नई दिल्ली: चीन ने उन देशों को सीधी चेतावनी दी है जो अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने की सोच रहे हैं। चीन का कहना है कि ऐसे समझौतों से बीजिंग को नुकसान हो सकता है। यह चेतावनी सोमवार को आई। खबरों के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका दूसरे देशों को चीन के साथ व्यापार कम करने के बदले में टैरिफ में छूट दे सकता है।चीन की कॉमर्स मिनिस्ट्री ने कहा कि वह सभी पक्षों का सम्मान करता है कि वे अमेरिका के साथ बराबरी के आधार पर बातचीत करके अपने आर्थिक और व्यापारिक मतभेदों को सुलझाएं। लेकिन चीन ने यह साफ कर दिया कि अगर ऐसे समझौते से उसे नुकसान होता है तो वह चुप नहीं रहेगा। ...तो अमेरिका की तरह कदम उठाएगा चीनमंत्रालय ने कहा कि चीन किसी भी ऐसे समझौते को कभी स्वीकार नहीं करेगा जो चीन की कीमत पर हो। मंत्रालय ने आगे कहा कि अगर ऐसा कोई समझौता किया जाता है, तो चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा और इसका दृढ़ता से और उसी तरह से जवाब देगा। इसका मतलब है कि चीन भी वैसे ही कदम उठाएगा जैसे अमेरिका ने उठाए हैं।यह प्रतिक्रिया ट्रंप के उन प्रयासों के बाद आई है जिसमें वे चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते कम करने वाले देशों को प्रोत्साहन देकर वैश्विक व्यापार संबंधों को फिर से बनाने की कोशिश कर रहे हैं। चीन इसे आर्थिक दबाव का एक तरीका मानता है। 'चापलूसी' पर क्या कहा?बीजिंग ने उन सरकारों की भी आलोचना की जो अमेरिका की मांगों के आगे झुक सकती हैं। चीन के वाणिज्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि चापलूसी से शांति नहीं मिलेगी और समझौते का सम्मान नहीं किया जाएगा। उन्होंने इसे अमेरिका के दबाव के आगे नासमझी से झुकना बताया।चीन का मानना है कि सभी पक्षों को टैरिफ के मुद्दे पर निष्पक्षता और न्याय के साथ खड़ा होना चाहिए। चीन को उम्मीद है कि उसके व्यापारिक साझेदार इन मूल्यों का पालन करेंगे।अपने वैश्विक भागीदारों के लिए एक सुलह वाले लहजे में मंत्रालय ने कहा कि वह सभी पक्षों के साथ एकजुटता और समन्वय को मजबूत करने, स्थिति से निपटने के लिए हाथ मिलाने और एकतरफा दादागिरी का संयुक्त रूप से विरोध करने के लिए तैयार है। क्या है चीन का संकेत?यह आह्वान अमेरिकी प्रभाव को संतुलित करने के लिए समान विचारधारा वाली अर्थव्यवस्थाओं के साथ सहयोग को मजबूत करने के चीन के इरादे को दर्शाता है। यह संदेश इस बात का भी संकेत है कि चीन सक्रिय रूप से उन देशों का गठबंधन बनाने की कोशिश कर रहा है जो वाशिंगटन की आक्रामक टैरिफ नीतियों का विरोध करते हैं।
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