लेखक: अमीन अली
अगर हम दुनिया के मशहूर पर्यटन स्थलों को ध्यान से देखें - जैसे बैंकॉक के स्ट्रीट मार्केट, सिंगापुर के हॉकर सेंटर, मैड्रिड के टापाज बार, मिलान के रेस्तरां या दुबई के आलीशान डाइनर, तो समझ आता है कि खाना किस तरह किसी जगह की पहचान गढ़ता है। इन जगहों पर भोजन केवल पेट भरने या स्वाद की चीज नहीं, यह दिल है वहां के पर्यटन का। टूरिस्ट वहां सिर्फ घूमने ही नहीं, खाने भी आते हैं। आज किसी एक डिश को चखने के लिए यात्रा की योजना बना लेना बड़ी बात नहीं। जापान, इटली, स्पेन, थाईलैंड, मेक्सिको और फ्रांस जैसे देशों ने अपने यहां की खानपान की विरासत को ग्लोबल ब्रैंड में बदल दिया है। अब वक्त है, भारत भी कुछ ऐसा ही करे।
मौका नहीं भुनाया: दुनिया में कहीं और इतने स्वाद नहीं, जितने भारत में। हर इलाके की अपनी लज्जत है। लखनऊ की महकती रसोइयों से लेकर केरल के मसालों के बागानों तक, दिल्ली की शाही थालियों से पंजाब के तंदूरों तक, समुद्र तटों वाली जगहों के सीफूड से पूर्वोत्तर के व्यंजनों तक - भारत का खाना स्थान और मौसम के हिसाब से बदल जाता है। खानपान की ऐसी समृद्ध परंपरा कहीं और नहीं मिलती। बावजूद इसके भारत ने अभी तक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अपने खाने का इस्तेमाल नहीं किया।
दबदबा तोड़ रहा: भारत के खानपान को पर्यटन के नक्शे पर लाने का इससे बेहतर समय नहीं मिलेगा। भारतीय भोजन को पूरे विश्व में अब केवल पसंद ही नहीं किया जा रहा, लोग उसे दिल से अपना रहे हैं और बनाना सीख रहे हैं। आज भारतीय व्यंजन दुनिया के बड़े रेस्तरां में जगह बना रहा है। पहले जहां फ्रांस, जापान जैसे देशों का दबदबा था, अब वहां भारत की खुशबू फैल रही है।
सफलता की लिस्ट: पिछले कुछ साल भारतीय खानपान के लिए ऐतिहासिक रहे। शेफ विजय कुमार को इस साल न्यू यॉर्क में सर्वश्रेष्ठ शेफ का प्रतिष्ठित James Beard Award मिला। उनके रेस्तरां 'Semma' ने फिर से Michelin Star हासिल किया। 'द न्यू यॉर्क टाइम्स' ने उसे न्यू यॉर्क का नंबर वन रेस्तरां बताया। दुबई का Tresind Studio पहला भारतीय रेस्तरां है, जिसे थ्री Michelin Stars मिले। इसी तरह, बैंकॉक में शेफ गरिमा अरोड़ा के रेस्तरां 'Gaa' के पास टू Michelin Stars हैं। दुनिया के 50 बेस्ट रेस्तरां में गगन आनंद का नाम लगातार बना हुआ है। न्यू यॉर्क में Bungalow हो, सैन फ्रांसिस्को में Copra या लंदन में कनिष्क, जिमखाना और दार्जिलिंग एक्सप्रेस - ये सभी भारतीय रसोई को नए अंदाज में पेश कर रहे हैं।
नए अनुभव: यानी विदेश में भारतीय खाना अब सिर्फ करी और नान तक सीमित नहीं रहा। यह हमारे इनोवेशन, परंपरा और कहानी को पेश कर रहा है। भारतीय शेफ दुनिया को हमारे मसालों, स्वाद और परंपराओं के नए अनुभव से वाकिफ करा रहे हैं। यानी खानपान की विरासत को अपनाने और पर्यटन की पहचान बनाने का समय आ चुका है।
थाली में संस्कृति: अब यात्रा की बातें खाने से शुरू होती हैं और खाने पर खत्म। टूरिस्ट इटली केवल घूमने नहीं, उसे चखने जाते हैं। जापान जाना केवल सैर के लिए नहीं, उसके स्वाद और रीति-रिवाजों को समझने के लिए होता है। थाईलैंड ने तो अपने पर्यटन उद्योग को ही खानपान के इर्द-गिर्द बुन डाला। यहां तक कि मेक्सिको ने भी खाने को पहचान बना ली, जो कभी अपने एक स्ट्रीट फूड taco के लिए ही जाना जाता था।
भारत के पास बढ़त: आज देशों में शाकाहार को अपनाया जा रहा, जबकि हमारे यहां यह सदियों पुरानी जीवन-दर्शन की परंपरा है। Mediterranean देश अपने भोजन को स्वास्थ्य का प्रतीक बना सकते हैं, तो भारत के लिए यह काम बहुत आसान है। वह संतुलित भोजन की वैश्विक राजधानी बन सकता है। सोचिए क्या जोड़ होगा जब स्थानीय शाकाहारी व्यंजन योग और आयुर्वेद के साथ मिल जाएं।
समृद्ध विरासत: भारत का हर व्यंजन यहां के मौसम, विश्वास, यादों और यात्राओं का आईना है। इसके बावजूद हमारा टूरिज्म अभी तक सिर्फ किलों, महलों और प्राकृतिक नजारों पर टिका है। ये शानदार हैं, पर खाना ही है, जो एक यात्री को उस जगह की आत्मा से जोड़ता है। यूरोप के वाइन रूट की तरह यहां भी फूड रूट बना सकते हैं - जैसे लखनऊ का कबाब ट्रेल, केरल का मसाला ट्रेल या दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की स्ट्रीट फूड सफारी।
अगर हम दुनिया के मशहूर पर्यटन स्थलों को ध्यान से देखें - जैसे बैंकॉक के स्ट्रीट मार्केट, सिंगापुर के हॉकर सेंटर, मैड्रिड के टापाज बार, मिलान के रेस्तरां या दुबई के आलीशान डाइनर, तो समझ आता है कि खाना किस तरह किसी जगह की पहचान गढ़ता है। इन जगहों पर भोजन केवल पेट भरने या स्वाद की चीज नहीं, यह दिल है वहां के पर्यटन का। टूरिस्ट वहां सिर्फ घूमने ही नहीं, खाने भी आते हैं। आज किसी एक डिश को चखने के लिए यात्रा की योजना बना लेना बड़ी बात नहीं। जापान, इटली, स्पेन, थाईलैंड, मेक्सिको और फ्रांस जैसे देशों ने अपने यहां की खानपान की विरासत को ग्लोबल ब्रैंड में बदल दिया है। अब वक्त है, भारत भी कुछ ऐसा ही करे।
मौका नहीं भुनाया: दुनिया में कहीं और इतने स्वाद नहीं, जितने भारत में। हर इलाके की अपनी लज्जत है। लखनऊ की महकती रसोइयों से लेकर केरल के मसालों के बागानों तक, दिल्ली की शाही थालियों से पंजाब के तंदूरों तक, समुद्र तटों वाली जगहों के सीफूड से पूर्वोत्तर के व्यंजनों तक - भारत का खाना स्थान और मौसम के हिसाब से बदल जाता है। खानपान की ऐसी समृद्ध परंपरा कहीं और नहीं मिलती। बावजूद इसके भारत ने अभी तक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए अपने खाने का इस्तेमाल नहीं किया।
दबदबा तोड़ रहा: भारत के खानपान को पर्यटन के नक्शे पर लाने का इससे बेहतर समय नहीं मिलेगा। भारतीय भोजन को पूरे विश्व में अब केवल पसंद ही नहीं किया जा रहा, लोग उसे दिल से अपना रहे हैं और बनाना सीख रहे हैं। आज भारतीय व्यंजन दुनिया के बड़े रेस्तरां में जगह बना रहा है। पहले जहां फ्रांस, जापान जैसे देशों का दबदबा था, अब वहां भारत की खुशबू फैल रही है।
सफलता की लिस्ट: पिछले कुछ साल भारतीय खानपान के लिए ऐतिहासिक रहे। शेफ विजय कुमार को इस साल न्यू यॉर्क में सर्वश्रेष्ठ शेफ का प्रतिष्ठित James Beard Award मिला। उनके रेस्तरां 'Semma' ने फिर से Michelin Star हासिल किया। 'द न्यू यॉर्क टाइम्स' ने उसे न्यू यॉर्क का नंबर वन रेस्तरां बताया। दुबई का Tresind Studio पहला भारतीय रेस्तरां है, जिसे थ्री Michelin Stars मिले। इसी तरह, बैंकॉक में शेफ गरिमा अरोड़ा के रेस्तरां 'Gaa' के पास टू Michelin Stars हैं। दुनिया के 50 बेस्ट रेस्तरां में गगन आनंद का नाम लगातार बना हुआ है। न्यू यॉर्क में Bungalow हो, सैन फ्रांसिस्को में Copra या लंदन में कनिष्क, जिमखाना और दार्जिलिंग एक्सप्रेस - ये सभी भारतीय रसोई को नए अंदाज में पेश कर रहे हैं।
नए अनुभव: यानी विदेश में भारतीय खाना अब सिर्फ करी और नान तक सीमित नहीं रहा। यह हमारे इनोवेशन, परंपरा और कहानी को पेश कर रहा है। भारतीय शेफ दुनिया को हमारे मसालों, स्वाद और परंपराओं के नए अनुभव से वाकिफ करा रहे हैं। यानी खानपान की विरासत को अपनाने और पर्यटन की पहचान बनाने का समय आ चुका है।
थाली में संस्कृति: अब यात्रा की बातें खाने से शुरू होती हैं और खाने पर खत्म। टूरिस्ट इटली केवल घूमने नहीं, उसे चखने जाते हैं। जापान जाना केवल सैर के लिए नहीं, उसके स्वाद और रीति-रिवाजों को समझने के लिए होता है। थाईलैंड ने तो अपने पर्यटन उद्योग को ही खानपान के इर्द-गिर्द बुन डाला। यहां तक कि मेक्सिको ने भी खाने को पहचान बना ली, जो कभी अपने एक स्ट्रीट फूड taco के लिए ही जाना जाता था।
भारत के पास बढ़त: आज देशों में शाकाहार को अपनाया जा रहा, जबकि हमारे यहां यह सदियों पुरानी जीवन-दर्शन की परंपरा है। Mediterranean देश अपने भोजन को स्वास्थ्य का प्रतीक बना सकते हैं, तो भारत के लिए यह काम बहुत आसान है। वह संतुलित भोजन की वैश्विक राजधानी बन सकता है। सोचिए क्या जोड़ होगा जब स्थानीय शाकाहारी व्यंजन योग और आयुर्वेद के साथ मिल जाएं।
समृद्ध विरासत: भारत का हर व्यंजन यहां के मौसम, विश्वास, यादों और यात्राओं का आईना है। इसके बावजूद हमारा टूरिज्म अभी तक सिर्फ किलों, महलों और प्राकृतिक नजारों पर टिका है। ये शानदार हैं, पर खाना ही है, जो एक यात्री को उस जगह की आत्मा से जोड़ता है। यूरोप के वाइन रूट की तरह यहां भी फूड रूट बना सकते हैं - जैसे लखनऊ का कबाब ट्रेल, केरल का मसाला ट्रेल या दिल्ली, मुंबई और कोलकाता की स्ट्रीट फूड सफारी।
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