दिल्ली में पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों की राजनीति को केंद्र में रखकर आयोजित बैठक ने अचानक राजनीतिक माहौल गर्मा दिया है। दिलचस्प यह रहा कि खुद को सत्ता का प्रमुख स्तंभ कहने वाली भाजपा के बड़े नेता इस बैठक से नदारद रहे। तालकटोरा स्टेडियम में बुधवार को जाट, राजभर, निषाद और पटेल समाज से जुड़े चार दलों ने एक साझा मंच पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई और खुद को असली पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) मंच घोषित किया। इस आयोजन की गूंज केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रही, बल्कि लखनऊ तक सुनी गई।
भाजपा के दिग्गज नेताओं का न पहुंचना बना सवाल
इस सम्मेलन के लिए भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य केंद्रीय नेताओं को निमंत्रण दिया गया था। हालांकि इनमें से कोई भी शख्स शामिल नहीं हुआ। इस पर निषाद पार्टी ने सफाई दी कि कार्यक्रम दरअसल दिल्ली में उनकी पार्टी के 10वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित किया गया था, और शीर्ष नेताओं की व्यस्तताओं के कारण उनकी अनुपस्थिति रही।
आरक्षण पर सख्त तेवर और विधानसभा घेराव की चेतावनी
कार्यक्रम में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने मंच से साफ कहा कि अगर समुदाय की आरक्षण संबंधी मांगें अनदेखी की गईं तो वे उत्तर प्रदेश विधानसभा का घेराव करेंगे। उन्होंने कहा, “यूपी में पीडीए की कहानी अलग ढंग से प्रस्तुत की जा रही है, जबकि यह मंच असल मायनों में पीडीए नेतृत्व की एकजुटता का प्रतीक है। जब दर्द सबका साझा है तो आवाज भी साझा क्यों नहीं हो सकती? इतिहास बताता है कि इन समुदायों ने जब भी एकजुटता दिखाई है, राजनीतिक समीकरण बदलकर रख दिए हैं।”
संजय निषाद की इस घोषणा को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख और यूपी मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने भी समर्थन दिया। उन्होंने विपक्षी दलों पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने दशकों तक पिछड़े वर्गों और दलित समाज का सिर्फ राजनीतिक इस्तेमाल किया है।
सहयोगियों का दावा: सत्ता की चाबी हमारे पास
अपना दल (एस) के नेता आशीष पटेल ने इस मंच को सत्ता संतुलन की कुंजी बताते हुए कहा, “आज इस मंच पर असली पीडीए मौजूद है – राष्ट्रीय लोक दल, सुभासपा, निषाद पार्टी और अपना दल (एस)। सत्ता की असली चाबी इन्हीं चार दलों के पास है।”
भाजपा और विपक्ष की प्रतिक्रिया
भाजपा ने सहयोगियों में किसी भी तरह के मतभेद की अटकलों को खारिज किया। यूपी भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने स्पष्ट किया, “सहयोगियों के बीच न कोई विवाद है और न ही मनमुटाव। राष्ट्रीय नेतृत्व उपराष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों के चलते कार्यक्रम में शिरकत नहीं कर सका।”
वहीं समाजवादी पार्टी ने इस पूरे आयोजन को भाजपा की साज़िश करार दिया। सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “भाजपा को अखिलेश यादव के पीडीए एजेंडे से घबराहट है। इसलिए वह अपने सहयोगी दलों के जरिए नया मंच बनाकर जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटकाना चाहती है।”
You may also like
एनआरआई उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल का निधन, पीएम मोदी ने जताया दुख
Online Gaming Bill 2025: स्पॉन्सर्स के लिए 'पनौती' है क्या टीम इंडिया, ब्लू टी-शर्ट पर जिसका भी नाम आया उसकी बंद हो गई दुकान!
रायबरेली MP राहुल गांधी को किससे सुरक्षा का खतरा? यूपी कांग्रेस चीफ अजय राय ने अमित शाह को लिखा लेटर
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद नागपुर में संघ के विजयादशमी उत्सव के होंगे मुख्य अतिथि
ऑयली स्किन से परेशान हैं तो एक बार जरूर अपनाएं येˈˈ उपाय, मिनटों में दूर हो जाएगा तेल