एक खुशहाल शादीशुदा जीवन के लिए पति और पत्नी दोनों का संतुष्ट रहना आवश्यक है। यदि पति दुखी होता है, तो पत्नी भी दुखी हो जाती है। इसी तरह, जब पति खुश होता है, तो पत्नी के चेहरे पर भी मुस्कान बनी रहती है।
पत्नी के सुख-दुख का पति के साथ गहरा संबंध होता है। जब पत्नी दुखी होती है, तो पति का कर्तव्य है कि वह उसे सहारा दे और उसके दुख को दूर करने का प्रयास करे। इसी प्रकार, जब पति दुखी होता है, तो पत्नी को उसकी भावनाओं को समझना चाहिए और उसे खुश करने का प्रयास करना चाहिए।
यदि पति किसी चीज की मांग करता है, तो पत्नी का कर्तव्य है कि वह उसे बिना किसी संकोच के प्रदान करे। आचार्य चाणक्य ने भी इस विषय पर अपने विचार साझा किए हैं।
चाणक्य ने कहा है कि एक सुखी वैवाहिक जीवन के लिए पति-पत्नी के बीच प्रेम होना अनिवार्य है। यदि प्रेम की कमी होती है, तो परिवार बिखर जाता है। लेकिन जब प्रेम होता है, तो उनका रिश्ता स्वर्ग के समान होता है।
यदि पति उदास है और उसे प्रेम की आवश्यकता है, तो पत्नी को मुंह नहीं मोड़ना चाहिए। उसे यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि पति किस चीज की चाह रखता है।
जब घर में खुशियों की कमी होती है, तो पुरुष बाहर की ओर देखने लगते हैं। कोई भी पत्नी ऐसी स्थिति नहीं चाहती। इसलिए, यह आवश्यक है कि पत्नी अपने पति को वह प्रेम दे, जिसकी उसे आवश्यकता है।
पति का प्यार पाना उसका अधिकार है। जब वह प्यार की मांग करे, तो पत्नी को इनकार नहीं करना चाहिए। उसे अपने पति की हर इच्छा को पूरा करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
यदि पत्नी अपने पति को खुश रखेगी, तो उनके घर में दुख का प्रवेश नहीं होगा। प्रेम पति-पत्नी के बीच झगड़ों को भी समाप्त कर देता है और उनके रिश्ते को मजबूत बनाता है। इसलिए, अगली बार जब पति प्यार की मांग करे, तो उसे निराश न करें।
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