Mumbai , 12 अक्टूबर . Bollywood के इतिहास में अशोक कुमार का नाम हमेशा सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. वह सिर्फ एक बेहतरीन Actor ही नहीं, बल्कि एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने हिंदी सिनेमा को नई दिशा दी. बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्मों में उनके सफर की शुरुआत किसी ग्लैमर या बड़े सपने से नहीं हुई थी, बल्कि उनकी पहली नौकरी बॉम्बे टॉकीज में एक लैब असिस्टेंट के तौर पर थी. इस नौकरी से अचानक ही वह फिल्मों के हीरो बन गए और लोगों के दिलों पर छा गए.
अशोक कुमार का जन्म 13 अक्टूबर 1911 को बिहार के भागलपुर जिले में एक बंगाली परिवार में हुआ था. उनका असली नाम कुमुदलाल गांगुली था. उनके पिता कुंजीलाल गांगुली एक वकील थे. अशोक के मन में भी बचपन से वकील बनने का सपना था और उनके पिता ने भी उन्हें इसी राह पर चलने के लिए प्रेरित किया था. लेकिन पहली बार वकालत की परीक्षा में असफल होने के बाद, अशोक कुमार को लगा कि शायद यह उनका रास्ता नहीं है. इसके बाद वह खुद को साबित करने के लिए Mumbai आ गए. वहां उनकी बहन सती देवी के पति शशधर मुखर्जी बॉम्बे टॉकीज में काम करते थे. अशोक ने उनसे मदद मांगकर बॉम्बे टॉकीज में लैब असिस्टेंट की नौकरी पाई.
इस नौकरी का उनका मकसद फिल्मी दुनिया में चमक-दमक या स्टारडम हासिल करना नहीं था. वह बस रोजमर्रा की जिंदगी में गुजर-बसर करना चाहते थे. वह कैमरे के पीछे काम करते थे, फिल्म बनाने की तकनीकी प्रक्रियाओं को समझते थे. लेकिन किस्मत ने उनके लिए कुछ और ही सोचा था. 1936 में जब फिल्म ‘जीवन नैया’ की शूटिंग चल रही थी, उस वक्त फिल्म के लीड हीरो नजमुल हसन अचानक फिल्म छोड़कर चले गए. बॉम्बे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय ने तत्काल फैसला लिया कि अशोक कुमार को हीरो बनाया जाए. यह खबर सुनकर डायरेक्टर फ्रांज ऑस्टन को भी हैरानी हुई, क्योंकि उनका मानना था कि अशोक का लुक हीरो के लिए फिट नहीं था. बावजूद इसके, बॉम्बे टॉकीज ने अपना फैसला नहीं बदला और इस तरह अशोक कुमार ने पहली बार ‘जीवन नैया’ फिल्म में अभिनय किया.
इस फिल्म के दौरान उनका नाम कुमुदलाल गांगुली से बदलकर ‘अशोक कुमार’ रख दिया गया. यहीं से उनकी नई पहचान बनने लगी. ‘जीवन नैया’ सफल हुई और अशोक कुमार धीरे-धीरे हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बन गए. उनकी सादगी और सहज अभिनय ने लोगों का दिल जीत लिया. उन्होंने ‘अछूत कन्या’, ‘हावड़ा ब्रिज’, ‘किस्मत’, ‘चलती का नाम गाड़ी’, ‘बंदिनी’, ‘बंधन’, ‘झूला’ और ‘कंगन’ जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया.
अशोक कुमार के करियर में ‘किस्मत’ फिल्म का बड़ा महत्व है. यह फिल्म 1943 में रिलीज हुई और भारतीय सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म थी जिसने बॉक्स ऑफिस पर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई की. इस फिल्म में उन्होंने एंटी हीरो का किरदार निभाया, जो उस समय बेहद नया और अलग था. ‘किस्मत’ की सफलता ने उन्हें रातोंरात स्टार बना दिया और उनकी लोकप्रियता आसमान छूने लगी.
अशोक कुमार ने न केवल अभिनय किया, बल्कि उन्होंने फिल्मों का निर्देशन और निर्माण भी किया. उनकी प्रोडक्शन कंपनी से कई बड़ी फिल्में बनीं, जिनमें ‘जिद्दी’ प्रमुख है. इस फिल्म से देव आनंद जैसे दिग्गज कलाकारों ने अपनी शुरुआत की. इसके अलावा, उन्होंने मधुबाला, प्राण, ऋषिकेश मुखर्जी, और शक्ति सामंता जैसे कई महान कलाकारों को पहचान और मौके दिए. इस तरह, अशोक कुमार ने हिंदी सिनेमा को कई नए चेहरे और प्रतिभाएं दीं.
अपने जीवन में अशोक कुमार को कई पुरस्कारों से नवाजा गया. 1988 में उन्हें India Government का सबसे बड़ा फिल्म पुरस्कार ‘दादा साहेब फाल्के’ अवॉर्ड मिला. इसके अलावा उन्हें पद्मश्री जैसे उच्च नागरिक सम्मान भी प्राप्त हुए.
हालांकि, अशोक कुमार के जीवन में दुख कम नहीं थे. उनके छोटे भाई और मशहूर गायक किशोर कुमार का 13 अक्टूबर 1987 को निधन हो गया, जो अशोक कुमार का भी जन्मदिन था. इस गम ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने अपना जन्मदिन मनाना बंद कर दिया. 10 सितंबर 2001 को अशोक कुमार ने आखिरी सांस ली और दुनिया से अलविदा कहा.
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पीके/एएस
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