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क्या सिर्फ टेक स्टूडेंट्स ही AI सीख सकते हैं? जानिए 5 मिथक की सच्चाई, जो रोक रहे हैं आपकी कामयाबी का रास्ता

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आज की पढ़ाई और करियर की दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सबसे बड़ा गेम चेंजर बन चुका है। हर सेक्टर, चाहे वह एजुकेशन हो, बिजनेस हो या हेल्थ, AI काम को स्मार्ट बनाने में मदद कर रहा है। लेकिन इसके बावजूद, स्टूडेंट्स के मन में AI को लेकर कई गलतफहमियां (Myths) बैठी हुई हैं। इन मिथकों की वजह से वे न तो AI सीखने की कोशिश करते हैं और न ही नए अवसरों को पकड़ पाते हैं।

असलियत यह है कि AI किसी एक विषय या टेक्निकल बैकग्राउंड तक सीमित नहीं है। आज AI हर स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए सीखना आसान हो गया है। बस जरूरत है कि आप इन झूठी धारणाओं से बाहर निकलें और खुद को भविष्य की स्किल्स से लैस करें। जानिए वे 5 बड़े मिथक, जो स्टूडेंट्स को पीछे खींचते हैं और उनकी सच्चाई।


मिथक 1: AI सिर्फ टेक्निकल या इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के लिए हैAI का नाम सुनते ही कंप्यूटर साइंस या इंजीनियरिंग दिमाग में आता है। लेकिन सच्चाई यह है कि AI सिर्फ कोडिंग वालों की दुनिया नहीं है।


सच्चाई
  • आज कई नो-कोड प्लेटफॉर्म (जैसे Teachable Machine, Microsoft Lobe) उपलब्ध हैं, जिनसे आप बिना कोड लिखे मॉडल बना सकते हैं।
  • कंपनियों को मार्केटिंग, पॉलिसी और एजुकेशन जैसे फील्ड्स में ऐसे लोग चाहिए, जो AI को अपनी डोमेन नॉलेज के साथ जोड़ सकें।
  • शुरुआती ऑनलाइन कोर्सेज पहले कॉन्सेप्ट सिखाते हैं और बाद में कोडिंग जोड़ते हैं। यानी आप धीरे-धीरे AI की दुनिया में उतर सकते हैं। अगर एआई को और करीब से समझना है और उसका फायदा उठाना है तो NBT Upskill's AI की करियर ग्रोथ वर्कशॉप ज्वॉइन कर सकते हैं।

मिथक 2: AI सीखने के लिए कोडिंग एक्सपर्ट बनना जरूरी हैस्टूडेंट्स अक्सर सोचते हैं कि जब तक उन्हें प्रोग्रामिंग की हर लाइन नहीं आती, वे AI में कदम नहीं रख सकते।


सच्चाई
  • लो-कोड और नो-कोड टूल्स जैसे Orange और RapidMiner से आप ड्रैग-एंड-ड्रॉप के जरिए मशीन लर्निंग वर्कफ्लो बना सकते हैं।
  • कई शुरुआती कोर्स क्विज और डेमो के जरिए एल्गोरिदम समझाते हैं, बिना कोड दिखाए।
  • जब कॉन्सेप्ट क्लियर हो जाते हैं तो ज्यादातर प्रैक्टिकल काम छोटी-छोटी स्क्रिप्ट्स (10 लाइन से भी कम) से हो जाता है।

मिथक 3: AI आने से हर एंट्री-लेवल नौकरी खत्म हो जाएगीरोबोट्स हमारी जॉब छीन लेंगे, यह सबसे ज्यादा डर फैलाने वाला मिथक है।

सच्चाई
  • कुछ टास्क्स ऑटोमेट होंगे, लेकिन इसी के साथ नई जॉब कैटेगरीज भी पैदा होंगी, जैसे डेटा ट्रांसलेटर, AI एथिक्स स्पेशलिस्ट और मशीन लर्निंग सुपरवाइजर।
  • एंट्री-लेवल जॉब्स का रोल बदल रहा है। अब काम सिर्फ डेटा एंट्री का नहीं, बल्कि AI सिस्टम्स को सुपरवाइज और सुधारने का है।
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम भी कह चुका है कि AI लाखों नई नौकरियां बनाएगा। यानी जो स्टूडेंट्स अभी से AI सीख लेंगे, वे आगे की दौड़ में आगे रहेंगे।

मिथक 4: सिर्फ बड़े-बड़े डेटा सेट ही काम आते हैंकई स्टूडेंट्स सोचते हैं कि जब तक उनके पास लाखों-करोड़ों डेटा नहीं होंगे, वे AI का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।

सच्चाई
  • AI में सबसे बड़ा रूल है, Garbage In, Garbage Out। यानी अगर डेटा गलत है तो बड़ा डेटा भी किसी काम का नहीं।
  • छोटे लेकिन सही और साफ-सुथरे डेटा सेट्स कई बार बड़े डेटा से भी बेहतर रिजल्ट देते हैं।
  • छोटे प्रोजेक्ट्स न सिर्फ जल्दी पूरे होते हैं, बल्कि कम खर्चे में अच्छे नतीजे भी देते हैं।

मिथक 5: AI सीखने के लिए एडवांस मैथ्स आना जरूरी हैस्टूडेंट्स अक्सर सोचते हैं कि AI सीखने के लिए उन्हें भारी-भरकम मैथ्स या पीएचडी लेवल का नॉलेज चाहिए।

सच्चाई:
  • AI की लाइब्रेरीज जैसे TensorFlow, Scikit-learn पहले से ही जटिल गणनाएं अपने आप कर लेती हैं। आपको बस कमांड देना होता है।
  • ज्यादातर कोर्सेज पहले ग्राफ और सिमुलेशन से कांसेप्ट समझाते हैं, फिर जरूरत पड़ने पर फॉर्मूले सिखाते हैं।
  • हर AI रोल में मैथ्स जरूरी नहीं होता। जैसे AI प्रोडक्ट मैनेजर, डेटा एनोटेटर और AI एथिक्स रिव्यूअर जैसी नौकरियों में डोमेन नॉलेज और सॉफ्ट स्किल्स ज्यादा काम आते हैं।

अब स्टूडेंट्स क्या करें?अगर आप AI सीखना चाहते हैं तो शुरुआत छोटे-छोटे स्टेप्स से करें-
  • कोई एक नो-कोड टूल चुनें और मिनी-प्रोजेक्ट बनाएं।
  • फिर एक शॉर्ट ऑनलाइन कोर्स से कॉन्सेप्ट्स को और पक्का करें।
  • कॉलेज क्लब, ऑनलाइन कम्युनिटी या किसी छोटे प्रोजेक्ट में शामिल होकर रियल-लाइफ एप्लीकेशन पर काम करें।

AI अब सिर्फ टेक गीक्स की चीज नहीं रही। यह हर स्ट्रीम, हर करियर और हर स्टूडेंट के लिए उतना ही जरूरी है जितना इंटरनेट या स्मार्टफोन। जो स्टूडेंट्स इन मिथकों को छोड़कर आगे बढ़ेंगे, वही आने वाले समय में करियर की रेस में सबसे आगे रहेंगे।
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