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राजेश खन्ना के पसंदीदा थे असरानी, 25 से ज्यादा फिल्मों में साथ किया काम

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Mumbai , 21 अक्टूबर . Bollywood के दिग्गज और लोकप्रिय Actor गोवर्धन असरानी अब हमारे बीच नहीं रहे. 84 साल की उम्र में उनका निधन 20 अक्टूबर को Mumbai के एक अस्पताल में हुआ.

बताया गया कि वह बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे. असरानी ने अपने जीवन में हजारों लोगों के चेहरे पर हंसी लाने का काम किया, लेकिन वह खुद हमेशा कैमरे के पीछे गंभीरता और मेहनत से काम करते रहे. उन्होंने सिनेमा को जो दिया, वह यादगार है. बहुत कम लोग जानते हैं कि वे सुपरस्टार राजेश खन्ना के सबसे पसंदीदा Actorओं में से एक थे और दोनों ने साथ में करीब 25 फिल्मों में काम किया था.

गोवर्धन असरानी का जन्म 1 जनवरी 1941 को Rajasthan के jaipur में हुआ था. उनके पिता का कालीन का कारोबार था और वह चाहते थे कि असरानी भी बड़े होकर फैमिली बिजनेस संभालें. लेकिन असरानी का मन फिल्मों की दुनिया में बसता था. बचपन से ही उन्हें फिल्मों का शौक था. वह चुपके से सिनेमा हॉल जाकर फिल्में देखा करते थे. घरवालों के मना करने के बावजूद वह इस सपने के पीछे लग गए.

उन्होंने jaipur के Rajasthan कॉलेज से पढ़ाई पूरी की और इसके बाद पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई) में दाखिला लिया. वहां से एक्टिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1967 में फिल्म ‘हरे कांच की चूड़ियां’ से फिल्मों में आए.

शुरुआती दौर में उन्हें फिल्में नहीं मिलीं. सर्टिफिकेट हाथ में लेकर वह जगह-जगह काम मांगते फिरते, लेकिन लोग कहते कि एक्टिंग के लिए सर्टिफिकेट की क्या जरूरत? उन्हें कई बार ठुकराया गया. इसी संघर्ष के बीच उनकी मुलाकात उस समय की सूचना और प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी से हुई. जब असरानी ने उनसे अपनी परेशानी साझा की, तो उन्होंने प्रोड्यूसर्स को कहा कि असरानी जैसे एफटीआईआई से प्रशिक्षित कलाकारों को मौका मिलना चाहिए. इसके बाद असरानी को धीरे-धीरे काम मिलने लगा और 1971 में आई फिल्म ‘गुड्डी’ ने उन्हें लोगों के बीच मशहूर कर दिया.

‘गुड्डी’ में उन्होंने जया भादुरी के साथ काम किया था. यहीं से उनका सफर शुरू हुआ और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 1970 से 1979 के बीच असरानी ने 100 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. वह उस दशक के सबसे व्यस्त कलाकारों में से एक बन गए थे. इसी दौर में उनकी दोस्ती सुपरस्टार राजेश खन्ना से हुई. दोनों ने ‘बावर्ची’ फिल्म में साथ काम किया और वहीं से ये दोस्ती गहरी होती चली गई. राजेश खन्ना को असरानी का अभिनय इतना पसंद आया कि वह हर निर्माता से कहते थे कि असरानी को उनकी फिल्म में कास्ट किया जाए. यही वजह रही कि ‘अवतार’, ‘अमर दीप’, ‘नौकर’, ‘कुदरत’, ‘बावर्ची’, ‘धरम-कांटा’ और ‘आंखों आंखों में’ जैसी फिल्मों में दोनों साथ नजर आए. राजेश खन्ना जहां भी जाते, असरानी को जरूर साथ ले जाते.

लेकिन असरानी सिर्फ एक हास्य कलाकार नहीं थे, उन्होंने कई बार नायक सरीखे और गंभीर किरदार भी निभाए. ‘छोटी सी बात’ में उनका नागेश शास्त्री वाला रोल, ‘चुपके चुपके’ में अंग्रेजी के प्रोफेसर और ‘अभिमान’ में चंदर का किरदार लोगों को आज भी याद है. वहीं 1975 में आई फिल्म ‘शोले’ में उनका जेलर का रोल तो अमर हो गया. ‘हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं’ डायलॉग आज भी हर पीढ़ी की जुबान पर है. इस किरदार के लिए उन्होंने हिटलर की बायोग्राफी पढ़ी और उसकी चाल-ढाल को कॉमिक अंदाज में पेश किया था.

असरानी ने अपने करियर में करीब 350 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. इसके अलावा उन्होंने निर्देशन भी किया. ‘चला मुरारी हीरो बनने’, ‘हम नहीं सुधरेंगे’ और ‘अमदावद नो रिक्शावालो’ जैसी फिल्मों का निर्देशन भी किया. अभिनय के लिए उन्हें कई पुरस्कार भी मिले. 1974 में फिल्म ‘आज की ताजा खबर’ के लिए उन्होंने फिल्मफेयर का बेस्ट कमीडियन अवॉर्ड जीता. इसके अलावा उन्हें कई फिल्मों के लिए नामांकित भी किया गया. Gujaratी फिल्म ‘सात कैदी’ के लिए उन्हें Gujarat Government की ओर से सर्वश्रेष्ठ Actor और निर्देशक का पुरस्कार मिला.

असरानी आखिरी बार 2023 में आई फिल्म ‘ड्रीम गर्ल 2’ और ‘नॉन स्टॉप धमाल’ में नजर आए थे.

उनकी निजी जिंदगी भी बेहद शांतिपूर्ण रही. पत्नी मंजरी असरानी खुद भी Actress थीं और दोनों ने साथ में एक लंबा वक्त बिताया. असरानी की इच्छा थी कि जब वे दुनिया छोड़ें तो उनका अंतिम संस्कार सादगी से और परिवार के बीच किया जाए. यही वजह है कि Mumbai के सांताक्रूज इलाके के शास्त्री नगर स्थित श्मशान भूमि में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया, जहां उनके परिवार के सदस्य समेत करीबी लोग मौजूद रहे.

पीके/एएस

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