New Delhi, 23 अक्टूबर . ‘ऑपरेशन सिंदूर’ India की इच्छाशक्ति और क्षमता का प्रतीक है. यह दुनिया के लिए संदेश है कि India हर चुनौती का सामना करने के लिए सदैव तैयार है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने Thursday को New Delhi में नौसेना कमांडर्स सम्मेलन के दौरान यह बात कही.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि नौसेना ने ऐसा निवारक रुख बनाया जिससे Pakistan को अपने बंदरगाहों में या तट के निकट ही सीमित रहना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान पूरी दुनिया ने भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल तत्परता, पेशेवर क्षमता और सामर्थ्य को देखा.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र अब आधुनिक भू-राजनीति का केंद्र बन चुका है. यह अब निष्क्रिय नहीं, बल्कि प्रतिस्पर्धा और सहयोग दोनों का क्षेत्र बन गया है. उन्होंने बताया कि पिछले छह महीनों में भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और नौसैनिक विमानों की तैनाती अभूतपूर्व स्तर पर की गई. इस दौरान नौसेना ने लगभग 335 व्यापारी जहाजों को सुरक्षित मार्ग प्रदान किया, जिनमें लगभग 1.2 मिलियन मीट्रिक टन माल और 5.6 अरब डॉलर मूल्य का व्यापार शामिल था. यह इस बात का प्रमाण है कि India अब वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में एक विश्वसनीय और सक्षम भागीदार बन चुका है.
उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर नौसेना ही एक सशक्त और आत्मविश्वासी राष्ट्र की आधारशिला है. उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में नौसेना की पूंजीगत खरीद में लगभग 67 प्रतिशत अनुबंध भारतीय उद्योगों के साथ किए गए हैं. वर्तमान में नौसेना कई कार्यक्रमों के तहत 194 नवाचार एवं स्वदेशीकरण परियोजनाओं पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि आज हम विदेशी आयात पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि अपने प्रतिभाशाली युवाओं, एमएसएमई और स्टार्टअप्स की क्षमताओं पर भरोसा करते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज का युद्ध प्रौद्योगिकी और खुफिया जानकारी पर आधारित है. Prime Minister Narendra Modi के नेतृत्व में Government रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, स्वदेशी नवाचार और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों पर विशेष बल दे रही है. उन्होंने कहा, “समुद्री तैयारी अब केवल जहाजों या पनडुब्बियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह तकनीक-आधारित, नेटवर्क-सेंट्रिक और स्वायत्त प्रणालियों पर निर्भर है. हमें अपने विरोधियों की आधुनिक तकनीक से बचाव करते हुए अपनी क्षमता भी बढ़ानी होगी.”
उन्होंने कहा कि भारतीय नौसेना न सिर्फ रक्षा उत्पादन में, बल्कि राष्ट्र निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभा रही है. उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट 17ए के जहाजों में 75 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग हुआ है, जिससे मझगांव डॉक और जीआरएसई जैसे शिपयार्डों में लगभग 1.27 लाख रोजगार सृजित हुए हैं. उन्होंने कहा, “हर जहाज, हर इंजन, हर स्वदेशी प्रणाली केवल सुरक्षा नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था और युवाओं के भविष्य से भी जुड़ी है.”
राजनाथ सिंह ने बताया कि नौसेना ने हाल ही में छोटे जहाजों के निर्माण के लिए 315 करोड़ रुपए के अनुबंध स्थानीय शिपयार्डों को दिए हैं. यह कदम ‘वोकल फॉर लोकल’ दृष्टिकोण को सशक्त करता है. उन्होंने यह भी कहा कि नौसेना ने अपने एविएशन सेक्टर में आत्मनिर्भरता की दिशा में कई नवाचार किए हैं. मल्टी-रोल मैरीटाइम रिकॉन्सेंस एयरक्राफ्ट, यूटिलिटी हेलीकॉप्टर, ट्विन-इंजन डेक फाइटर, और नैवल शिपबोर्न अनमैन्ड एरियल सिस्टम्स जैसे प्रोजेक्ट घरेलू विमानन उद्योग को नई दिशा दे रहे हैं.
रक्षा मंत्री ने कहा कि आधुनिक युद्ध केवल उपकरणों से नहीं जीता जा सकता, इसके लिए रणनीति, समय और मानवीय निर्णय क्षमता उतनी ही आवश्यक है. उन्होंने जोर दिया कि नौसेना को अपनी रणनीतिक सोच और योजना को तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों के अनुरूप विकसित करना होगा.
इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत, एवं वरिष्ठ नौसैनिक कमांडर उपस्थित थे. बता दें कि यह कांफ्रेंस नौसेना के शीर्ष नेतृत्व को राष्ट्रीय नेतृत्व एवं प्रशासन के साथ सीधा संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है.
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जीसीबी/डीकेपी
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