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न अमेरिका न रूस...AMCA के इंजन के लिए भारत ने इस देश से की डील, चीन से भी ताकतवर होगा

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नई दिल्ली: भारत ने अमेरिका या रूस पर अपनी रक्षा निर्भरता घटाने का फैसला किया है। भारत अपने पांचवीं पीढ़ी के उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (AMCA) के लिए अगली पीढ़ी के जेट इंजन के मिलकर विकास करने और इसे बनाने के लिए फ्रांस के साथ एक ऐतिहासिक साझेदारी शुरू करने की तैयारी कर रहा है। द इकोनॉमिक टाइम्स ने बीते 28 अगस्त को वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी दी थी। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और फ्रांसीसी एयरोस्पेस दिग्गज सफ्रान की भागीदारी वाली 7 अरब डॉलर की इस परियोजना से भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता में उल्लेखनीय वृद्धि और पेरिस के साथ रणनीतिक संबंधों के प्रगाढ़ होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि यह इंजन चीन के फाइटर जेट इंजन के मुकाबले काफी ताकतवर होगा। वेडनेसडे बिग टिकट में इसे समझते हैं।





120 किलोन्यूटन इंजनों का विकास

वरिष्ठ अधिकारियों ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि DRDO जल्द ही सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) से मंजूरी लेगा। इस सौदे, जिसमें पूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण शामिल है, के तहत भारत में दोहरे इंजन वाले AMCA और भविष्य के प्लेटफार्मों के लिए 120-किलोन्यूटन इंजनों का डिज़ाइन, परीक्षण, प्रमाणन और उत्पादन किया जाएगा। सफ्रान के प्रस्ताव, जिसे DRDO के गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान (GTRE) के साथ मिलकर अंजाम दिया गया है, उसे सबसे व्यवहार्य विकल्प के रूप में चुना गया। सफ्रान पहले से ही भारत में हेलीकॉप्टर इंजन बनाती है और लंबे समय से रक्षा साझेदार रही है।

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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की है पुष्टि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इकोनॉमिक टाइम्स वर्ल्ड लीडर्स फोरम के दौरान इस समझौते की पुष्टि करते हुए कहा कि भारत अपनी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने और सफ्रान के साथ मिलकर घरेलू स्तर पर इसके इंजन का उत्पादन करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।



भारत का स्वदेशी विमानवाहक पोत

यह पहल भारत द्वारा स्वदेशी रक्षा क्षमताओं के व्यापक प्रचार के बीच सामने आई है। मई में राजनाथ सिंह ने AMCA प्रोटोटाइप डिज़ाइन को मंज़ूरी दी थी। पिछले एक दशक में, भारत ने अपना पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत लॉन्च किया है। पनडुब्बी और युद्धपोतों के उत्पादन का विस्तार किया है। हाइपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण किया है और एक बड़ा हेलीकॉप्टर संयंत्र खोला है।

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रूस से दूरी बनाते हुए राफेल के लिए समझौता

ब्लूमबर्ग की 28 अप्रैल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने रूसी हार्डवेयर से दूरी बनाते हुए फ्रांस के साथ 26 राफेल समुद्री लड़ाकू विमानों के लिए 7.4 अरब डॉलर का सौदा किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2023 की पेरिस यात्रा के बाद हुए इस समझौते में 2016 में खरीदे गए 36 राफेल विमानों के रखरखाव का खर्च भी शामिल है। आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाने वाला यह नया बेड़ा, आईएनएस विक्रमादित्य पर पुराने रूसी मिग-29K विमानों की जगह लेगा।



घट रहा रूस से रक्षा आयात

कभी मास्को का सबसे बड़ा हथियार ग्राहक रहा भारत, रूसी आपूर्तिकर्ताओं पर अपनी निर्भरता लगातार कम कर रहा है। SIPRI के आंकड़ों से पता चलता है कि 2010-14 के दौरान भारत के आयात में रूसी प्रणालियों का हिस्सा 72% था, लेकिन 2020 और 2024 के बीच यह केवल 36% रह गया।



खास किस्म का होगा यह इंजन

डिफेंस डॉट इन की एक रिपोर्ट के अनुसार, नए इंजन के लिए जो पहल की जा रही है, वह भारत की तकनीकी क्षमताओं में एक बड़ी छलांग का संकेत देते हैं। इसके मूल में 2100 केल्विन (K) का नियोजित टर्बाइन प्रवेश तापमान (TET) है। इसका मतलब यह है कि अगर यह फाइटर इस तापमान को सह सकेगा तो यह दुनिया के सबसे उन्नत पावरप्लांट की विशिष्ट कैटेगरी में आ जाएगा।



चीन को पीछे छोड़ देगा AMCA इंजन

चीन के एयरोस्पेस इंडस्ट्री अभी भी भरोसेमंद नहीं रही है। इसका प्रमुख इंजन शेनयांग WS-15, जो J-20 लड़ाकू विमानों के लिए है, का अनुमानित TET लगभग 1800-1900K है। यह नए AMCA इंजन के लिए निर्धारित 2100K लक्ष्य से काफी कम है, जो सामग्री के स्थायित्व और तापीय दक्षता में निरंतर अंतर को दर्शाता है। माना जाता है कि कई चालू J-20 विमान अभी भी पुराने और कम शक्तिशाली WS-10C इंजन के साथ उड़ान भर रहे हैं, जिसका TET लगभग 1700-1800K है और इसे अधिक बार रखरखाव की आवश्यकता होती है।



भारत-रूस में सालाना कारोबार बढ़ाने पर जोर

इससे पहले, यह बताया गया था कि भारत और रूस अगले पांच वर्षों में सालाना कारोबार को लगभग 50% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं। इसे 100 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का मकसद है, क्योंकि दोनों देश अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच टैरिफ को कम करने और संबंधों को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं।



हथियारों-गोला-बारूद और पुर्जों का अमेरिका से आयात

संयुक्त राष्ट्र के COMTRADE डेटाबेस के अनुसार, 2024 में अमेरिका से हथियारों, गोला-बारूद और पुर्जों का आयात $2.69 मिलियन डॉलर था। यह आंकड़ा बहुत कम है और यह दर्शाता है कि भारत के अमेरिका से रक्षा आयात में विभिन्न प्रकार के अन्य सुरक्षा उपकरण भी शामिल हैं।



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