नई दिल्ली: लगातार हो रही बारिश ने राजधानी में एक और त्रासदी ला दी। दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में शुक्रवार दोपहर को हुमायूं के मकबरे के पास मौजूद पत्ते शाह की दरगाह की छत और दीवार गिर गई। इस हादसे में 6 लोगों की मौत हो गई। दोपहर के वक्त दरगाह में बने दो कमरों की छत और दीवार अचानक भरभराकर गिर गए। मलबे में मौलवी समेत 10 लोग दब गए। लोगों ने पुलिस और दमकलकर्मियों की मदद से सभी को निकालकर अस्पताल भेजा। लेकिन 6 लोग तब तक दम तोड़ चुके थे, वहीं चार घायलों का एम्स के ट्रॉमा सेंटर और एक का आरएमएल में इलाज चल रहा है।
हादसे के वक्त मौलवी कमरे में बैठे लोगों को तावीज दे रहे थे और बाहर बारिश का पानी लगातार इमारत की नींव को खोखला कर रहा था। शुक्रवार शाम निजामुद्दीन स्थित ऐतिहासिक दरगाह शरीफ पत्ते वाली परिसर में मौलवी के लिए बने दो कमरों की दीवार और छत ढह गई, जिससे 6 लोगों की मौके पर मौत हो गई और पांच गंभीर रूप से घायल हो गए।
ऐसे हुआ हादसा
दरगाह के पीछे बने एक बड़े गड्ढे में पिछले कई दिनों से बारिश का पानी जमा हो रहा था। यह गड्ढा और भी खतरनाक हो गया क्योंकि इसकी दीवारें मिट्टी की थीं, जो धीरे-धीरे ढहने लगीं। अचानक जोरदार आवाज के साथ दीवार और छत गिर गई, जिससे मौलवी और कमरे में मौजूद सभी लोग मलबे में दब गए।
पुलिस के अनुसार, मृतकों में 56 वर्षीय मीना अरोड़ा, 24 वर्षीय मोनुष्का अरोड़ा, 40 वर्षीय अनीता सैनी, 35 वर्षीय मोइनुद्दीन, 79 वर्षीय स्वरूप चंद और आरिफ शामिल हैं। घायलों में शमीम, आर्यन, रशद परवीन, गुड़िया परवीन और रानी का नाम शामिल है, जिनका अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
स्थानीय मदद और पुलिस की तत्परता
हादसे के बाद एसएचओ निजामुद्दीन और कांस्टेबल राजेंद्र सबसे पहले मौके पर पहुंचे। उन्होंने हुमायूं मकबरे की सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों और स्थानीय लोगों की मदद से मलबे से तीन लोगों को बाहर निकाला। करीब 15-20 मिनट बाद दमकल, एनडीआरएफ और डॉग स्क्वाड की टीमें पहुंचीं और ढाई घंटे के ऑपरेशन के बाद सभी को बाहर निकाला गया।
50 साल पुरानी संरचना, अधूरा पुनर्निर्माण
दरगाह से जुड़े लोगों के अनुसार, मौलवी के लिए बने ये कमरे करीब 50 साल पुराने थे। दीवारें और छत मिट्टी व ईंट से बनी थी। लगभग 25 साल पहले इनके पुनर्निर्माण की कोशिश की गई, लेकिन एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) ने रोक लगा दी, क्योंकि यह हुमायूं टॉम्ब के संरक्षित क्षेत्र के भीतर आता था। तब से इनमें कोई बड़ी मरम्मत नहीं हुई, जिससे संरचना बेहद कमजोर हो गई थी।
शुक्रवार की भीड़ बनी आफत
दरगाह पर शुक्रवार को विशेष रूप से बड़ी संख्या में लोग मन्नत मांगने और तावीज लेने आते हैं। हादसे के समय भी मौलवी के कमरे में 10 से ज्यादा लोग मौजूद थे। लगातार बारिश और भीड़ के भार ने पहले से कमजोर संरचना को और दबाव में ला दिया।
पुलिस ने शुरू की जांच
संयुक्त पुलिस उपायुक्त (दक्षिणी रेंज) एसके जैन ने बताया कि पुलिस ने दरगाह के संचालक को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है और सीसीटीवी फुटेज जब्त कर लिए गए हैं। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के डीएम ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह हिस्सा अतिक्रमण हो सकता है। जांच में पुष्टि होने पर कड़ी कार्रवाई होगी।
क्या-क्या वजहें
रखरखाव की कमी
लंबे समय से मरम्मत नहीं हुई।
भीड़ का दबाव
बारिश के दिन जुम्मे की भीड़ ने वजन बढ़ा दिया
मौसम का असर
लगातार बारिश ने मिट्टी की दीवारों को ढहा दिया
क्या बोले मौके पर मौजूद लोगसात दिनों में 16 मौतें
दिल्ली में पिछले सात दिनों से लगातार हो रही बारिश ने अब तक 16 लोगों की जान ले ली है। नौ अगस्त को जैतपुर में समाधि स्थल की दीवार गिरने से 7 लोगों की मौत हुई थी। गुरुवार को कालकाजी में पेड़ गिरने से एक बाइक सवार की मौत हुई, जबकि वसंत विहार में दीवार गिरने से दो बच्चे मारे गए। अब निजामुद्दीन हादसा इस सूची में नया जुड़ाव है।
क्या बोले मौके पर मौजूद लोग
मौजिम, प्रत्यक्षदर्शी- जब हादसा हुआ, उससे थोड़ी देर पहले तक मैं भी उसी कमरे में ही था। मैं मौलवी शमीम अख्तर से मिलकर कमरे से बाहर आ रहा था कि अचानक कमरे की छत भरभराकर गिर गई। अगर एक सेकंड की भी देर हुई होती तो मेरी भी जान चली जाती।
गीता, अनुयायी- मैं अक्सर दुआ पढ़ने यहां आती हूं। बारिश हुई थी, जिस वजह से मैं भी बाकी लोगों के साथ कमरे में चली गई थी। फिर मैं बाहर आ गई। मेरे साथ आई एक महिला अंदर मलबे में दब गई थी। उनका पता नहीं चल पाया है कि वह किस स्थिति में हैं।
निर्मल कुमार, एएसआई के स्मारक में तैनात सुरक्षाकर्मी- जैसे ही दीवार और छत गिरी वैसे ही यहां का नजारा बदल गया था। लोग इधर से उधर भाग रहे थे। कुछ लोगों को निकालने में मैंने भी मदद की। हादसा इतना भयानक था कि लोग अंदाजा नहीं लगा पा रहे थे कि कहां से अंदर जाएं।
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