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अर्थराइटिस से राहत पाने के लिए अपनाएं ये 5 योगासन

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जोड़ों के दर्द से परेशान अर्थराइटिस के मरीजों के लिए राहत की खबर है। आज के व्यस्त जीवन में सही खानपान और नियमित व्यायाम की कमी के कारण यह समस्या तेजी से बढ़ रही है। हालांकि दवाओं के साथ-साथ योगासन भी इस बीमारी को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, योग न केवल जोड़ों के दर्द को कम करता है, बल्कि शरीर की लचक और मजबूती बढ़ाने में भी मदद करता है।

अर्थराइटिस क्या है?
अर्थराइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें जोड़ों में सूजन और दर्द होता है। यह समस्या खासकर बुजुर्गों में आम है, लेकिन अब युवा वर्ग में भी इसका बढ़ता प्रकोप चिंताजनक है। असली चुनौती होती है, इस दर्द से आराम पाना और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखना। योगासन इस दिशा में एक प्राकृतिक और प्रभावी उपाय साबित हो रहे हैं।

योगासन जो देते हैं लाभ
विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ खास योगासनों को नियमित करने से जोड़ों की सूजन कम होती है और मांसपेशियों में लचीलापन आता है। इससे मरीजों को न केवल दर्द में कमी महसूस होती है, बल्कि वे रोजमर्रा के कामों को सहजता से कर पाते हैं। आइए जानते हैं वे पांच योगासन जो अर्थराइटिस के लिए वरदान साबित हो सकते हैं:

वृक्षासन (Tree Pose)
यह योगासन शरीर की संतुलन क्षमता को बढ़ाता है और पैरों के जोड़ों को मजबूत बनाता है। स्थिर खड़े रहना जोड़ों के दर्द को कम करने में सहायक होता है।

वज्रासन (Thunderbolt Pose)
वज्रासन शरीर के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। यह विशेषकर घुटनों के दर्द से राहत देने में मदद करता है।

भुजंगासन (Cobra Pose)
इस आसन से पीठ की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है और जोड़ों के साथ जुड़ी नसों को राहत मिलती है।

अर्ध मत्स्येन्द्रासन (Half Spinal Twist Pose)
यह योगासन कमर और कूल्हों के जोड़ो को मजबूत करता है और उनमें लचीलापन लाता है।

सेतु बंधासन (Bridge Pose)
सेतु बंधासन कूल्हे, पीठ और घुटनों के जोड़ो के लिए लाभकारी है। इससे जोड़ों का दर्द कम होता है और रक्त संचार बेहतर होता है।

योग से पहले सावधानियां
अर्थराइटिस के मरीजों को योगासन करने से पहले चिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। हल्के-फुल्के व्यायाम से शुरुआत करें और शरीर की स्थिति के अनुसार आसनों का अभ्यास करें।

नियमितता है जरूरी
योग से बेहतर परिणाम पाने के लिए नियमित अभ्यास बेहद आवश्यक है। साथ ही, सही खानपान और जीवनशैली में सुधार भी उतना ही जरूरी है।

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