नई दिल्ली: दुनिया में इस वक्त भारत के कितने दोस्त हैं या भारत ने ऐसे कितने दोस्त बनाए हैं, जो वक्त पर खड़े हो सकें। आप जवाब तलाशने जाएंगे तो शायद कोई भी नहीं मिलेगा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के अरसे से दोस्ताना निभाने वाला रूस भी खुलकर हमारे समर्थन में नहीं आया था। अमेरिका का तो मसला ही अलग था। बाकी जिन देशों से भारत के अच्छे संबंध हैं, वो भी खुलकर बोलने से बचते आए। सबने गोल-मोल अंदाज में ही जवाब दिया। वहीं, पाकिस्तान को कई देशों का खुलकर समर्थन मिला। इसी कड़ी में उसे एक और दोस्त का साथ मिल गया है।
पाकिस्तान को मिल गया बड़ा साथी, कौन है वो
हाल ही में 17 सितंबर को पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक पारस्परिक रक्षा समझौता कर लिया है। यह पैक्ट पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की रियाद की राजकीय यात्रा के दौरान हुआ। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट' नाम का यह समझौता दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत करता है। इस पैक्ट में यह बात प्रमुखता से है कि एक देश पर हमला होने की स्थिति में दूसरा देश भी उसे अपने ऊपर हमला मानेगा और ऐसे में दोनों ही देश जवाब देंगे।
भारतीय विदेश मंत्रालय भी भांप रहा है
भारतीय विदेश मंत्रालय भी इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि सरकार को इस बात की जानकारी थी कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे समझौते को औपचारिक रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस घटनाक्रम के राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेगी। बयान में यह भी कहा गया कि सरकार भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और सभी क्षेत्रों में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान और सऊदी अरब का यह समझौता किसलिए
मिंट पर छपी रिपोर्ट में रायटर्स के हवाले से बताया गया है कि यह समझौता वर्षों की बातचीत का परिणाम है। यह किसी विशिष्ट देश या विशिष्ट घटनाओं की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और गहन सहयोग का संस्थागत रूप है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब खाड़ी के राजतंत्र लंबे समय से चली आ रही सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए इजरायल और ईरान दोनों के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।
सऊदी अरब के भारत के साथ संबंधों का क्या होगा
डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी बताते हैं कि भले ही पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब ने रक्षा समझौता किया है, मगर वह भारत से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहेगा। क्योंकि सऊदी अरब के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं। वैसे भी पूरा का पूरा खाड़ी देश भारतीयों से अटा पड़ा है। हालांकि, ऐसे समझौते के स्थिति में सऊदी को पाकिस्तान का साथ देना बड़ी मजबूरी हो जाएगी। लड़ाई होने पर वह सीधे अटैक करने के बजाया सैन्य हथियारों से मदद कर सकता है।
पाकिस्तान की ताकत इन चार की वजह से बढ़ी
डिफेंस एनालिस्ट जेएस सोढ़ी बताते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ तीन देश खड़े थे। चीन, तुर्की और अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था। अब इस समझौते से पाकिस्तान को सऊदी अरब का भी पक्का साथ मिल जाएगा।वहीं, भारत को अमेरिका, रूस या किसी और देश का साथ खुलकर नहीं मिला था। रूस ने भी दबे मन से ही भारत का साथ दिया था।
भारत को अपनी रक्षा तैयारियां बढ़ानी चाहिए
डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी के अनुसार, भारत को अपनी रक्षा तैयारियां तेज करनी चाहिए और उसे दुनिया के बाकी देशों के साथ भी अपने रक्षा संबंध बढ़ाने चाहिए। सऊदी अरब की सेना भले ही छोटी हो, मगर उसके पास सैन्य ताकत काफी ज्यादा है। उसे अमेरिका, चीन, रूस सबसे अत्याधुनिक हथियार मिलते हैं। भारत को भी सऊदी अरब के साथ संबंधों को और ज्यादा बढ़ाना चाहिए, क्योंकि सऊदी अरब पहले भी आतंकवाद के मामले पर भारत का साथ देता आया है।
पाकिस्तान को मिल गया बड़ा साथी, कौन है वो
हाल ही में 17 सितंबर को पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक पारस्परिक रक्षा समझौता कर लिया है। यह पैक्ट पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की रियाद की राजकीय यात्रा के दौरान हुआ। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 'स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट' नाम का यह समझौता दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी सुरक्षा साझेदारी को और मजबूत करता है। इस पैक्ट में यह बात प्रमुखता से है कि एक देश पर हमला होने की स्थिति में दूसरा देश भी उसे अपने ऊपर हमला मानेगा और ऐसे में दोनों ही देश जवाब देंगे।
भारतीय विदेश मंत्रालय भी भांप रहा है
भारतीय विदेश मंत्रालय भी इस पूरे मामले पर नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि सरकार को इस बात की जानकारी थी कि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे समझौते को औपचारिक रूप दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस घटनाक्रम के राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेगी। बयान में यह भी कहा गया कि सरकार भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा और सभी क्षेत्रों में व्यापक राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पाकिस्तान और सऊदी अरब का यह समझौता किसलिए
मिंट पर छपी रिपोर्ट में रायटर्स के हवाले से बताया गया है कि यह समझौता वर्षों की बातचीत का परिणाम है। यह किसी विशिष्ट देश या विशिष्ट घटनाओं की प्रतिक्रिया नहीं है, बल्कि दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक और गहन सहयोग का संस्थागत रूप है। यह समझौता ऐसे समय में हुआ है जब खाड़ी के राजतंत्र लंबे समय से चली आ रही सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिए इजरायल और ईरान दोनों के साथ संबंधों को संतुलित करने की कोशिश कर रहे हैं।
सऊदी अरब के भारत के साथ संबंधों का क्या होगा
डिफेंस एक्सपर्ट लेफ्टिनेंट कर्नल (रि.) जेएस सोढ़ी बताते हैं कि भले ही पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब ने रक्षा समझौता किया है, मगर वह भारत से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहेगा। क्योंकि सऊदी अरब के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं। वैसे भी पूरा का पूरा खाड़ी देश भारतीयों से अटा पड़ा है। हालांकि, ऐसे समझौते के स्थिति में सऊदी को पाकिस्तान का साथ देना बड़ी मजबूरी हो जाएगी। लड़ाई होने पर वह सीधे अटैक करने के बजाया सैन्य हथियारों से मदद कर सकता है।
पाकिस्तान की ताकत इन चार की वजह से बढ़ी
डिफेंस एनालिस्ट जेएस सोढ़ी बताते हैं कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ तीन देश खड़े थे। चीन, तुर्की और अजरबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था। अब इस समझौते से पाकिस्तान को सऊदी अरब का भी पक्का साथ मिल जाएगा।वहीं, भारत को अमेरिका, रूस या किसी और देश का साथ खुलकर नहीं मिला था। रूस ने भी दबे मन से ही भारत का साथ दिया था।
भारत को अपनी रक्षा तैयारियां बढ़ानी चाहिए
डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी के अनुसार, भारत को अपनी रक्षा तैयारियां तेज करनी चाहिए और उसे दुनिया के बाकी देशों के साथ भी अपने रक्षा संबंध बढ़ाने चाहिए। सऊदी अरब की सेना भले ही छोटी हो, मगर उसके पास सैन्य ताकत काफी ज्यादा है। उसे अमेरिका, चीन, रूस सबसे अत्याधुनिक हथियार मिलते हैं। भारत को भी सऊदी अरब के साथ संबंधों को और ज्यादा बढ़ाना चाहिए, क्योंकि सऊदी अरब पहले भी आतंकवाद के मामले पर भारत का साथ देता आया है।
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