रेयर अर्थ
चीन वर्तमान में रेयर अर्थ मेग्नेंट्स के क्षेत्र में एकाधिकार रखता है और उसने वैश्विक आपूर्ति पर रोक लगा दी है, जिससे भारत के ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक उद्योग प्रभावित हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच आपूर्ति को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन भारत ने इस समस्या का समाधान निकालने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना बनाई है। इस योजना के तहत, सरकार 7,350 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, यह योजना घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए बनाई गई है। यह कदम चीन द्वारा अप्रैल में निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद उठाया गया है, जिससे भारत के उद्योगों को आपूर्ति में कमी आई है.
इस पहल का उद्देश्य 6,000 टन वार्षिक उत्पादन क्षमता वाला एक स्वदेशी निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है। आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, यह योजना सात वर्षों तक चलने की उम्मीद है। इसका लक्ष्य एनडीपीआर (नियोडिमियम-प्रेजोडिमियम) ऑक्साइड को एनडीएफईबी (नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन) मेग्नेंट्स में परिवर्तित करने वाली एक घरेलू आपूर्ति श्रृंखला का निर्माण करना है.
ये मेग्नेंट्स ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, पवन ऊर्जा और रक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आरईपीएम उत्पादन में खनन, प्रोसेसिंग, रिफाइनिंग और अंततः मेग्नेट निर्माण शामिल हैं। प्रस्तावित योजना इन प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक सुविधाओं को प्रोत्साहित करेगी, जबकि भारत में वर्तमान में इन चरणों को पूरा करने के लिए आवश्यक तकनीक और बुनियादी ढांचे की कमी है.
मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी और पात्रता
इस योजना के तहत, सरकार पांच इंटीग्रेटेड आरईपीएम मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स के निर्माण को समर्थन प्रदान करेगी, जिनमें से प्रत्येक की क्षमता 1,200 टन प्रति वर्ष होगी। आवेदक न्यूनतम 600 टन प्रति वर्ष और अधिकतम 1,200 टन प्रति वर्ष के लिए बोली लगा सकते हैं। चयनित कंपनियां दो प्रकार की वित्तीय सहायता के लिए पात्र होंगी: (क) सिंटर्ड एनडीएफईबी मैग्नेट की बिक्री पर सेल बेस्ड इंसेंटिव्स; (ख) भारत में इंटीग्रेटेड एनडीएफईबी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए पूंजीगत सब्सिडी। वर्तमान में, भारत अपनी लगभग सभी आरईपीएम आवश्यकताओं का आयात करता है, और घरेलू मांग लगभग 4,010 टन प्रति वर्ष है, जो 2030 तक लगभग दोगुनी होने की उम्मीद है.
भारत में रेयर अर्थ की बढ़ती मांग
सेक्टर्स के नाम | 2022 में डिमांड (प्रति वर्ष टन में) | 2025 में डिमांड (प्रति वर्ष टन में) | 2030 में डिमांड (प्रति वर्ष टन में) |
ईवी | 400 | 1200 | 3250 |
इंडस्ट्रीयल मोटर्स | 200 | 325 | 500 |
बीएलडीसी फैंस | 120 | 490 | 980 |
स्र्माफोन एंड कंप्यूटर्स | 120 | 380 | 600 |
सोलर पावर्ड पंप | 70 | 110 | 170 |
एलीवेटर मोटर्स एंड एस्क्लेटर मोटर्स | 10 | 30 | 100 |
कंज्यूमर इलेक्ट्रोनिक्स आदि | 150 | 425 | 820 |
विंड टर्बाइन | 430 | 1050 | 1800 |
सोर्स: आईआरईएल |
बिडिंग और चयन प्रक्रिया
भारतीय हैवी इंडस्ट्री मंत्रालय 5 इंटीग्रेटेड सिंटर्ड आरईपीएम मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स के लिए बोलियां आमंत्रित करने के लिए एक ग्लोबल टेंडर इंक्वायरी (जीटीई) के माध्यम से प्रस्ताव हेतु अनुरोध (आरएफपी) जारी करेगा। इस प्रक्रिया में एक पारदर्शी न्यूनतम लागत प्रणाली का उपयोग किया जाएगा जिसमें “दो-एनवलप” संरचना – तकनीकी और वित्तीय बोलियां – शामिल होंगी। केवल तकनीकी राउंड में योग्य आवेदकों की वित्तीय बोलियां खोली जाएंगी.
वित्तीय बोली में, आवेदकों को प्रति किलोग्राम बिक्री इंसेंटिव का अमाउंट बताना होगा, जिसकी अधिकतम सीमा 2,150 रुपये प्रति किलोग्राम सिंटर्ड एनडीएफईबी मेग्नेट है। यह मानते हुए कि औसत बिक्री मूल्य 5,000 रुपये प्रति किलोग्राम है और अंतरराष्ट्रीय बाजार के मुकाबले 43 प्रतिशत मूल्य अंतर है.
एक दस्तावेज़ में कहा गया है कि सबसे कम इंसेंटिव राशि वाले 5 आवेदक योजना के तहत अपनी आवंटित क्षमता के लिए इंसेंटिव के पात्र होंगे। भारत में REPM कच्चे माल की घरेलू आपूर्ति सीमित बनी हुई है, और प्रतिभागियों को अपने अधिकांश NdPr ऑक्साइड को स्वतंत्र रूप से प्राप्त करना होगा.
You may also like
पतंजलि की नई रिसर्च: गंजेपन का आयुर्वेदिक इलाज संभव
भारत सरकार का नया ओवरसीज मोबिलिटी विधेयक, प्रवासी भारतीयों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करेगा
ट्रम्प ने ईरान पर हुए हमलों को बताया गाजा शांति समझौते का निर्णायक कारक
मप्र ट्रैवल मार्ट 2025 : मध्य प्रदेश में लगेगा पर्यटन का महाकुंभ, भोपाल में 11 से 13 अक्टूबर तक होगा आयोजन
ट्रंप ने कहा- गाजा के सभी बंधक सोमवार या मंगलवार को होंगे रिहा, 'स्थायी शांति' की उम्मीद जताई