आतंकवाद और आतंरिक सुरक्षा के खतरों से निपटने में अब इंसानों की जान खतरे में नहीं डाली जाएगी। तकनीक ने एक और बड़ी छलांग लगाई है। अब ऐसे उन्नत बम डिफ्यूजिंग रोबोट विकसित किए जा चुके हैं जो विस्फोटक निष्क्रिय करने जैसे जोखिम भरे काम पूरी तरह स्वचालित रूप से और बिना मानवीय हस्तक्षेप के कर सकेंगे।
इन रोबोटों की तैनाती अब सुरक्षा बलों, बम निरोधक दस्तों और संवेदनशील संस्थानों में की जा रही है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO), इंडियन आर्मी और अन्य एजेंसियां इस दिशा में पहले से ही सक्रिय हैं, और अब इनका प्रयोग तेजी से देशभर में फैलाया जा रहा है।
कैसे काम करता है यह रोबोट?
यह रोबोट एक उन्नत तकनीक से लैस है जिसमें हाई-डेफिनिशन कैमरे, सेंसर, ग्रैबिंग आर्म्स, और रिमोट कंट्रोल यूनिट शामिल हैं। बम की लोकेशन, प्रकार और रिस्क लेवल को ये रोबोट कुछ ही मिनटों में पहचान लेते हैं और एक्शन लेते हैं।
360 डिग्री कैमरा: विस्फोटक की पूरी जांच कर पाता है
मैनिपुलेटर आर्म: संदिग्ध वस्तु को उठाकर सुरक्षित स्थान तक ले जा सकता है
डिसरप्टर सिस्टम: बम के सर्किट को बिना धमाके के निष्क्रिय करने में सक्षम
रिमोट ऑपरेशन: सैनिक या ऑपरेटर एक सुरक्षित दूरी से इन्हें नियंत्रित कर सकता है
कहां हो रही है तैनाती?
इन रोबोटों को जम्मू-कश्मीर, नक्सल प्रभावित इलाकों, मेट्रो सिटी की हाई-सिक्योरिटी जोन, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन और संवेदनशील सरकारी भवनों में तैनात किया जा रहा है। हाल ही में दिल्ली पुलिस की बम स्क्वाड ने AI आधारित एक नए मॉडल का प्रयोग सफलता से किया है।
धमाके की आशंका होगी लगभग शून्य
इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यदि बम में विस्फोटक एक्टिवेट हो भी जाए, तो रोबोट इसे सुरक्षित रूप से निष्क्रिय कर सकता है। इससे सैनिकों और आम नागरिकों की जान बचाने में बड़ी मदद मिलेगी।
सुरक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह एक “गेम चेंजर” साबित होगा, खासकर उन इलाकों में जहां मैन्युअल बम डिफ्यूजिंग में जान का खतरा बना रहता है।
क्या कहती है सेना?
भारतीय सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, “अब हमारे जवानों की जान जोखिम में नहीं रहेगी। ये रोबोट बहुत ही कुशलता से काम करते हैं और फील्ड ट्रायल्स में इनकी सफलता दर 95% से अधिक रही है।”
अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरा
भारत में बनाए गए ये बम डिफ्यूजिंग रोबोट अब अंतरराष्ट्रीय मानकों पर भी खरे उतर रहे हैं। कई देश भारतीय तकनीक में रुचि दिखा रहे हैं और इन रोबोट्स के निर्यात की संभावनाएं भी खुल रही हैं।
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