पश्चिम बंगाल में आगामी चुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने विशेष पहचान पंजीकरण (SIR) प्रक्रिया की तैयारी तेज कर दी है। इस क्रम में चुनाव अधिकारियों की ट्रेनिंग आज से शुरू हो गई है, ताकि वे SIR की सभी तकनीकी और कानूनी पहलुओं को पूरी तरह समझ सकें और निर्बाध ढंग से चुनाव प्रक्रिया को अंजाम दे सकें।
हालांकि, इस तैयारी के दौरान प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने SIR प्रक्रिया का कड़ा विरोध जताया है। ममता ने इसे जनतंत्र के खिलाफ और चुनावी आधार पर आरक्षण की तरह एक गलत प्रथा बताया है।
SIR क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
SIR यानी स्पेशल आइडेंटिफिकेशन रजिस्ट्रेशन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत मतदाताओं की पहचान को और अधिक सटीक और पारदर्शी बनाने का प्रयास किया जाता है। यह प्रक्रिया मतदाता सूची की सफाई और चुनावी प्रक्रिया में धोखाधड़ी रोकने के उद्देश्य से लागू की जा रही है।
चुनाव आयोग का मानना है कि SIR से चुनावी सुरक्षा और विश्वसनीयता बढ़ेगी। इसके तहत मतदान केंद्रों पर नए प्रकार के पहचान प्रमाणपत्र जारी किए जाएंगे, जिससे नकली वोटिंग और मतदाता सूची में गड़बड़ी को रोका जा सकेगा।
ममता बनर्जी का विरोध, चुनाव आयोग की तैयारियां जारी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और TMC ने SIR को लेकर चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया से पश्चिम बंगाल की जनता को असुविधा और भ्रम का सामना करना पड़ेगा और यह एक राजनीतिक हथकंडा है जो विशेष समूहों को निशाना बनाएगा।
ममता ने कई मंचों पर कहा है,
“यह SIR प्रक्रिया हमारे संवैधानिक अधिकारों पर खतरा है और इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।”
हालांकि, चुनाव आयोग ने साफ किया है कि यह प्रक्रिया सभी के लिए समान रूप से लागू की जाएगी और इसका मकसद केवल चुनाव प्रक्रिया को और अधिक निष्पक्ष बनाना है।
चुनाव अधिकारियों की ट्रेनिंग में क्या होगा?
आज से शुरू हुई ट्रेनिंग में चुनाव अधिकारियों को SIR प्रक्रिया के तकनीकी पहलुओं, मतदाता पहचान पत्र के नए नियमों, और मतदाता डेटा की सुरक्षा के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। इसके अलावा, अधिकारियों को शिकायत निवारण और मतदाता जागरूकता अभियान चलाने की भी ट्रेनिंग दी जाएगी।
चुनाव आयोग ने कहा है कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित किया जाएगा।
बंगाल की राजनीतिक लड़ाई में SIR की अहमियत
विश्लेषकों के मुताबिक, SIR प्रक्रिया को लेकर ममता बनर्जी और चुनाव आयोग के बीच टकराव से आगामी चुनाव में राजनीतिक तापमान बढ़ सकता है। TMC इसे अपनी चुनावी ताकत को बनाए रखने की लड़ाई के तौर पर देख रही है, जबकि चुनाव आयोग इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी कदम मानता है।
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