिक मामले को गंभीरता से आगे बढ़ा रहे हैं, जो 2024 के अंत में सामने आया था। अडानी ग्रुप और व्हाइट हाउस ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया, जबकि न्याय विभाग ने भी टिप्पणी करने से मना कर दिया है।
बातचीत रुकी और अडानी की मुश्किलें बढ़ीं
इस साल की शुरुआत में अडानी के वकील अमेरिका के अधिकारियों से बात कर रहे थे ताकि इस मामले को सुलझाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह मामला ट्रंप की नीतियों से मेल नहीं खाता, इसलिए इसे फिर से देखा जाना चाहिए। लेकिन अब बातचीत थम गई है, जो अडानी पक्ष के लिए निराशाजनक है। अडानी अमेरिका नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें गिरफ्तारी का खतरा है। हालांकि अडानी ग्रुप ने कुछ पैसा जुटाया है और भारत में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए बोली भी लगाई है, लेकिन रिश्वतखोरी का केस अभी भी उनके लिए एक बड़ी परेशानी बना हुआ है।
अब भारत-अमेरिका संबंधों में नरमी
अमेरिका और भारत के बीच कुछ समय पहले तनाव बढ़ गया था, जैसे अमेरिका ने भारत से आने वाले प्रोडक्ट पर 50% टैक्स (टैरिफ) लगा दिया था। लेकिन अब यह तनाव थोड़ा कम होता दिख रहा है। ट्रंप ने हाल ही में नरेंद्र मोदी को 'महान प्रधानमंत्री' और दोस्त कहा है। ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत का अमेरिकी राजदूत बनने के लिए चुना है, लेकिन अभी उन्हें सेनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है।
अडानी के खिलाफ अमेरिका की SEC ने शुरू किया एक सिविल केस
अडानी के खिलाफ अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने भी एक सिविल केस शुरू किया है। यह केस पिछले साल के अंत में न्याय विभाग के आरोपों के साथ आया था। अगस्त में SEC के वकील ने कहा था कि वे अभी तक अडानी परिवार को कानूनी डॉक्यूमेंट नहीं भेज पाए हैं और इसके लिए उन्होंने भारत की मदद भी मांगी है।
नवंबर में अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाए कि अडानी और उनके साथियों ने भारत में सोलर पावर के कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए 250 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी की योजना बनाई। अडानी ग्रुप ने हमेशा से इन आरोपों का खंडन किया है। अब तक गौतम अडानी या बाकी आरोपी अदालत में नहीं गए हैं।
इस केस का अडानी ग्रुप के व्यापार और निवेश पर असर
फ्रांस की कंपनी Total Energies ने कहा है कि जब तक इन आरोपों का साफ जवाब नहीं मिलता, वे अडानी ग्रुप को कोई नया पैसा नहीं देंगी। इसके अलावा, अडानी ग्रुप ने केन्या में एक बड़ा एयरपोर्ट और पावर प्रोजेक्ट भी खो दिया है। अमेरिका में 10 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना भी अभी रुकी हुई है।
अमेरिका-भारत तनाव से बड़े उद्योगपतियों की मुश्किलें
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच, देश के दो सबसे अमीर आदमी- गौतम अडानी और मुकेश अंबानी कुछ मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ट्रंप के कुछ सहयोगियों ने मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज पर आरोप लगाए हैं कि वे रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदकर युद्ध से फायदा उठा रहे हैं। इसी वजह से, पिछले महीने अंबानी परिवार ने न्यूयॉर्क में एक बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रोक दिया, जिसे नीता अंबानी होस्ट करने वाली थीं।
दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री मोदी ने यह संकेत दिए हैं कि भारत रूस और चीन के करीब जा रहा है। गौतम अडानी ने भी इस साल चीन का दौरा किया था और वहां की बड़ी इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी BYD के साथ लिथियम-आयन बैटरियों की टेक्नोलॉजी पर काम करने की योजना बना रहे हैं।
पिछले कुछ महीनों में अडानी के प्रतिनिधि और अमेरिकी अधिकारी के बातचीत में ठहराव आ गया है। इसका कारण अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते तनाव हैं, जैसे कि ट्रेड एग्रीमेंट विवाद, रूस से क्रूड ऑयल की खरीद और भारत-पाकिस्तान के बीच के हाल का संघर्ष। ट्रंप प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने अडानी के वकीलों को साफ बता दिया है कि जब तक दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण रहेंगे, तब तक आरोपों को खत्म करने का कोई मौका नहीं मिलेगा।
फेडरल प्रॉसिक्यूटर इस आपराधिक मामले को गंभीरता से आगे बढ़ा रहे हैं, जो 2024 के अंत में सामने आया था। अडानी ग्रुप और व्हाइट हाउस ने इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया, जबकि न्याय विभाग ने भी टिप्पणी करने से मना कर दिया है।
बातचीत रुकी और अडानी की मुश्किलें बढ़ीं
इस साल की शुरुआत में अडानी के वकील अमेरिका के अधिकारियों से बात कर रहे थे ताकि इस मामले को सुलझाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह मामला ट्रंप की नीतियों से मेल नहीं खाता, इसलिए इसे फिर से देखा जाना चाहिए। लेकिन अब बातचीत थम गई है, जो अडानी पक्ष के लिए निराशाजनक है। अडानी अमेरिका नहीं जा सकते क्योंकि उन्हें गिरफ्तारी का खतरा है। हालांकि अडानी ग्रुप ने कुछ पैसा जुटाया है और भारत में बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए बोली भी लगाई है, लेकिन रिश्वतखोरी का केस अभी भी उनके लिए एक बड़ी परेशानी बना हुआ है।
अब भारत-अमेरिका संबंधों में नरमी
अमेरिका और भारत के बीच कुछ समय पहले तनाव बढ़ गया था, जैसे अमेरिका ने भारत से आने वाले प्रोडक्ट पर 50% टैक्स (टैरिफ) लगा दिया था। लेकिन अब यह तनाव थोड़ा कम होता दिख रहा है। ट्रंप ने हाल ही में नरेंद्र मोदी को 'महान प्रधानमंत्री' और दोस्त कहा है। ट्रंप ने सर्जियो गोर को भारत का अमेरिकी राजदूत बनने के लिए चुना है, लेकिन अभी उन्हें सेनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है।
अडानी के खिलाफ अमेरिका की SEC ने शुरू किया एक सिविल केस
अडानी के खिलाफ अमेरिका की सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने भी एक सिविल केस शुरू किया है। यह केस पिछले साल के अंत में न्याय विभाग के आरोपों के साथ आया था। अगस्त में SEC के वकील ने कहा था कि वे अभी तक अडानी परिवार को कानूनी डॉक्यूमेंट नहीं भेज पाए हैं और इसके लिए उन्होंने भारत की मदद भी मांगी है।
नवंबर में अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाए कि अडानी और उनके साथियों ने भारत में सोलर पावर के कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए 250 मिलियन डॉलर की रिश्वतखोरी की योजना बनाई। अडानी ग्रुप ने हमेशा से इन आरोपों का खंडन किया है। अब तक गौतम अडानी या बाकी आरोपी अदालत में नहीं गए हैं।
इस केस का अडानी ग्रुप के व्यापार और निवेश पर असर
फ्रांस की कंपनी Total Energies ने कहा है कि जब तक इन आरोपों का साफ जवाब नहीं मिलता, वे अडानी ग्रुप को कोई नया पैसा नहीं देंगी। इसके अलावा, अडानी ग्रुप ने केन्या में एक बड़ा एयरपोर्ट और पावर प्रोजेक्ट भी खो दिया है। अमेरिका में 10 बिलियन डॉलर का निवेश करने की योजना भी अभी रुकी हुई है।
अमेरिका-भारत तनाव से बड़े उद्योगपतियों की मुश्किलें
भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव के बीच, देश के दो सबसे अमीर आदमी- गौतम अडानी और मुकेश अंबानी कुछ मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। ट्रंप के कुछ सहयोगियों ने मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज पर आरोप लगाए हैं कि वे रूस से सस्ता क्रूड ऑयल खरीदकर युद्ध से फायदा उठा रहे हैं। इसी वजह से, पिछले महीने अंबानी परिवार ने न्यूयॉर्क में एक बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रोक दिया, जिसे नीता अंबानी होस्ट करने वाली थीं।
दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री मोदी ने यह संकेत दिए हैं कि भारत रूस और चीन के करीब जा रहा है। गौतम अडानी ने भी इस साल चीन का दौरा किया था और वहां की बड़ी इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी BYD के साथ लिथियम-आयन बैटरियों की टेक्नोलॉजी पर काम करने की योजना बना रहे हैं।
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