आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी में सेहत पर नज़र रखना पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी हो गया है। ऐसे में स्मार्टवॉच, जो कभी सिर्फ समय बताने का जरिया थी, अब एक मिनी हेल्थ मॉनिटर की भूमिका निभा रही है। खासतौर पर हार्ट रेट यानी दिल की धड़कनों को मापने की इसकी क्षमता लोगों को अपनी सेहत के प्रति ज्यादा जागरूक बना रही है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपकी कलाई पर बंधी यह छोटी सी डिवाइस आपके दिल की धड़कनें कैसे गिनती है?
फोटोप्लिथिस्मोग्राफी (PPG): हार्ट रेट मापने की तकनीक
स्मार्टवॉच में दिल की धड़कन को मापने के लिए एक खास तकनीक का इस्तेमाल होता है, जिसे फोटोप्लिथिस्मोग्राफी (Photoplethysmography – PPG) कहा जाता है। इस तकनीक में वॉच के नीचे लगे छोटे-छोटे LED लाइट्स और ऑप्टिकल सेंसर इस्तेमाल होते हैं।
जब स्मार्टवॉच आपकी कलाई पर बंधी होती है, तब यह LED लाइट आपकी त्वचा के नीचे की रक्त वाहिकाओं (blood vessels) पर रोशनी डालती है। जब दिल धड़कता है, तब खून की मात्रा बढ़ती है और जब दिल विश्राम करता है, तब यह घटती है। इस बदलाव को सेंसर लाइट के परावर्तन (reflection) के माध्यम से पहचानते हैं।
सेंसर कैसे करते हैं काम?
हर हार्टबीट के साथ खून की मात्रा में बदलाव होता है। स्मार्टवॉच में लगे सेंसर इस बदलाव को मापते हैं और हर सेकंड या निर्धारित समयांतराल पर उसे रिकॉर्ड करते हैं। इन रीडिंग्स से डिवाइस आपके दिल की धड़कनों की संख्या प्रति मिनट (beats per minute – BPM) के रूप में प्रदर्शित करती है।
AI और एल्गोरिद्म की भूमिका
आधुनिक स्मार्टवॉच सिर्फ डेटा एकत्र नहीं करतीं, बल्कि उसमें लगे स्मार्ट एल्गोरिद्म इस डेटा का विश्लेषण भी करते हैं। यह एल्गोरिद्म न केवल आपकी हार्ट रेट का औसत निकालते हैं, बल्कि यह भी पहचान सकते हैं कि आपकी धड़कन सामान्य है या नहीं। कुछ घड़ियां अनियमित धड़कनों (Irregular Heart Rhythms) या एट्रियल फाइब्रिलेशन (AFib) जैसी संभावनाओं की पहचान भी कर लेती हैं और आपको अलर्ट भेजती हैं।
सटीकता कितनी है?
हालांकि स्मार्टवॉच की तकनीक तेज़ी से विकसित हो रही है, लेकिन यह मेडिकल ग्रेड डिवाइस नहीं होतीं। सामान्य स्वास्थ्य निगरानी के लिए यह काफी उपयोगी हैं, मगर यदि किसी को हृदय संबंधी गंभीर समस्या है, तो डॉक्टर की सलाह और मेडिकल जांच अनिवार्य है।
भविष्य की संभावनाएं
हार्ट रेट मॉनिटरिंग के अलावा आज की स्मार्टवॉचेज़ ब्लड ऑक्सीजन लेवल, स्लीप पैटर्न, स्ट्रेस लेवल और ईसीजी जैसी सुविधाएं भी देने लगी हैं। आने वाले समय में ये डिवाइस और भी अधिक एडवांस हो सकती हैं, जिससे घर बैठे ही स्वास्थ्य जांच संभव हो सकेगी।
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