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हाईकोर्ट की राहत के चंद घंटे बाद ही आजम खां को बड़ा झटका, रिहाई पर लटक गई तलवार, जेल से नहीं आएंगे बाहर

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रामपुर: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खां को हाईकोर्ट से राहत मिलने के कुछ घंटे बाद रामपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। क्वालिटी बार मामले में रिकार्ड रूम के अभिलेखों में हेराफेरी और साक्ष्य मिटाने के आरोपों में उनके खिलाफ दाखिल एडिशनल चार्जशीट पर गुरुवार को स्थानीय अदालत ने संज्ञान लेते हुए बढ़ी तीनों धाराओं में आजम को 20 सितंबर को तलब किया है।



दरअसल क्वालिटी बार प्रकरण में हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद माना जा रहा था कि आजम की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है लेकिन, कुछ ही घंटे बाद ही एमपी-एमएलए मस्जिट्रेट कोर्ट के निर्णय से आजम की रिहाई में पेंच फंस गया है। कानून के जानकारों की मानें तो आजम खां को अब इन बढ़ी तीनों धाराओं में अलग से जमानत करानी पड़ेगी, उसी के बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो सकेगा।



क्वालिटी बार प्रकरण में राहत, लेकिन अधूरी

आजम खां पर आरोप है कि उन्होंने सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के सईद नगर हरदोई पट्टी में हाईवे पर स्थित क्वालिटी बार पर अवैध कब्जा किया था। इस मामले में 21 नवंबर 2019 को तत्कालीन राजस्व निरीक्षक अनंगराज सिंह ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।



शुरुआत में इस प्रकरण में आजम खां का नाम नहीं था। पुलिस ने सबसे पहले जिला सहकारी संघ के पूर्व चेयरमैन सैयद जफर अली जाफरी, उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा और बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम को आरोपी बनाया। बाद में विवेचना के दौरान आजम खां पर भी धोखाधड़ी, साक्ष्य नष्ट करने और आपराधिक षड्यंत्र के आरोप में चार्जशीट दाखिल की गई। एमपी-एमएलए कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद आजम खां ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 21 अगस्त को इस पर फैसला सुरक्षित रख लिया था और बीते गुरुवार को सुनवाई के बाद उन्हें जमानत दे दी। लेकिन इसी बीच उनकी मुश्किलें और गहरा गईं।



शत्रु संपत्ति मामले में नई धाराएं

क्वालिटी बार प्रकरण में राहत मिलने के बाद भी आजम खां जेल से बाहर नहीं आ पा रहे हैं। वजह यह है कि उन पर शत्रु संपत्ति के अभिलेख खुर्द-बुर्द करने के आरोप से जुड़े मुकदमे में नई धाराएं लगा दी गई हैं। यह मुकदमा 9 मई 2020 को सिविल लाइंस थाने में दर्ज कराया गया था। शिकायतकर्ता कलक्ट्रेट रिकॉर्ड रूम के सहायक अभिलेखपाल मोहम्मद फरीद थे। इसमें आजम खां और उनके परिवार के अलावा कलक्ट्रेट के पूर्व कर्मचारी भगवंत को भी आरोपी बनाया गया था। इस मामले में पहले आजम खां को जमानत मिल चुकी थी। लेकिन बाद में भगवंत सरकारी गवाह बन गया। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने अग्रिम विवेचना की और इस केस में आईपीसी की तीन गंभीर धाराएं—467, 471 और 201 जोड़ते हुए पूरक आरोप पत्र अदालत में दाखिल कर दिया।



कोर्ट का नया आदेश, वारंट के लिए तलब

वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी राकेश कुमार मौर्य और सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कुमार सक्सेना के मुताबिक, नई धाराओं के जुड़ने के बाद अभियोजन पक्ष ने अदालत से प्रार्थना की कि आजम खां को न्यायिक अभिरक्षा में लेकर सीतापुर जेल से तलब किया जाए। बचाव पक्ष ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई, लेकिन गुरुवार को एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) ने अभियोजन की दलीलें मानते हुए आजम खां को 20 सितंबर को वारंट के लिए तलब किया है। इसका अर्थ है कि अब उन्हें इन धाराओं में भी अलग से जमानत लेनी होगी।



कौन-कौन सी धाराएं बढ़ाई गईं?

अभियोजन पक्ष के अनुसार, जो धाराएं बढ़ाई गई हैं वे बेहद गंभीर हैं और इनमें आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है। धारा 467 (अभिलेख की जालसाजी): इसमें उन मामलों की सजा तय है जहां किसी दस्तावेज की फर्जी तरीके से जालसाजी की जाती है। धारा 471 (जाली दस्तावेज का उपयोग): यह धारा तब लगती है जब कोई व्यक्ति धोखाधड़ी के इरादे से जाली दस्तावेज का इस्तेमाल करता है। धारा 201 (साक्ष्य मिटाना): इस धारा में उन अपराधों को शामिल किया गया है जहां अपराध को छिपाने या साक्ष्य नष्ट करने की कोशिश की जाती है। इन तीनों धाराओं के जुड़ने से आजम खां के सामने कानूनी संकट और गहरा गया है।

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