नई दिल्ली, 25 मई . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड में मधुमक्खी पालन का भी जिक्र किया और बढ़ते शहद उत्पादन पर खुशी जाहिर की. पीएम मोदी ने शहद की मिठास को आत्मनिर्भर भारत का स्वाद बताया. उन्होंने कहा कि पिछले 11 सालों में, मधुमक्खी पालन में भारत में एक ‘स्वीट रिवॉल्यूशन’ हुआ है. ‘स्वीट रिवॉल्यूशन’ से मतलब मिठास से भरी क्रांति से है, यानी मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार और अन्य संस्थानों ने कई कदम उठाए हैं, जिससे शहद उत्पादन में वृद्धि हुई है.
पीएम मोदी ने कहा, ” 20 मई को ‘विश्व मधुमक्खी दिवस’ मनाया गया, यानी एक ऐसा दिन जो हमें याद दिलाता है कि शहद सिर्फ मिठास नहीं, बल्कि सेहत, स्वरोजगार, और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी है. पिछले 11 वर्षों में, मधुमक्खी पालन में, भारत में एक ‘स्वीट रिवॉल्यूशन’ हुआ है. आज से 10-11 साल पहले भारत में शहद उत्पादन एक साल में करीब 70-75 हजार मीट्रिक टन होता था. आज यह बढ़कर करीब-करीब सवा लाख मीट्रिक टन के आसपास हो गया है, यानी शहद उत्पादन में करीब 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.”
”हम हनी प्रोडक्ट और एक्सपोर्ट में दुनिया के अग्रणी देशों में आ चुके हैं. इस पॉजिटिव इम्पैक्ट में ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन’ और ‘शहद मिशन’ की बड़ी भूमिका है. इसके तहत मधुमक्खी पालन से जुड़े हजारों किसानों को ट्रेनिंग दी गई, उपकरण दिए गए, और बाजार तक उनकी सीधी पहुंच बनाई गई. ये बदलाव सिर्फ आंकड़ों में नहीं दिखता, ये गांव की जमीन पर भी साफ नजर आता है.”
उन्होंने आगे कहा, ”छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले का एक उदाहरण है, यहां आदिवासी किसानों ने ‘सोन हनी’ नाम से एक शुद्ध जैविक शहद ब्रांड बनाया है. आज वह शहद गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस समेत अनेक ऑनलाइन पोर्टल पर बिक रहा है, यानी गांव की मेहनत, अब ग्लोबल हो रही है. इसी तरह उत्तर प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और अरुणाचल प्रदेश में हजारों महिलाएं और युवा अब हनी उद्यमी बन चुके हैं. साथियो, और अब शहद की केवल मात्रा नहीं, उसकी शुद्धता पर भी काम हो रहा है. कुछ स्टार्टअप अब एआई और डिजिटल टेक्नोलॉजी से शहद की गुणवत्ता को प्रमाणित कर रहे हैं.”
”आप अगली बार जब भी शहद खरीदें तो इन हनी उद्यमियों द्वारा बनाए गए शहद को जरूर आजमाएं, कोशिश करें कि किसी लोकल किसान से, किसी महिला उद्यमी से भी शहद खरीदें. क्योंकि उस हर बूंद में स्वाद ही नहीं, भारत की मेहनत और उम्मीदें घुली होती हैं. शहद की ये मिठास आत्मनिर्भर भारत का स्वाद है.”
पीएम मोदी ने आगे कहा, ”जब हम शहद से जुड़े देशों के प्रयासों की बात कर रहे हैं, तो मैं आपको एक और पहल के बारे में बताना चाहता हूं. ये हमें याद दिलाती है कि मधुमक्खियों की सुरक्षा सिर्फ पर्यावरण की नहीं, हमारी खेती और आने वाली पीढ़ियों की भी जिम्मेदारी है. ये उदाहरण है पुणे शहर का, जहां एक हाउसिंग सोसाइटी में मधुमक्खियों का एक छत्ता हटाया गया, शायद सुरक्षा के कारण या डर की वजह से. लेकिन इस घटना ने किसी को कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया. अमित नाम के एक युवा ने तय किया कि मधुमक्खियों को हटाना नहीं, उन्हें बचाना चाहिए. उन्होंने खुद सीखा, मधुमक्खियों पर सर्च किया और दूसरों को भी जोड़ना शुरू किया. धीरे-धीरे उन्होंने एक टीम बनाई, जिसे उन्होंने नाम दिया- ‘बी-फ्रेंड्स’, यानी ‘बी-मित्र’.”
उन्होंने आगे बताया, ”अब ये बी-फ्रेंड्स, मधुमक्खियों के छत्तों को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित तरीके से ट्रांसफर करते हैं, ताकि लोगों को खतरा न हो और मधुमक्खियां भी जिंदा रहें. अमित जी के इस प्रयास का असर भी बड़ा शानदार हुआ है. मधुमक्खियों की कॉलोनी बच रही हैं. शहद उत्पादन बढ़ रहा है, और सबसे जरूरी है लोगों में जागरूकता भी बढ़ रही है. ये पहल हमें सिखाती है कि जब हम प्रकृति के साथ ताल-मेल में काम करते हैं, तो उसका फायदा सबको मिलता है.”
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पीके/केआर
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