सहरसा : लोक आस्था के महापर्व छठ की छटा अब पूरे प्रदेश में दिखने लगी है। इसी बीच एक वीडियो सोशल मीडिया एक्स पर वायरल हुआ है। उस वीडियो में दिख रहा है कि लोग ट्रेन की खिड़कियों पर लादे गए गन्ने को निकाल रहे हैं। कोच के अंदर बैठे यात्री चुपचाप देख रहे हैं। ट्रेन के अंदर घास के बंडल को भी रखा जा रहा है। बिहार के प्रमुख त्योहारों में से एक छठ पूजा है। चार दिनों तक चलने वाले इस पूजा में लोग भगवान भास्कर को अर्घ्य देते हैं। एक्स पर ट्रेन में गन्ना ले जाने वाला वीडियो लोगों ने खूब पसंद किया है। हालांकि, जिसने ये वीडियो डाला है। उसे लोगों ने खूब सुनाया है।
ट्रेन का वीडियो वायरल
वीडियो की पुष्टि एनबीटी ऑनलाइन नहीं करता है। वीडियो में दिखाया गया है कि सहरसा मानसी रेलखंड पर चलने वाली ट्रेन पर खिड़कियों के अंदर गन्ने के गट्ठर को ठूंसा जा रहा है। बंडल को ढेर करके हर कोनों में धकेला जा रहा है। गेट के अंदर घास के बंडल डाले जा रहे हैं। लोगों ने वीडियो पर काफी कमेंट किया है। कुछ लोगों ने इसमें पटना रेलवे इनोवेशन लैब नाम दिया है। ट्रेन को ट्रैक्टर और रेल का मिश्रण बताया है।
सहरसा- मानसी रेलखंड
वहीं कई यूजर ने कहा है कि सहरसा-मानसी रेलवे रूट पर यह बहुत आम है। एक और यूज़र ने बताया कि यह बिहार में एक इंटरसिटी एक्सप्रेस है। इस रूट पर सिर्फ़ तीन ट्रेनें छोटे स्टेशनों पर रुकती हैं। ये कई किसानों के लिए जीवन रेखा का काम करती हैं जो खेती से जुड़ी कई चीज़ें ले जाते हैं। एक टिप्पणी में लिखा था कि क्या आप कर्नाटक के अंदरूनी इलाकों में गए हैं, जहां रेलवे या सड़क संपर्क बहुत खराब है? मान लीजिए नहीं। गरीब और ग्रामीण लोगों के सामने बहुत सारी कठिनाइयां और चुनौतियां हैं। किसी राज्य का बचाव किए बिना, आप किसी भी व्यक्ति या राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर हंस नहीं सकते।
यूजर ने किया कमेंटएक यूजर ने कहा है कि यह कोई नई बात नहीं है। ग्रामीण लोग अपनी उपज को पास के बाज़ारों तक पहुंचाने के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर डिब्बे के अंदर ही, लेकिन कभी-कभी उन्हें बाहर खिड़की की सलाखों पर भी लटका दिया जाता है, खासकर भारी सामान के लिए। जैसे: गुजरात में दूध के डिब्बे ट्रेन के बाहर लटका दिए जाते हैं। लोगों ने वीडियो डालने वाले की आलोचना की है।
ट्रेन का वीडियो वायरल
वीडियो की पुष्टि एनबीटी ऑनलाइन नहीं करता है। वीडियो में दिखाया गया है कि सहरसा मानसी रेलखंड पर चलने वाली ट्रेन पर खिड़कियों के अंदर गन्ने के गट्ठर को ठूंसा जा रहा है। बंडल को ढेर करके हर कोनों में धकेला जा रहा है। गेट के अंदर घास के बंडल डाले जा रहे हैं। लोगों ने वीडियो पर काफी कमेंट किया है। कुछ लोगों ने इसमें पटना रेलवे इनोवेशन लैब नाम दिया है। ट्रेन को ट्रैक्टर और रेल का मिश्रण बताया है।
सहरसा- मानसी रेलखंड
वहीं कई यूजर ने कहा है कि सहरसा-मानसी रेलवे रूट पर यह बहुत आम है। एक और यूज़र ने बताया कि यह बिहार में एक इंटरसिटी एक्सप्रेस है। इस रूट पर सिर्फ़ तीन ट्रेनें छोटे स्टेशनों पर रुकती हैं। ये कई किसानों के लिए जीवन रेखा का काम करती हैं जो खेती से जुड़ी कई चीज़ें ले जाते हैं। एक टिप्पणी में लिखा था कि क्या आप कर्नाटक के अंदरूनी इलाकों में गए हैं, जहां रेलवे या सड़क संपर्क बहुत खराब है? मान लीजिए नहीं। गरीब और ग्रामीण लोगों के सामने बहुत सारी कठिनाइयां और चुनौतियां हैं। किसी राज्य का बचाव किए बिना, आप किसी भी व्यक्ति या राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर हंस नहीं सकते।
यूजर ने किया कमेंटएक यूजर ने कहा है कि यह कोई नई बात नहीं है। ग्रामीण लोग अपनी उपज को पास के बाज़ारों तक पहुंचाने के लिए ट्रेनों का इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर डिब्बे के अंदर ही, लेकिन कभी-कभी उन्हें बाहर खिड़की की सलाखों पर भी लटका दिया जाता है, खासकर भारी सामान के लिए। जैसे: गुजरात में दूध के डिब्बे ट्रेन के बाहर लटका दिए जाते हैं। लोगों ने वीडियो डालने वाले की आलोचना की है।
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