नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली को प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए इसी महीने के अंतिम दिनों में कृत्रिम बारिश करवाई जाएगी। इसकी तैयारियां अब लगभग पूरी हो गई है। इंतजार है पर्याप्त बादलों और नमी का। इस पूरी प्रक्रिया का ट्रायल रन सफलता से पूरा किया जा चुका है। हालांकि, इस बीच मौसम विभाग ने पूर्वानुमान दिया है कि 27 और 28 अक्टूबर को हल्की बारिश हो सकती है। वहीं, 29 अक्टूबर को आंशिक बादल रहेंगे। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी की रिपोर्ट के अनुसार राजधानी में यह तीसरी बार कृत्रिम बारिश की तैयारी है।
पहली बार 1957 में मॉनसून के दौरान कृत्रिम बारिश करवाई गई थी। इसके बाद इसे 1971-72 की सदियों में भी किया गया। 70 के दशक में कृत्रिम बारिश का ट्रायल नैशनल फिजिकल लेबोरेट्री कैंपस ने किया था। उस दौरान सेंट्रल दिल्ली के 25 किलोमीटर के हिस्से को कवर किया गया था। उस दौरान जमीन पर लगे जनरेटरों से सिल्वर आयोाइट के कणों को छोड़ा गया था और बादलों की नमी को बारिश की बूंदों में बदला गया था।
पूरी प्रक्रिया के लिए 22 दिन का चयन किया गया था
उस दौरान इस पूरी प्रक्रिया के लिए 22 दिन का चयन किया गया था। दिसंबर 1971 से मार्च 1972 के बीच यह दिन चुने गए थे। इस दौरान 11 दिनों तक क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया हुई। प्रीलिमिनरी विश्लेषण के दौरान इस प्रक्रिया के दौरान बारिश बढ़ गई थी। अब उस प्रक्रिया के 53 साल बाद गुरुवार को एक बार फिर बुराड़ी में इस प्रक्रिया का हल्का ट्रायल हुआ है।
एक अधिकारी के अनुसार बुराड़ी में जब यह ट्रायल हुआ, तो बादल काफी कम थे। हवा में नमी 20 प्रतिशत से भी कम थी। जबकि कृत्रिम बारिश के लिए हवा में 50 प्रतिशत नमी होनी चाहिए। इस प्रक्रिया की रिपोर्ट में IIT कानपुर ने कहा है कि इस फ्लाइट का मकसद क्लाउड सीटिंग की क्षमताओं को जांचना था। 1971-72 में कृत्रिम बारिश के दौरान सेंट्रल दिल्ली के 25 किलोमीटर के हिस्से को कवर किया गया था।
27 और 28 को हल्की बारिश की है संभावना
राजधानी दिल्ली में एक बार फिर मौसम करवट ले सकता है। पूर्वानुमान के अनुसार 27 और 25 अक्टूबर को हल्की बारिश हो सकती है। इसकी वजह से तापमान में गिरावट आएगी। 29 अक्टूबर को भी हल्के बादल रहेंगे। इसके बाद मौसम साफ होने लगेगा। राजधानी में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 32.3 डिग्री रहा। यह सामान्य से 0.4 डिग्री अधिक रहा। वहीं न्यूनतम तापमान 17 डिग्री रहा।
यह सामान्य से 3.2 डिग्री कम रहा। हवा में नमी का स्तर 53 से 59 प्रतिशत तक रहा। पूर्वानुमान के अनुसार शनिवार को अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम 17 डिग्री तक रह सकता है। इसके बाद रविवार को अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम 17 डिग्री रहेगा। 27 और 28 अक्टूबर को हल्की बारिश होगी।
शुक्रवार को मौसम साफ रहा
को शाम के समय और 25 को सुबह के समय हल्की बारिश या बूंदाचांदी हो सकती है। दोनों दिन अधिकतम तापमान 29 डिग्री और न्यूनतम 19 डिग्री तक रह सकता है। 29 और 30 अक्टूबर से मौसम साफ होने लगेगा। दोनों दिन अधिकतम तापमान 30 और न्यूनतम 19 डिग्री तक रह सकता है। इस बारिश के बाद तापमान में और अधिक गिरावट आ सकती है। नवंबर की शुरुआत सामान्य से कम तापमान पर हो सकती है।
अन्य हिस्सों में भी कृत्रिम बारिश
IITM एरोसोल इंटरेक्शन और रेनफॉल पनहेसमेंट एक्सपेरिमेट प्रोग्राम के तहत देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी वैज्ञानिकों ने बीते एक दशक में कृत्रिम बारिश करवाई है। महाराष्ट्र के सौलापुर में 2017-19 के दौरान कृत्रिम बारिश एक छोटे इलाके में करवाई गई। इन दो साल के दौरान 276 बादलों पर स्टडी की गई और क्लाउड तोडिंग का टेस्ट किया गया। इनकी रिपोर्ट के अनुसार इस प्रक्रिया से कुछ इलाकों में 48 प्रतिशत तक बारिश बढ़ी।
क्या होती है क्लाउड सीडिंग?
एयरक्राफ्ट की मदद से बादलों में कुछ केमिकल डाले जाते है। यह पानी की बूंदे बनाते हैं और बारिश करवाते हैं। यह मौसम को बदलने की सुरक्षित तकनीक मानी जाती है। इसमें आने वाला खर्च कई चीजों पर निर्भर करता है। इसमें जगह, तरीके और आकार सब चीजों का आकलन होता है। छोटे प्रोजेक्ट में लगभरा 12.5 से 41 लाख तक खर्च हो सकते हैं। बड़े प्रोजेक्ट पर 8 से 12 करोड रुपये तक खर्च आता है। राजधानी ने क्लाउड सीडिंग के 5 ट्रायल्स के लिए कुल 3.21 करोड़ रुपये मंजूर हुए है।
दो तकनीक होती हैं इसमें
क्लाउड सीडिंग की दो प्रकिया होती है। ठंडे बादलों के लिए बर्फ की बूंदे बनाई जाती है, जो पिघलकर बारिश देती है। वहीं, गर्म बादलों में नमक नमी सीखता है और भारी बूंदे गिराता है। इसकी सफलता दर 10 से 30 प्रतिशत तक हो सकते है। दिल्ली में ट्रायल में 90 मिनट की फ्लाइट में यह काम हो जाएगा।
प्रदूषण से लड़ने की तैयारियां अधूरी, ज्यादातर मशीनें खराब
दिल्ली में प्रदूषण ने अपने पैर पसार लिए हैं। एमसीडी के पास प्रदूषण से निपटने के लिए संसाधनों की भारी कमी है। एमसीडी अधिकारियों के यह सोचकर हाथ-पैर फूले हुए हैं कि चीफ सेक्रेटरी से लेकर एलजी और पीएमओ की बैठकों में क्या जवाच दे जिससे उनकी जान बच जाए। हालत यह है कि पिछले साल एमसीडी ने 225 के करीब वॉटर स्प्रिंकलर चलाए थे, उनमें से ज्यादातर खराब पड़े हुए है। इक्का दुक्का नोनों में कुछ वॉटर स्प्रिंकलर की कंडीशन ठीक भी है तो उनके लिए ड्राइवर ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि पिछले साल एमसीडी ने अलग अलग जगहों पर ऊंची बिल्डिंग्स पर 30 एंटी स्माग में गन भी लगाई थी, उनमें से भी ज्यादातर एंटी स्मॉग गन चलने की लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।
प्रदूषण बढ़ते ही दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने एमसीडी अधिकारियों के साथ मीटिंग कर उनसे प्रदूषण की तैयारियों के बारे में पूछा। मीटिंग में बताया गया कि इस समय दिल्ली में मुश्किल से 20-22 वॉटर स्प्रिंकलर चल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि चीफ सेक्रेटरी इसी बात को लेकर नाराज हो गए कि जब दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है. अब आकर एमसीडी अधिकारी उससे निपटने के लिए तैयारियां कर रहे हैं।
पहली बार 1957 में मॉनसून के दौरान कृत्रिम बारिश करवाई गई थी। इसके बाद इसे 1971-72 की सदियों में भी किया गया। 70 के दशक में कृत्रिम बारिश का ट्रायल नैशनल फिजिकल लेबोरेट्री कैंपस ने किया था। उस दौरान सेंट्रल दिल्ली के 25 किलोमीटर के हिस्से को कवर किया गया था। उस दौरान जमीन पर लगे जनरेटरों से सिल्वर आयोाइट के कणों को छोड़ा गया था और बादलों की नमी को बारिश की बूंदों में बदला गया था।
पूरी प्रक्रिया के लिए 22 दिन का चयन किया गया था
उस दौरान इस पूरी प्रक्रिया के लिए 22 दिन का चयन किया गया था। दिसंबर 1971 से मार्च 1972 के बीच यह दिन चुने गए थे। इस दौरान 11 दिनों तक क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया हुई। प्रीलिमिनरी विश्लेषण के दौरान इस प्रक्रिया के दौरान बारिश बढ़ गई थी। अब उस प्रक्रिया के 53 साल बाद गुरुवार को एक बार फिर बुराड़ी में इस प्रक्रिया का हल्का ट्रायल हुआ है।
एक अधिकारी के अनुसार बुराड़ी में जब यह ट्रायल हुआ, तो बादल काफी कम थे। हवा में नमी 20 प्रतिशत से भी कम थी। जबकि कृत्रिम बारिश के लिए हवा में 50 प्रतिशत नमी होनी चाहिए। इस प्रक्रिया की रिपोर्ट में IIT कानपुर ने कहा है कि इस फ्लाइट का मकसद क्लाउड सीटिंग की क्षमताओं को जांचना था। 1971-72 में कृत्रिम बारिश के दौरान सेंट्रल दिल्ली के 25 किलोमीटर के हिस्से को कवर किया गया था।
27 और 28 को हल्की बारिश की है संभावना
राजधानी दिल्ली में एक बार फिर मौसम करवट ले सकता है। पूर्वानुमान के अनुसार 27 और 25 अक्टूबर को हल्की बारिश हो सकती है। इसकी वजह से तापमान में गिरावट आएगी। 29 अक्टूबर को भी हल्के बादल रहेंगे। इसके बाद मौसम साफ होने लगेगा। राजधानी में शुक्रवार को अधिकतम तापमान 32.3 डिग्री रहा। यह सामान्य से 0.4 डिग्री अधिक रहा। वहीं न्यूनतम तापमान 17 डिग्री रहा।
यह सामान्य से 3.2 डिग्री कम रहा। हवा में नमी का स्तर 53 से 59 प्रतिशत तक रहा। पूर्वानुमान के अनुसार शनिवार को अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम 17 डिग्री तक रह सकता है। इसके बाद रविवार को अधिकतम तापमान 31 और न्यूनतम 17 डिग्री रहेगा। 27 और 28 अक्टूबर को हल्की बारिश होगी।
शुक्रवार को मौसम साफ रहा
को शाम के समय और 25 को सुबह के समय हल्की बारिश या बूंदाचांदी हो सकती है। दोनों दिन अधिकतम तापमान 29 डिग्री और न्यूनतम 19 डिग्री तक रह सकता है। 29 और 30 अक्टूबर से मौसम साफ होने लगेगा। दोनों दिन अधिकतम तापमान 30 और न्यूनतम 19 डिग्री तक रह सकता है। इस बारिश के बाद तापमान में और अधिक गिरावट आ सकती है। नवंबर की शुरुआत सामान्य से कम तापमान पर हो सकती है।
अन्य हिस्सों में भी कृत्रिम बारिश
IITM एरोसोल इंटरेक्शन और रेनफॉल पनहेसमेंट एक्सपेरिमेट प्रोग्राम के तहत देश के कुछ अन्य हिस्सों में भी वैज्ञानिकों ने बीते एक दशक में कृत्रिम बारिश करवाई है। महाराष्ट्र के सौलापुर में 2017-19 के दौरान कृत्रिम बारिश एक छोटे इलाके में करवाई गई। इन दो साल के दौरान 276 बादलों पर स्टडी की गई और क्लाउड तोडिंग का टेस्ट किया गया। इनकी रिपोर्ट के अनुसार इस प्रक्रिया से कुछ इलाकों में 48 प्रतिशत तक बारिश बढ़ी।
क्या होती है क्लाउड सीडिंग?
एयरक्राफ्ट की मदद से बादलों में कुछ केमिकल डाले जाते है। यह पानी की बूंदे बनाते हैं और बारिश करवाते हैं। यह मौसम को बदलने की सुरक्षित तकनीक मानी जाती है। इसमें आने वाला खर्च कई चीजों पर निर्भर करता है। इसमें जगह, तरीके और आकार सब चीजों का आकलन होता है। छोटे प्रोजेक्ट में लगभरा 12.5 से 41 लाख तक खर्च हो सकते हैं। बड़े प्रोजेक्ट पर 8 से 12 करोड रुपये तक खर्च आता है। राजधानी ने क्लाउड सीडिंग के 5 ट्रायल्स के लिए कुल 3.21 करोड़ रुपये मंजूर हुए है।
दो तकनीक होती हैं इसमें
क्लाउड सीडिंग की दो प्रकिया होती है। ठंडे बादलों के लिए बर्फ की बूंदे बनाई जाती है, जो पिघलकर बारिश देती है। वहीं, गर्म बादलों में नमक नमी सीखता है और भारी बूंदे गिराता है। इसकी सफलता दर 10 से 30 प्रतिशत तक हो सकते है। दिल्ली में ट्रायल में 90 मिनट की फ्लाइट में यह काम हो जाएगा।
प्रदूषण से लड़ने की तैयारियां अधूरी, ज्यादातर मशीनें खराब
दिल्ली में प्रदूषण ने अपने पैर पसार लिए हैं। एमसीडी के पास प्रदूषण से निपटने के लिए संसाधनों की भारी कमी है। एमसीडी अधिकारियों के यह सोचकर हाथ-पैर फूले हुए हैं कि चीफ सेक्रेटरी से लेकर एलजी और पीएमओ की बैठकों में क्या जवाच दे जिससे उनकी जान बच जाए। हालत यह है कि पिछले साल एमसीडी ने 225 के करीब वॉटर स्प्रिंकलर चलाए थे, उनमें से ज्यादातर खराब पड़े हुए है। इक्का दुक्का नोनों में कुछ वॉटर स्प्रिंकलर की कंडीशन ठीक भी है तो उनके लिए ड्राइवर ढूंढे नहीं मिल रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि पिछले साल एमसीडी ने अलग अलग जगहों पर ऊंची बिल्डिंग्स पर 30 एंटी स्माग में गन भी लगाई थी, उनमें से भी ज्यादातर एंटी स्मॉग गन चलने की लोगों को सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ।
प्रदूषण बढ़ते ही दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी ने एमसीडी अधिकारियों के साथ मीटिंग कर उनसे प्रदूषण की तैयारियों के बारे में पूछा। मीटिंग में बताया गया कि इस समय दिल्ली में मुश्किल से 20-22 वॉटर स्प्रिंकलर चल रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि चीफ सेक्रेटरी इसी बात को लेकर नाराज हो गए कि जब दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति दिनोंदिन खराब होती जा रही है. अब आकर एमसीडी अधिकारी उससे निपटने के लिए तैयारियां कर रहे हैं।
You may also like

स्वदेशी को प्रोत्साहन देने से भारत बनेगा विकसित राष्ट्र : ओममणि वर्मा

नशे की काली कमाई से बनाई गई अवैध संपत्ति पर चला पीला पंजा

जब बेटे ने पिता पर बहू से 'गैर संबंध' का लगाया था आरोप, फिर हुई संदिग्ध मौत… अब पूर्व DGP मोहम्मद मुस्तफा ने सब कुछ बताया सच-सच

NZ vs ENG 1st ODI Prediction: न्यूजीलैंड बनाम इंग्लैंड! यहां देखें संभावित XI, पिच रिपोर्ट और लाइव स्ट्रीमिंग से जुड़ी सभी जानकारी

एम्बुलेंस में सतीश शाह को दी गई थी सीपीआर, हिंदुजा अस्पताल ने जारी किया बयान




