नई दिल्ली: छोटी हाइट वाले दिव्यांग नवदीप सिंह ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में जैवलिन थ्रो इवेंट में अपने जांबाज प्रदर्शन का लोहा मनवाया। उन्होंने गोल्ड मेडल जीतते हुए फ्रांस की राजधानी पेरिस में तिरंगा फहराया तो दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद शीतल देवी ने इसी टूर्नामेंट में तीरंदाजी में इतिहास रचा। उनके नाम सिल्वर मेडल रहा। ये दो नाम तो सिर्फ उदाहरण हैं, करिश्माई दिव्यांग भारतीय एथलीटों की फेहरिस्त लंबी है। इनकी सफलता के पीछे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) से लेकर खेलो इंडिया और TOPS यानी Target Olympic Podium Scheme का अहम रोल रहता है। देश के लिए कुछ ऐसे ही एथलीट और निकलें इसके लिए एक होनहार स्टूडेंट राधिका ओझा पिछले 4-5 सालों से अनवरत काम कर रही हैं। यही वजह हैं कि उन्हें दिव्यांग एथलीटों के लिए काम करने की वजह से राष्ट्रीय खेल उत्कृष्टता समुदाय ट्रेलब्लेजर पुरस्कार 2025से सम्मानित किया गया है।राधिका को यह सम्मान दिव्यांग एथलीटों के लिए समावेशी खेल को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए मिला है। यह पुरस्कार उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने समुदायों को बदलने के लिए समावेशी पहल की हैं। राधिका का काम उम्मीद और बदलाव की किरण बनकर उभरा है। यह पुरस्कार खेल में समानता, पहुंच और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने वाले दूरदर्शी लोगों को पहचानता है। राधिका की प्रतिबद्धता दर्शाती है कि युवा नेतृत्व वाले जमीनी प्रयास पूरे देश में परिवर्तन ला सकते हैं।राधिका का कहना है- यह पुरस्कार उन लोगों के लिए है, जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है- दिव्यांग एथलीट, जो किसी भी अन्य खिलाड़ी की तरह ही मंच और प्रोत्साहन के हकदार हैं। राधिका की यात्रा उद्देश्यपूर्ण नेतृत्व का प्रतीक है। इंटरनेशनल बैकलॉरिएट की पढ़ाई के साथ-साथ सामुदायिक सेवा में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने सतत विकास और सामाजिक समानता पर केंद्रित कई पहल की हैं।पिछले 3-4 वर्षों में राधिका ने दिव्यांग एथलीटों के लिए अधिक भागीदारी, संसाधनों तक पहुंच और भावनात्मक समर्थन की वकालत की है। उनका काम इस गलत धारणा को चुनौती देता है कि शारीरिक अक्षमता का मतलब अक्षमता है। राधिका का कहना है- हमारे समाज को दिव्यांगों के लिए खेलों को असामान्य मानना बंद करना होगा। यह सामान्य होना चाहिए - किसी भी अन्य खेल की तरह। राधिका ओझा एक रोल मॉडल हैं। उन्होंने अपनी उपलब्धियों से यह साबित कर दिया है कि युवा शक्ति बदलाव ला सकती हैं।
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