New Delhi, 16 अगस्त . आज के समय में जहां एक ओर जीवन तेज रफ्तार से दौड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर सेहत से जुड़ी चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं. अनियमित दिनचर्या, जंक फूड की आदत, घंटों तक स्क्रीन पर बिताया गया समय और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने शरीर के मेटाबॉलिज्म पर गहरा असर डाला है. कमजोर मेटाबॉलिज्म न केवल मोटापे को बढ़ावा देता है, बल्कि तनाव, थकान और पाचन से जुड़ी समस्याओं का कारण भी बनता है. हालांकि, आयुर्वेद और योग में इस समस्या का बेहद सरल समाधान मौजूद है. आयुष मंत्रालय के मुताबिक, योग के कुछ आसनों के जरिए मेटाबॉलिज्म को बढ़ाया जा सकता है, जिससे शरीर अंदर से सक्रिय रहता है और वजन नियंत्रित रहता है.
बद्धकोणासन: इस आसन को करने से पैरों की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है. साथ ही जांघ और हिप्स के आस-पास जमा चर्बी धीरे-धीरे घटने लगती है. यह शरीर के निचले हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देता है, जिससे टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं और मेटाबॉलिज्म एक्टिव होता है. इसके नियमित अभ्यास से पाचन तंत्र बेहतर होता है और शरीर की कैलोरी बर्न करने की क्षमता भी बढ़ती है.
विपरीत करणी: इस आसन में व्यक्ति दीवार के सहारे अपनी टांगों को ऊपर की दिशा में रखता है. इससे ब्लड सर्कुलेशन सिर की ओर बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन और पोषण अच्छी मात्रा में मिलते हैं. इससे तनाव कम होता है, नींद अच्छी आती है और मानसिक स्वास्थ्य सुधरता है. जब तनाव कम होता है, तो कोर्टिसोल यानी तनाव के हार्मोन का स्तर घटता है, जिससे मेटाबॉलिज्म पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके साथ ही यह आसन थकान को दूर करता है और शरीर को ऊर्जा से भरता है.
भुजंगासन: यह आसन सर्प की मुद्रा में किया जाता है, जिससे रीढ़ की हड्डी पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. यह पेट के हिस्से पर सीधा असर डालता है. यह पाचन तंत्र को सक्रिय करता है और पेट की चर्बी घटाने में मदद करता है. जब पेट का फैट कम होता है, तो शरीर का मेटाबॉलिक रेट बढ़ने लगता है. साथ ही, इस आसन से फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है, जिससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है और शरीर अधिक ऊर्जा खर्च करता है.
पवनमुक्तासन: यह आसन शरीर से गैस और अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है. इससे पाचन क्रिया मजबूत होती है और पेट की सूजन भी कम होती है. जब पाचन बेहतर होता है, तो शरीर पोषक तत्वों को तेजी से अवशोषित करता है और ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया भी तेज होती है. यह सब मिलकर मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाता है.
अर्ध मत्स्येन्द्रासन: यह आसन बैठकर किया जाता है. इससे रीढ़ की लचीलापन बढ़ती है और डिटॉक्स प्रक्रिया तेज होती है. इस आसन में शरीर को मोड़ने से आंतरिक अंगों पर दबाव पड़ता है, जिससे लिवर और किडनी जैसे अंग सक्रिय होते हैं. यह शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे मेटाबॉलिक सिस्टम साफ होता है. इसके अलावा, कमर के चारों ओर जमा फैट घटता है, जिससे वजन नियंत्रण में रहता है.
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पीके/एएस
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