लखनऊ: देश-प्रदेश में डेढ़ दशक बाद होने वाली जनगणना की तैयारियां तेज हो गई है। पहली बार होने जा रही डिजिटल जनगणना के चलते प्रक्रिया में कई बदलाव किए गए है। जमीन पर इनको लागू करने में कोई समस्या न आए, इसके लिए इन बदलावों का 10 नवंबर से 30 नवंबर तक रिहर्सल होगा। यूपी के तीन जिले बुलंदशहर, बहराइच व प्रयागराज के कुछ इलाके इसे रिहर्सल का हिस्सा होंगे। इसकी तैयारियों को लेकर मंगलवार को मुख्य सचिव व जनगणना कार्य निदेशालय के अधिकारियों की बैठक भी होगी।
प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रिहर्सल के दौरान घर-घर जाकर परिवार में सदस्यों की संख्या, आयु, शिक्षा, पेशा, आवास की स्थिति और अन्य सामाजिक-आर्थिक विवरण की जानकारी उसी तरह ली जाएगी जैसे जनगणना के दौरान ली जानी है। इससे जनगणना कर्मियों के प्रशिक्षण की परख भी हो सकेगी और कोई तकनीकी खामी होगी तो उसे भी दूर किया जाएगा।
डिजिटल एंट्री होगी, महिला कर्मियो को वरीयता: जनगणना के लिए जो निर्देश दिए गए है उसमें कहा गया है कि प्री टेस्ट के दौरान यह प्रयास होगा कि इसमें 25-50% तक महिला कर्मचारियों को शामिल किया जाए। शिक्षक, सरकारी, अर्धसरकारी कर्मी संगणक व पर्यवेक्षक की ड्यूटी में लगाए जाएंगे, जबकि, तहसीलदार, बीडीओ, ईओ आदि चार्ज अफसर की भूमिका में होंगे। प्री-टेस्ट के दौरान डिजिटल डिवाइस उपयोग भी किया जाएगा।
टैबलेट और मोबाइल ऐप से डेटा एंट्री की जाएगी ताकि समय की बचत हो और सटीकता बनी रहे। इसके अलावा, जनगणना कर्मियों को डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के नियमों की जानकारी भी दी जाएगी। इस अभ्यास में न केवल जनसंख्या का आकलन होगा, बल्कि स्वच्छता से जुड़े पहलुओं की भी। जांच की जाएगी। घरों में शौचालय की उपलब्धता, कचरा संग्रहण की व्यवस्था और पेयजल की स्थिति पर भी जानकारी जुटाई जाएगी। प्री-टेस्ट पूरा होने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
प्रशासनिक बदलावों की सूची तैयार करने के निर्देश
गृह मंत्रालय ने सभी प्रशासनिक इकाइयों मसलन जिला, तहसील, ब्लॉक और गांव की अपडेट सूची तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। 1 जून 2010 से इस साल 30 जून तक हुए बदलावों की सूची भेजी जा चुकी है। इसके बाद 31 दिसंबर तक अगर कोई बदलाव होते हैं तो उसकी रिपोर्ट 10 जनवरी तक भेजनी होगी। 31 दिसंबर के बाद
प्रशासनिक इकाइयों के बदलाव पर रोक रहेगी। इन बदलावों में नए जिले या तहसील का निर्माण, मौजूदा इकाइयों की सीमा में परिवर्तन, नाम या वर्तनी में बदलाव, गांवों का विभाजन या विलय, नगरों की सीमाओं में फेरबदल, वॉडों की पुनः सीमांकन जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। गांवों की सूची में सभी बसे और निर्जन गांवों के साथ-साथ टोलों को भी शामिल करने को कहा गया है। इसके लिए तहसील स्तर पर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपडेट नक्शों के आधार पर सभी बदलावों को चिह्नित करें।
प्रक्रिया से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि रिहर्सल के दौरान घर-घर जाकर परिवार में सदस्यों की संख्या, आयु, शिक्षा, पेशा, आवास की स्थिति और अन्य सामाजिक-आर्थिक विवरण की जानकारी उसी तरह ली जाएगी जैसे जनगणना के दौरान ली जानी है। इससे जनगणना कर्मियों के प्रशिक्षण की परख भी हो सकेगी और कोई तकनीकी खामी होगी तो उसे भी दूर किया जाएगा।
डिजिटल एंट्री होगी, महिला कर्मियो को वरीयता: जनगणना के लिए जो निर्देश दिए गए है उसमें कहा गया है कि प्री टेस्ट के दौरान यह प्रयास होगा कि इसमें 25-50% तक महिला कर्मचारियों को शामिल किया जाए। शिक्षक, सरकारी, अर्धसरकारी कर्मी संगणक व पर्यवेक्षक की ड्यूटी में लगाए जाएंगे, जबकि, तहसीलदार, बीडीओ, ईओ आदि चार्ज अफसर की भूमिका में होंगे। प्री-टेस्ट के दौरान डिजिटल डिवाइस उपयोग भी किया जाएगा।
टैबलेट और मोबाइल ऐप से डेटा एंट्री की जाएगी ताकि समय की बचत हो और सटीकता बनी रहे। इसके अलावा, जनगणना कर्मियों को डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के नियमों की जानकारी भी दी जाएगी। इस अभ्यास में न केवल जनसंख्या का आकलन होगा, बल्कि स्वच्छता से जुड़े पहलुओं की भी। जांच की जाएगी। घरों में शौचालय की उपलब्धता, कचरा संग्रहण की व्यवस्था और पेयजल की स्थिति पर भी जानकारी जुटाई जाएगी। प्री-टेस्ट पूरा होने के बाद रिपोर्ट तैयार की जाएगी।
प्रशासनिक बदलावों की सूची तैयार करने के निर्देश
गृह मंत्रालय ने सभी प्रशासनिक इकाइयों मसलन जिला, तहसील, ब्लॉक और गांव की अपडेट सूची तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं। 1 जून 2010 से इस साल 30 जून तक हुए बदलावों की सूची भेजी जा चुकी है। इसके बाद 31 दिसंबर तक अगर कोई बदलाव होते हैं तो उसकी रिपोर्ट 10 जनवरी तक भेजनी होगी। 31 दिसंबर के बाद
प्रशासनिक इकाइयों के बदलाव पर रोक रहेगी। इन बदलावों में नए जिले या तहसील का निर्माण, मौजूदा इकाइयों की सीमा में परिवर्तन, नाम या वर्तनी में बदलाव, गांवों का विभाजन या विलय, नगरों की सीमाओं में फेरबदल, वॉडों की पुनः सीमांकन जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। गांवों की सूची में सभी बसे और निर्जन गांवों के साथ-साथ टोलों को भी शामिल करने को कहा गया है। इसके लिए तहसील स्तर पर अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे अपडेट नक्शों के आधार पर सभी बदलावों को चिह्नित करें।
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