इंडिया का लीगल सिस्टम समय के साथ मॉडर्नाइजेशन की ओर बढ़ रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), हर फील्ड में बदलाव ला रहा है। अब कोर्ट के कामकाज में भी एआई का इस्तेमाल किया जाने लगा है। यह पहल ई-कोर्ट प्रोजेक्ट फेज-III के अंतर्गत शुरू हुई है। अगर आप लॉ में करियर बनाना चाहते हैं तो एआई का महत्व भी समझना होगा।
सुप्रीम कोर्ट और मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस ने माना है कि न्यायतंत्र में एआई टेक्नोलॉजी एफिशिएंसी और ट्रांसपेरेंसी बढ़ाता है। इनसे केस मैनेजमेंट स्मूथ होता है तो फायदा वकील, जज और आरोपियों को भी होता है। इस तरह की पहल ने कोर्ट का कामकाज बदला है, इसके बारे में लॉ स्टूडेंट्स को भी जान लेना चाहिए। इसमें NBT Upskill AI की करियर ग्रोथ वर्कशॉप काफी मदद कर सकती है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं।
केस शेड्यूलिंगइंटेलिजेंट शेड्यूलिंग और केस प्रिडिक्शन जैसे बेहद उलझे हुए मैनेजमेंट को फिक्स करने का बड़ा काम एआई कर रहा है। इनसे हियरिंग टाइम पर हो पाती है और केस सालों साल लटके रहने का डर नहीं रहता है। केस के प्रिडिक्शन की बात करें तो पुराने डेटा के आधार पर एआई निर्णय देता है तो केस के उन एंगल पर भी ध्यान जाता है, जिनके नजरअंदाज होने की संभावना रहती है।
ऑटोमेटेड फाइलिंगडॉक्यूमेंट ऑटोमेशन और OCR टेक्नोलॉजी भी अब एआई आधारित हैं, जो डॉक्यूमेंट फाइलिंग की स्पीड और सटीकता को बनाकर रखती है। इस तरह से मैनुअल डाटा एंट्री में होने वली गलतियों से बचा जा सकता है। फिर कोर्ट स्टाफ पर प्रशासनिक बोझ भी कम होता जाता है।
लीगल रिसर्च और ट्रांसलेशनकोर्ट की कार्यवाही में भाषा बड़ी रोक साबित होती है। कुछ लीगल शब्द ऐसे होते हैं, जिनका ट्रांसलेशन करके ही बात समझ में आती है। ठीक इसी समय एआई काम आता है। एआई के नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग के साथ जज और वकील, दोनों को ट्रांसलेशन तुरंत मिल सकता है। लीगल सिस्टम में कई भाषाओं का इस्तेमाल होता है इसलिए हर भाषा का अनुवाद करके काम को आगे बढ़ाना कठिन नहीं होता है।
रियल टाइम केस अपडेटकेस की कार्यवाही के दौरान कई दफा ऐसी अपडेट चाहिए होती है जो आगे बढ़ने के लिए जरूरी होती है। इस वक्त एआई रियल टाइम अपडेट देता है। जिससे केस बेसिक सवालों या इनपुट के लिए रुकता नहीं है। जानकारी तुरंत मिलती है इसलिए किसी को भी इंतजार नहीं करना पड़ता है।
बहस का ट्रांसक्रिप्शनएआई-पॉवर्ड स्पीच टू टेक्स्ट टूल का इस्तेमाल कोर्ट के कामों में खूब किया जा रहा है। इसमें कोर्ट में की गई बहस को टेक्स्ट फॉर्म में बदलना और फिर डॉक्यूमेंट बनाना आसान होता जाता है। काफी समय बचता है तो केस जल्दी आगे बढ़ते हैं।
संक्षेप में होगा कामएआई ऐसा टूल है जो लंबे और भारी-भरकम लीगल डाक्यूमेंट्स को संक्षेप में बदल देता है। इससे की-पॉइंट तुरंत मिल जाते हैं। यह सेंसिटिव सिचुएशन में काफी काम का फीचर साबित होता है। लीगल मामलों की सेंसिटिविटी को देखते हुए यह भी जरूरी है कि एआई से जुड़ी ट्रेनिंग स्टाफ और अधिकारीयों को दी जाए। ताकि एआई के इस्तेमाल से सामने आने वाली चुनौतियों का हल आसानी से निकाला जा सके।
सुप्रीम कोर्ट और मिनिस्ट्री ऑफ लॉ एंड जस्टिस ने माना है कि न्यायतंत्र में एआई टेक्नोलॉजी एफिशिएंसी और ट्रांसपेरेंसी बढ़ाता है। इनसे केस मैनेजमेंट स्मूथ होता है तो फायदा वकील, जज और आरोपियों को भी होता है। इस तरह की पहल ने कोर्ट का कामकाज बदला है, इसके बारे में लॉ स्टूडेंट्स को भी जान लेना चाहिए। इसमें NBT Upskill AI की करियर ग्रोथ वर्कशॉप काफी मदद कर सकती है। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं।
केस शेड्यूलिंगइंटेलिजेंट शेड्यूलिंग और केस प्रिडिक्शन जैसे बेहद उलझे हुए मैनेजमेंट को फिक्स करने का बड़ा काम एआई कर रहा है। इनसे हियरिंग टाइम पर हो पाती है और केस सालों साल लटके रहने का डर नहीं रहता है। केस के प्रिडिक्शन की बात करें तो पुराने डेटा के आधार पर एआई निर्णय देता है तो केस के उन एंगल पर भी ध्यान जाता है, जिनके नजरअंदाज होने की संभावना रहती है।
ऑटोमेटेड फाइलिंगडॉक्यूमेंट ऑटोमेशन और OCR टेक्नोलॉजी भी अब एआई आधारित हैं, जो डॉक्यूमेंट फाइलिंग की स्पीड और सटीकता को बनाकर रखती है। इस तरह से मैनुअल डाटा एंट्री में होने वली गलतियों से बचा जा सकता है। फिर कोर्ट स्टाफ पर प्रशासनिक बोझ भी कम होता जाता है।
लीगल रिसर्च और ट्रांसलेशनकोर्ट की कार्यवाही में भाषा बड़ी रोक साबित होती है। कुछ लीगल शब्द ऐसे होते हैं, जिनका ट्रांसलेशन करके ही बात समझ में आती है। ठीक इसी समय एआई काम आता है। एआई के नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग के साथ जज और वकील, दोनों को ट्रांसलेशन तुरंत मिल सकता है। लीगल सिस्टम में कई भाषाओं का इस्तेमाल होता है इसलिए हर भाषा का अनुवाद करके काम को आगे बढ़ाना कठिन नहीं होता है।
रियल टाइम केस अपडेटकेस की कार्यवाही के दौरान कई दफा ऐसी अपडेट चाहिए होती है जो आगे बढ़ने के लिए जरूरी होती है। इस वक्त एआई रियल टाइम अपडेट देता है। जिससे केस बेसिक सवालों या इनपुट के लिए रुकता नहीं है। जानकारी तुरंत मिलती है इसलिए किसी को भी इंतजार नहीं करना पड़ता है।
बहस का ट्रांसक्रिप्शनएआई-पॉवर्ड स्पीच टू टेक्स्ट टूल का इस्तेमाल कोर्ट के कामों में खूब किया जा रहा है। इसमें कोर्ट में की गई बहस को टेक्स्ट फॉर्म में बदलना और फिर डॉक्यूमेंट बनाना आसान होता जाता है। काफी समय बचता है तो केस जल्दी आगे बढ़ते हैं।
संक्षेप में होगा कामएआई ऐसा टूल है जो लंबे और भारी-भरकम लीगल डाक्यूमेंट्स को संक्षेप में बदल देता है। इससे की-पॉइंट तुरंत मिल जाते हैं। यह सेंसिटिव सिचुएशन में काफी काम का फीचर साबित होता है। लीगल मामलों की सेंसिटिविटी को देखते हुए यह भी जरूरी है कि एआई से जुड़ी ट्रेनिंग स्टाफ और अधिकारीयों को दी जाए। ताकि एआई के इस्तेमाल से सामने आने वाली चुनौतियों का हल आसानी से निकाला जा सके।
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