नई दिल्ली: रूस से तेल खरीद में बड़ा पेच सामने आया है। यह भारत के लिए रूसी तेल खरीदने को जारी रखने का रास्ता साफ करता है। ऐसे में भारतीय तेल कंपनियां रूस से कच्चे तेल की खरीद पूरी तरह से बंद नहीं करेंगी। कारण है कि हालिया प्रतिबंध सिर्फ कुछ खास रूसी सप्लायर्स पर लगे हैं, न कि तेल पर। यह स्थिति गैर-प्रतिबंधित कंपनियों के जरिये तेल की सप्लाई जारी रखने का रास्ता खोलती है। अब तक चार रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं। लेकिन, भारत को सबसे ज्यादा तेल सप्लाई करने वाली कंपनी रोसनेफ्ट खुद तेल उत्पादक नहीं, बल्कि 'एग्रीगेटर' यानी जुटाने वाली कंपनी है। यह लगभग 45% तेल का प्रबंधन करती है। रूस के अलग-अलग इलाकों से कच्चे तेल (क्रूड) को अन्य गैर-प्रतिबंधित संस्थाएं जुटा करके भारत को भेज सकती हैं। इससे तेल की सप्लाई बनी रहेगी।
अमेरिका ने पिछले हफ्ते रूस की दो बड़ी तेल निर्यात करने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया था। इनमें रोसनेफ्ट और लुकोइल शामिल हैं। इसके बाद भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी तेल के लिए कोई नया ऑर्डर नहीं दिया है। वे इस बदले हुए हालात का जायजा ले रही हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन न हो।
भारत की तेल कंपनियों का रुख है साफ
आईओसी के डायरेक्टर (फाइनेंस) अनुज जैन ने साफ कहा है, 'जब तक हम प्रतिबंधों का पालन कर रहे हैं, हम रूसी कच्चे तेल की खरीद बिल्कुल बंद नहीं करेंगे। रूसी तेल पर प्रतिबंध नहीं है। प्रतिबंध संस्थाओं और सप्लाई चेन पर लगे हैं। अगर कोई मेरे पास किसी गैर-प्रतिबंधित संस्था के साथ आता है और (मूल्य) सीमा का पालन किया जा रहा है तो मैं उसे खरीदना जारी रखूंगा।'
अमेरिका ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बनाने के मकसद से रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए हैं। इससे पहले सुरगुटनेफ्टेगास पीएओ और गजप्रोम नेफ्ट जैसी प्रमुख उत्पादक कंपनियों को भी ब्लैक लिस्ट में डाला जा चुका है।
अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय कंपनियां यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि वे रूस में किन गैर-प्रतिबंधित कंपनियों से कितना तेल खरीद सकती हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जहां प्रतिबंधों के बावजूद तेल की खरीद जारी रह सकती है।
कैसे खरीदा जा सकता है रूसी तेल?
दरअसल, प्रतिबंधों का मतलब यह नहीं है कि रूस से तेल बिल्कुल नहीं खरीदा जा सकता। प्रतिबंध उन खास कंपनियों पर लगे हैं जो सीधे तौर पर रूसी तेल के उत्पादन या निर्यात से जुड़ी हैं। लेकिन, कोई कंपनी अगर सीधे तौर पर प्रतिबंधित नहीं है और वह रूस के विभिन्न स्रोतों से तेल इकट्ठा करके बेच रही है तो भारतीय कंपनियां उससे तेल खरीद सकती हैं। यह एक तरह से 'बैकडोर एंट्री' की तरह है, जहां प्रतिबंधों को दरकिनार कर तेल की सप्लाई जारी रखी जा सकती है।
भारतीय तेल कंपनियां इस बात का ध्यान रख रही हैं कि वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन न करें। वे यह सुनिश्चित कर रही हैं कि जो भी तेल वे खरीद रही हैं, वह प्रतिबंधों के दायरे में न आए। इसका मतलब है कि वे उन कंपनियों से तेल खरीदेंगी जिन पर सीधे तौर पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
यह स्थिति भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। रूस से तेल की खरीद जारी रखने से भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलेगी, खासकर जब वैश्विक तेल बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
अमेरिका ने पिछले हफ्ते रूस की दो बड़ी तेल निर्यात करने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया था। इनमें रोसनेफ्ट और लुकोइल शामिल हैं। इसके बाद भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी तेल के लिए कोई नया ऑर्डर नहीं दिया है। वे इस बदले हुए हालात का जायजा ले रही हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन न हो।
भारत की तेल कंपनियों का रुख है साफ
आईओसी के डायरेक्टर (फाइनेंस) अनुज जैन ने साफ कहा है, 'जब तक हम प्रतिबंधों का पालन कर रहे हैं, हम रूसी कच्चे तेल की खरीद बिल्कुल बंद नहीं करेंगे। रूसी तेल पर प्रतिबंध नहीं है। प्रतिबंध संस्थाओं और सप्लाई चेन पर लगे हैं। अगर कोई मेरे पास किसी गैर-प्रतिबंधित संस्था के साथ आता है और (मूल्य) सीमा का पालन किया जा रहा है तो मैं उसे खरीदना जारी रखूंगा।'
अमेरिका ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध खत्म करने के लिए रूस पर दबाव बनाने के मकसद से रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगाए हैं। इससे पहले सुरगुटनेफ्टेगास पीएओ और गजप्रोम नेफ्ट जैसी प्रमुख उत्पादक कंपनियों को भी ब्लैक लिस्ट में डाला जा चुका है।
अधिकारियों के मुताबिक, भारतीय कंपनियां यह समझने की कोशिश कर रही हैं कि वे रूस में किन गैर-प्रतिबंधित कंपनियों से कितना तेल खरीद सकती हैं। यह एक ऐसी स्थिति है जहां प्रतिबंधों के बावजूद तेल की खरीद जारी रह सकती है।
कैसे खरीदा जा सकता है रूसी तेल?
दरअसल, प्रतिबंधों का मतलब यह नहीं है कि रूस से तेल बिल्कुल नहीं खरीदा जा सकता। प्रतिबंध उन खास कंपनियों पर लगे हैं जो सीधे तौर पर रूसी तेल के उत्पादन या निर्यात से जुड़ी हैं। लेकिन, कोई कंपनी अगर सीधे तौर पर प्रतिबंधित नहीं है और वह रूस के विभिन्न स्रोतों से तेल इकट्ठा करके बेच रही है तो भारतीय कंपनियां उससे तेल खरीद सकती हैं। यह एक तरह से 'बैकडोर एंट्री' की तरह है, जहां प्रतिबंधों को दरकिनार कर तेल की सप्लाई जारी रखी जा सकती है।
भारतीय तेल कंपनियां इस बात का ध्यान रख रही हैं कि वे किसी भी अंतरराष्ट्रीय नियम का उल्लंघन न करें। वे यह सुनिश्चित कर रही हैं कि जो भी तेल वे खरीद रही हैं, वह प्रतिबंधों के दायरे में न आए। इसका मतलब है कि वे उन कंपनियों से तेल खरीदेंगी जिन पर सीधे तौर पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
यह स्थिति भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। रूस से तेल की खरीद जारी रखने से भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा बनाए रखने में मदद मिलेगी, खासकर जब वैश्विक तेल बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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