बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते ही राजनीतिक समीकरण उलझते जा रहे हैं। एक तरफ जहां महागठबंधन के नेता सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बना पा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ NDA ने सीटों के बंटवारे की घोषणा तो कर दी है, लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, इस सवाल पर फंसा हुआ है। इस उलझन ने चुनाव को और भी दिलचस्प बना दिया है।
चुनाव से काफी पहले से ही बिहार में दो मुख्य राजनीतिक खेमे साफ थे। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें करीब आईं, मामला पेचीदा होता चला गया। महागठबंधन के नेता, जो चुनाव से पहले एक साथ वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे थे, अब सीटों के बंटवारे पर एकमत नहीं हो पा रहे हैं। दूसरी तरफ, NDA ने सीटों के बंटवारे की घोषणा में बाजी मार ली, लेकिन मुख्यमंत्री के सवाल पर ऐसा फंस गया कि गठबंधन की जमीनी हकीकत पर ही सवाल उठने लगे हैं।
नहीं बनी सहमति : महागठबंधन में नेताओं के बीच चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले तो काफी मेलजोल दिखता था। लेकिन सीट बंटवारे की बातचीत शुरू होते ही उनके लिए एक नतीजे पर पहुंचना मुश्किल हो गया। बार-बार सीट बंटवारे की घोषणा का समय आगे खिसकाया गया। पहले नामांकन की आखिरी तारीख बीत गई, फिर नामांकन वापसी की आखिरी तारीख भी निकल गई, और सहमति बनने की उम्मीद अधूरी रह गई। कम से कम पहले चरण के चुनाव के लिए तो यही कहानी रही।
मुख्यमंत्री का सवाल : दिलचस्प बात यह है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह सवाल दोनों ही खेमों को परेशान कर रहा है। महागठबंधन में RJD की जिद के बावजूद कांग्रेस अभी तक CM फेस घोषित करने पर राजी नहीं हुई है। इस गठबंधन में CPI (ML) भी एक अहम सहयोगी है। उसने भी आधिकारिक तौर पर RJD नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बताने से मना कर दिया है, लेकिन वह उनके नाम का समर्थन जरूर कर रही है। दूसरी तरफ NDA में, पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने और फिर LJP नेता चिराग पासवान ने यह बात दोहराई कि चुनाव के नतीजे आने के बाद विधायक मुख्यमंत्री तय करेंगे। इसके बाद JDU प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही होंगे।
अंतर्विरोध का असर: फिलहाल महागठबंधन में अंतर्विरोध सिर्फ कुछ सीटों तक सीमित दिख सकते हैं, जहां 'फ्रेंडली फाइट' यानी आपसी सहमति से चुनाव लड़ने की बात हो सकती है। वहीं NDA में, पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए LJP और JDU लगभग हर सीट पर एक-दूसरे के खिलाफ तलवारें ताने दिख सकते हैं। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि BJP और JDU, अपना मुख्यमंत्री बनवाने की चाहत में, एक-दूसरे की सीटें किस हद तक बढ़ने देना चाहेंगे।
दिलचस्प मुकाबला : निश्चित रूप से, इन अंतर्विरोधों ने पहले से ही दिलचस्प इस चुनावी लड़ाई के सस्पेंस को और बढ़ा दिया है। यह देखना बाकी है कि ये उलझनें चुनाव के नतीजों को कैसे प्रभावित करती हैं।
चुनाव से काफी पहले से ही बिहार में दो मुख्य राजनीतिक खेमे साफ थे। लेकिन जैसे-जैसे चुनाव की तारीखें करीब आईं, मामला पेचीदा होता चला गया। महागठबंधन के नेता, जो चुनाव से पहले एक साथ वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे थे, अब सीटों के बंटवारे पर एकमत नहीं हो पा रहे हैं। दूसरी तरफ, NDA ने सीटों के बंटवारे की घोषणा में बाजी मार ली, लेकिन मुख्यमंत्री के सवाल पर ऐसा फंस गया कि गठबंधन की जमीनी हकीकत पर ही सवाल उठने लगे हैं।
नहीं बनी सहमति : महागठबंधन में नेताओं के बीच चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले तो काफी मेलजोल दिखता था। लेकिन सीट बंटवारे की बातचीत शुरू होते ही उनके लिए एक नतीजे पर पहुंचना मुश्किल हो गया। बार-बार सीट बंटवारे की घोषणा का समय आगे खिसकाया गया। पहले नामांकन की आखिरी तारीख बीत गई, फिर नामांकन वापसी की आखिरी तारीख भी निकल गई, और सहमति बनने की उम्मीद अधूरी रह गई। कम से कम पहले चरण के चुनाव के लिए तो यही कहानी रही।
मुख्यमंत्री का सवाल : दिलचस्प बात यह है कि चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह सवाल दोनों ही खेमों को परेशान कर रहा है। महागठबंधन में RJD की जिद के बावजूद कांग्रेस अभी तक CM फेस घोषित करने पर राजी नहीं हुई है। इस गठबंधन में CPI (ML) भी एक अहम सहयोगी है। उसने भी आधिकारिक तौर पर RJD नेता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बताने से मना कर दिया है, लेकिन वह उनके नाम का समर्थन जरूर कर रही है। दूसरी तरफ NDA में, पहले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने और फिर LJP नेता चिराग पासवान ने यह बात दोहराई कि चुनाव के नतीजे आने के बाद विधायक मुख्यमंत्री तय करेंगे। इसके बाद JDU प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री तो नीतीश कुमार ही होंगे।
अंतर्विरोध का असर: फिलहाल महागठबंधन में अंतर्विरोध सिर्फ कुछ सीटों तक सीमित दिख सकते हैं, जहां 'फ्रेंडली फाइट' यानी आपसी सहमति से चुनाव लड़ने की बात हो सकती है। वहीं NDA में, पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए LJP और JDU लगभग हर सीट पर एक-दूसरे के खिलाफ तलवारें ताने दिख सकते हैं। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि BJP और JDU, अपना मुख्यमंत्री बनवाने की चाहत में, एक-दूसरे की सीटें किस हद तक बढ़ने देना चाहेंगे।
दिलचस्प मुकाबला : निश्चित रूप से, इन अंतर्विरोधों ने पहले से ही दिलचस्प इस चुनावी लड़ाई के सस्पेंस को और बढ़ा दिया है। यह देखना बाकी है कि ये उलझनें चुनाव के नतीजों को कैसे प्रभावित करती हैं।
You may also like
भोपाल में प्रेमिका से नाराज युवक ने खुदकुशी की
0% Making Charge वाले गहनों में छिपा है ये बड़ा झांसा, जानें कैसे बचें
एक साल के बच्चे ने कोबरा को काटा, सांप की` हो गई मौत
Gold Price : धनतेरस के बाद सोना महंगा होगा या सस्ता? जानिए विशेषज्ञों की राय
Surya Ghar Bijli Yojana : सोलर पैनल पर सरकार दे रही ₹50,000 तक की सब्सिडी, ऐसे करें आवेदन