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देश में नया आपराधिक कानून लागू होने के बाद कंविक्शन रेट कितना बदला और लक्ष्य क्या है? आंकड़ों से जानें

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नई दिल्ली: भारत में न्याय व्यवस्था को प्रभावी, भरोसेमंद और सबके वास्ते सुलभ बनाने के लिए पिछले साल नए आपराधिक कानूनों को लागू किया गया था। केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानून—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का उद्देश्य केवल इन कानूनों को आधुनिक बनाना नहीं, बल्कि देश में कंविक्शन रेट यानी दोषसिद्धि दर में भी उल्लेखनीय सुधार करना भी है। वर्तमान में देश की औसत कंविक्शन रेट 54% है, और केंद्र सरकार का लक्ष्य इसे अगले तीन दशकों में 94% तक ले जाना है। मौजूदा कंविक्शन रेट और लक्ष्यकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, देश में अभी औसतन 54% कंविक्शन रेट दर्ज की गई है। सरकार का मानना है कि यदि सभी जांच एजेंसियां वैज्ञानिक तरीकों को अपनाएं, तो देशभर में कंविक्शन रेट को 40% तक और बढ़ाया जा सकता है, जिससे यह 94% तक पहुंच सकता है। तीन नए आपराधिक कानून के अंतर्गत वैज्ञानिक जांच, वीडियो कांफ्रेंसिंग, गवाहों के बयानों की रिकॉर्डिंग जैसे प्रावधान किए गए हैं। ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी (NJA) की ओर से राज्यों के लिए मॉडल नियम और SOPs तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें राज्य अपनी आवश्यकतानुसार अपनाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि जहां सजा 7 साल या उससे अधिक की है, वहां जांच अधिकारी वैज्ञानिक जांच को अनिवार्य रूप से अपनाएं, या फिर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई संभव होगी। (नीचे ग्राफिक्स देखें) image NIA की वजह से आतंकियों की सजा सुनिश्चितहालांकि, आतंकवाद से जुड़ी वारदातों में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आरोपियों को कंविक्शन तक पहुंचाने में दुनिया भर की एंटी-टेरर एजेंसियों को पीछे छोड़ दिया है। NIA से जुड़े मामलों में देश में कंविक्शन रेट 95% तक पहुंच चुकी है, जो आतंकवाद के मामलों में वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है। इसकी वजह ये मानी जा रही है कि एजेंसी ने साक्ष्य जुटाने से लेकर अदालती प्रक्रियाओं तक में वैज्ञानिक तकीनीकों का भरपूर इस्तेमाल किया है, जो अन्य गंभीर आपराधिक मामलों में भी जांच एजेंसियों और पुलिस के लिए एक नजीर बन सकती है। (ग्राफिक्स नीचे देखें) image कंविक्शन रेट बढ़ाने में विज्ञान प्रभावीहालांकि, तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से पहले से ही देश में कंविक्शन रेट में बेहतरी नजर आना शुरू हो चुका है। मसलन, साल 2018 में संज्ञेय अपराधों के मामले में कंविक्शन रेट 66.6% था। वहीं 2019 में ऐसे अपराधों में कंविक्शन रेट 66.4% दर्ज किया गया। जबकि, 2020 के आंकड़ों के मुताबिक यह बढ़कर 73.4% तक पहुंच गया। यह सुधार दिखाता है कि यदि उचित तकनीकी और फोरेंसिक सहयोग मिले, तो दोषियों को सजा दिलाना और भी ज्यादा संभव हो सकता है।(ग्राफिक्स नीचे देखें) image AI और डेटा का इस्तेमालयही वजह है कि सरकार अब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के माध्यम से अपराध और जांच संबंधी बिखरे हुए डेटा को एकीकृत करने के काम में जुटी हुई है। इससे जांच एजेंसियों को न केवल अपराध की प्रवृत्तियों को समझने में मदद मिल रही है, बल्कि रणनीति तैयार करने में भी सहूलियत हो रही है। इसके लिए अलग-अलग तरह के डेटाबेस तैयार किए जा रहे हैं। 100% पुलिस स्टेशन CCTNS (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम ) से जुड़ चुके हैं, जिससे देश भर के 14.19 करोड़ FIR और संबंधित दस्तावेज ऑनलाइन उपलब्ध हैं। 22,000 अदालतों में ई-कोर्ट सुविधा की स्थापना हो चुकी है। 2.19 करोड़ कैदियों का डेटा ई-प्रिजन पोर्टल पर उपलब्ध है। 1.93 करोड़ मामलों की जानकारी ई-प्रॉसिक्यूशन सिस्टम में रिकॉर्ड की गई हैं। 39 लाख फोरेंसिक सबूत ई-फोरेंसिक सिस्टम में दर्ज हैं। 1.53 करोड़ आरोपियों के फिंगरप्रिंट्स NAFIS (नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेश सिस्टम) में मौजूद हैं। मानव तस्करी करने वाले अपराधियों का भी डेटाबेस तैयार किया गया है। यह डिजिटल पारदर्शिता न केवल मामलों की निगरानी आसान बनाती है, बल्कि सबूतों को मजबूत कर दोषसिद्धि सुनिश्चित करने में सहायक होती है। (ग्राफिक्स नीचे देखें) image फोरेंसिक साइंस को बढ़ावाकेंद्र सरकार ने आपराधिक मामलों में जल्द से जल्द 'फुलप्रूफ' कंविक्शन सुनिश्चित करने की दिशा में बेहतर से बेहतर प्रोफेशनल तैयार करने के लिए 2020 में नेशनल फोरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी (NFSU) की स्थापना की थी। अब तक इसके 7 कैंपस स्थापित हो चुके हैं, और मौजूदा साल (2025) में इसके 9 नए कैंपस खोलने की योजना है। भविष्य में हर राज्य में इसका कम से कम एक कैंपस होगा। गृह मंत्रालय के अनुसार, हर ऐसे अपराध स्थल पर जहां सजा सात साल या उससे अधिक की है, वहां वैज्ञानिक जांच अनिवार्य की गई है। इसके लिए देश को 30,000 प्रशिक्षित फोंरेंसिक विशेषज्ञों की जरूरत है। हर साल NFSU से 36,000 छात्र स्नातक होंगे, जो सरकारी और निजी फोरेंसिक लैब्स में काम करेंगे। (ग्राफिक्स नीचे देखें) image कानून के प्रति भरोसा बढ़ाने की पहलनए आपराधिक कानूनों के साथ-साथ जिस तरह अत्याधुनिक तकनीक, फोरेंसिक साइंस, डिजिटल नेटवर्किंग और AI का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को एक वैज्ञानिक, पारदर्शी और तेज और फुलप्रूफ व्यवस्था में बदलने की दिशा में बड़ा कदम है। कंविक्शन रेट का 94% तक पहुंचना सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि यह पीड़ितों को न्याय दिलाने, अपराधियों को सजा दिलाने और नागरिकों में कानून के प्रति भरोसा कायम रखने की एक मजबूत नींव भी है।
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