तिरुवनंतपुरम , 4 अगस्त . फिल्म निर्माता अदूर गोपालकृष्णन के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) फिल्ममेकर्स को लेकर दिए गए विवादित बयान ने सामाजिक और सांस्कृतिक जगत में भारी हंगामा मचा दिया है. इस कड़ी में उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है.
केरल के केआर नारायण इंस्टिट्यूट में जातिगत भेदभाव के खिलाफ छात्रों की हड़ताल को अदूर गोपालकृष्णन ने ‘भद्दी हड़ताल’ करार देते हुए उसकी आलोचना की थी. साथ ही, सरकार के उस प्रोजेक्ट की भी आलोचना की, जिसमें एससी/एसटी और महिलाओं के फिल्म बनाने वालों को पैसे दिए जा रहे हैं. उन्होंने यह बात 3 अगस्त को तिरुवनंतपुरम में आयोजित एक फिल्म सम्मेलन में कही.
अदूर ने कहा, ”मैंने अभी तक 2 करोड़ रुपये से ज्यादा की कोई फिल्म नहीं बनाई है. लेकिन सरकार एससी/एसटी फिल्ममेकर्स को 1.5 करोड़ रुपये दे रही है. इससे कुछ नहीं होगा, सिर्फ भ्रष्टाचार का रास्ता खुलेगा. मैंने पहले भी सरकार को इस बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ. बेशक सरकार की मंशा अच्छी हो सकती है, लेकिन फिल्म बनाने से पहले फिल्ममेकर्स को कई महीनों की कड़ी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है.”
उन्होंने आगे कहा कि सरकार जो 1.5 करोड़ रुपये दे रही है, उसे कम करके 50 लाख रुपये कर देना चाहिए.
अदूर ने कहा, ”जो फिल्ममेकर इस योजना के जरिए चुने गए हैं, उनकी तरफ से बहुत शिकायतें आ रही हैं. वे सोचते हैं कि बस पैसा मिल गया, अब फिल्म बना देंगे. लेकिन उन्हें समझाया जाना चाहिए कि यह पैसा जनता का है. इसलिए पैसा कम देना चाहिए ताकि वे फिल्म बनाने की सारी मुश्किलें समझें. ये पैसे बड़ी-बड़ी, व्यावसायिक फिल्मों या सुपरस्टार फिल्मों के लिए नहीं हैं, बल्कि अच्छी और संदेशपूर्ण फिल्में बनाने के लिए हैं. महिलाओं के लिए भी यही बात लागू होती है, सिर्फ इसलिए पैसे नहीं दिए जाने चाहिए कि वे महिलाएं हैं, उन्हें भी ट्रेनिंग लेनी जरूरी है.”
अदूर बोल रहे थे, तब दलित गायिका पुष्पावती को अपना विरोध दिखाने के लिए खड़े होकर कुछ कहना चाहा.
अदूर ने इसके आगे केआर नारायण इंस्टिट्यूट के छात्रों के हड़ताल का जिक्र किया. ये हड़ताल उन डायरेक्टर शंकर मोहन के खिलाफ थी, जिन पर जाति भेदभाव का आरोप था, जिसके चलते शंकर मोहन को इस्तीफा देना पड़ा. अदूर भी उस स्कूल के चेयरमैन थे और उन्होंने शंकर का समर्थन किया था, इसलिए उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया था.
फिल्म सम्मेलन में अदूर ने कहा कि शंकर एक महान आदमी हैं. हम दोनों उस फिल्म स्कूल की हालत सुधार रहे थे, जिसे लोगों ने नजरअंदाज किया. उस वक्त छात्रों की हड़ताल जरूरी नहीं थी. यह हड़ताल ऐसे समय में हुई जब संस्थान देश में सबसे अच्छे संस्थानों में से एक बनने की कगार पर था.
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पीके/केआर
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