जैसे-जैसे ठंडी हवाओं का दौर शुरू हो रहा है, वैसे-वैसे वायरल फीवर के मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है। खासकर बच्चों में इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि उनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता वयस्कों की तुलना में कम होती है। वायरल फीवर सर्दियों में सामान्य समस्या बन चुका है, लेकिन अगर इसका सही इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप भी ले सकता है। विशेषज्ञों ने माता-पिता को बच्चों की देखभाल में सतर्क रहने और कुछ महत्वपूर्ण बातों को अपनाने की सलाह दी है।
वायरल फीवर क्यों होता है?
वायरल फीवर, जैसा कि नाम से पता चलता है, वायरल संक्रमण के कारण होता है। सर्दी के मौसम में बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे वे जल्दी किसी वायरस की चपेट में आ जाते हैं। नतीजा होता है तेज बुखार, शरीर में दर्द, कमजोरी, ठंड लगना और भूख में कमी। बच्चों में अगर समय पर देखभाल और दवा न दी जाए तो उनकी हालत बिगड़ सकती है।
बच्चों की देखभाल में न करें ये गलतियां
बिना डॉक्टर की सलाह दवाएं न दें: घर पर ही बिना जांच के कोई दवा देना खतरनाक हो सकता है।
बच्चों को ज्यादा ठंडे पानी या जूस न दें: इससे उनकी सेहत और बिगड़ सकती है।
बुखार के दौरान ठंडी हवा में न ले जाएं: बच्चों को गर्म और आरामदायक माहौल दें।
भूख न लगने पर ज़बरदस्ती न कराएं खाना: हल्का और पौष्टिक भोजन ही दें।
जल्दी-जल्दी दवाइयों का सेवन न कराएं: डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा लें।
बच्चों को थकाने वाले काम न कराएं: पूरी नींद और आराम बेहद जरूरी है।
बच्चों का रखें ध्यान, अपनाएं ये आसान उपाय
पानी की मात्रा बढ़ाएं: बच्चों को पर्याप्त मात्रा में पानी, हल्का गर्म पानी या छाछ पिलाएं ताकि डिहाइड्रेशन से बचा जा सके।
संतुलित आहार दें: विटामिन C से भरपूर फल और सब्जियां खिलाएं ताकि इम्यून सिस्टम मजबूत रहे।
ठंड से बचाव: बच्चों को गर्म कपड़े पहनाएं, खासकर सुबह और शाम के वक्त।
हाथ धोने की आदत डालें: संक्रमण फैलने से रोकने के लिए नियमित हाथ धोने की आदत बनाएं।
कमरे की सफाई और वेंटिलेशन: घर के कमरे साफ-सुथरे और हवादार रखें जिससे वायरस का खतरा कम हो।
समय पर डॉक्टर से सलाह लें: बुखार लगातार 2-3 दिन तक बना रहे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
कब करें डॉक्टर से संपर्क?
अगर बच्चे को बुखार के साथ उल्टी, तेज सिरदर्द, साँस लेने में तकलीफ या बेहोशी जैसी कोई समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। ऐसे लक्षण किडनी, दिमाग या फेफड़ों में संक्रमण का संकेत हो सकते हैं।
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