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गिलगित-बाल्टिस्तान के हुंजा में बाढ़ ने मचाई तबाही

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New Delhi, 14 अगस्त . Tuesday की शाम को हुंजा स्थित गोजल के गुलमित में ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण जुचर नाला अचानक उफन गया. बढ़े पानी से कृषि भूमि, बिजली और इंटरनेट सेवाएं प्रभावित हुई हैं. पिछले कुछ दिनों से गिलगित बाल्टिस्तान में बाढ़ ने काफी तबाही मचाई है.

अधिकारियों के मुताबिक, बाढ़ की वजह से महिलाओं द्वारा संचालित किए जाने वाले एक रेस्टोरेंट, एक सरकारी पर्यटक सुविधा केंद्र, बाग, कृषि भूमि और बिजली व इंटरनेट के खंभों को बड़ा नुकसान पहुंचा है. एक पुल भी नष्ट हुआ है, जिसकी वजह से खुंजेरब दर्रे से होकर चीन आने-जाने के लिए वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों की मुश्किल बढ़ गई है.

स्थानीय निवासी सईद जान ने मीडिया हाउस डॉन को बताया कि नाले में बाढ़ की इतनी तीव्रता पहले कभी नहीं दिखी.

एक फाइबर ऑप्टिक लाइन के नष्ट होने से क्षेत्र में मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं ठप हो गई हैं, जबकि खुंजेरब नदी में बढ़ते पानी बिजली लाइन को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है. इससे क्षेत्र में अंधेरा छा गया है. रोशनाबाद मोहल्ले में भी बिजली संकट है.

बढ़ते जल स्तर और कीचड़ के कारण राजमार्ग को फिर से खोलने के प्रयास बार-बार बाधित हुए हैं. मरीजों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. यातायात को नगर में सास घाटी से होकर डायवर्ट किया जा रहा है.

हुंजा के हसनाबाद में, शिश्पर ग्लेशियर से आई बाढ़ से जुड़ा कटाव Wednesday को भी जारी रहा. इससे दो और घर ध्वस्त हो गए. क्षेत्र के अन्य घरों पर भी खतरा है.

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, शिगर जिले में भी अचानक आई बाढ़ ने बाशा के डोगोरो गांव में घरों और संपत्ति को नुकसान पहुंचाया. इस बाढ़ ने फसलों को नुकसान पहुंचाया और ‘सैवेज माउंटेन’ (के2) की ओर जाने वाला मार्ग को अवरुद्ध कर दिया.

गिलगित-बाल्टिस्तान सरकार के प्रवक्ता फैजुल्लाह फारक ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास कार्य चल रहा है. जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न आपदाओं ने गिलगित-बाल्टिस्तान का नक्शा बदल दिया है. नदियों का तेज प्रवाह, कटाव और भूस्खलन मरम्मत कार्य को जटिल बना रहे हैं.

उन्होंने कहा, यात्री और वाहन केकेएच (काराकोरम राजमार्ग) के दोनों ओर सड़क के बहाल होने का इंतजार कर रहे हैं. Chief Minister ने शिगर, घीजर, हुंजा, गिलगित, अस्तोर, डायमर और अन्य जिलों में राहत कार्य के प्रयासों में तेजी लाने के आदेश दिए हैं.

आगामी मानसून के पूर्वानुमान के अनुसार, ऊपरी पंजाब में 13-17 अगस्त तक भारी बारिश होगी, जिसके बाद 18-21 अगस्त तक अन्य क्षेत्रों में भारी बारिश होगी.

लाहौर, फैसलाबाद, गुजरांवाला और सियालकोट सहित प्रमुख शहरी केंद्रों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. पीडीएमए ने मुर्री और गलियात में भूस्खलन की भी चेतावनी दी है.

आंकड़ों के मुताबिक, मानसून के मौसम में अब तक कम से कम 164 लोगों की मौत हो चुकी है, 582 लोग बारिश से संबंधित चोटों का शिकार हुए हैं, 216 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं.

पीएके/केआर

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