गाजियाबाद: कमिश्नरेट गाजियाबाद की यातायात पुलिस के अधिकारियों पर ट्रैफिक पुलिसकर्मियों से रिश्वत मांगने और भ्रष्टाचार के आरोप लगे है। आरोप है कि पुलिसकर्मियों की रपट लिखने के बाद उसका निस्तारण करने के नाम पर 5 हजार रुपये की मांग अधिकारी की ओर से की जा रही है। शिकायत करने वाले पुलिसकर्मी ने अपना नाम गोपनीय रखा।
पूरा मामले में एडिशनल सीपी ने कहा है कि यदि कोई भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी अपने बयान दर्ज कराना चाहता है या इस संबंध में जानकारी देना चाहता है तो वह कार्य दिक्स में अपने बयान दर्ज करा सकता है। उस पुलिसकर्मी का नाम व पता गोपनीय रखा जाएगा।
क्या है शिकायत और आरोप
पुलिसकर्मियों ने शिकायत में आरोप लगाया है कि गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल, टीएसआई और इंस्पेक्टर रैक के अधिकारी की पूर्व में रपट लिखी गई। यह एक तरह से गैर हाजिरी होती है, जो ड्यूटी से नदारद रहने या लेट पहुंचने पर लिखी जाती है। इसकी जांच एसीपी स्तर के अधिकारी करते हैं। इस रपट के आधार पर लाइन हाजिर या सस्पेंड तक की कार्रवाई हो सकती है। शिकायत में कहा गया है कि रपट लिखने के बाद उसका निस्तारण करने के नाम पर पांच हजार रुपये की मांग की जाती है। यह पैसा ऑफिस में लिया जाता है।
व्यवस्था बदली, फिर भी लगे आरोप
बता दे कि कुछ दिन पहले तक गाजियाबाद में डीसीपी यातायात का अतिरिक्त चार्ज डीसीपी ग्रामीण पर होता था। वही, गजेटेड अफसर में एक एडिशनल डीसीपी यातायात और एसीपी यातायात थे। पुलिस आयुक्त जे. रविन्दर गौड़ ने कार्यभार बांटने और पारदर्शिता के लिए जिले को तीन जोन में बांटकर तीन एसीपी नियुक्त किए। इसके साथ ही शासन से डीसीपी यातायात की अतिरिक्त नियुक्ति कराई। इनके अलावा एडिशनल सीपी यातायात भी है।
प्राथमिक जांच में नहीं मिले साक्ष्य
अडिशनल सीपी यातायात आलोक प्रियदर्शी का कहना है कि एडीजी जोन मेरठ और पुलिस आयुक्त गाजियाबाद की ओर से मिले पत्र के आधार पर जांब शुरू कर दी गई है। पुलिसकर्मियों से बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है। बयान दर्ज कराने वालों के नाम को गोपनीय रखा जाएगा। इसके आधार पर ही रिपोर्ट तैयार कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्राथिमक जांच में कोई साक्ष्य नहीं मिले है।
पूरा मामले में एडिशनल सीपी ने कहा है कि यदि कोई भी ट्रैफिक पुलिसकर्मी अपने बयान दर्ज कराना चाहता है या इस संबंध में जानकारी देना चाहता है तो वह कार्य दिक्स में अपने बयान दर्ज करा सकता है। उस पुलिसकर्मी का नाम व पता गोपनीय रखा जाएगा।
क्या है शिकायत और आरोप
पुलिसकर्मियों ने शिकायत में आरोप लगाया है कि गाजियाबाद ट्रैफिक पुलिस में कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल, टीएसआई और इंस्पेक्टर रैक के अधिकारी की पूर्व में रपट लिखी गई। यह एक तरह से गैर हाजिरी होती है, जो ड्यूटी से नदारद रहने या लेट पहुंचने पर लिखी जाती है। इसकी जांच एसीपी स्तर के अधिकारी करते हैं। इस रपट के आधार पर लाइन हाजिर या सस्पेंड तक की कार्रवाई हो सकती है। शिकायत में कहा गया है कि रपट लिखने के बाद उसका निस्तारण करने के नाम पर पांच हजार रुपये की मांग की जाती है। यह पैसा ऑफिस में लिया जाता है।
व्यवस्था बदली, फिर भी लगे आरोप
बता दे कि कुछ दिन पहले तक गाजियाबाद में डीसीपी यातायात का अतिरिक्त चार्ज डीसीपी ग्रामीण पर होता था। वही, गजेटेड अफसर में एक एडिशनल डीसीपी यातायात और एसीपी यातायात थे। पुलिस आयुक्त जे. रविन्दर गौड़ ने कार्यभार बांटने और पारदर्शिता के लिए जिले को तीन जोन में बांटकर तीन एसीपी नियुक्त किए। इसके साथ ही शासन से डीसीपी यातायात की अतिरिक्त नियुक्ति कराई। इनके अलावा एडिशनल सीपी यातायात भी है।
प्राथमिक जांच में नहीं मिले साक्ष्य
अडिशनल सीपी यातायात आलोक प्रियदर्शी का कहना है कि एडीजी जोन मेरठ और पुलिस आयुक्त गाजियाबाद की ओर से मिले पत्र के आधार पर जांब शुरू कर दी गई है। पुलिसकर्मियों से बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है। बयान दर्ज कराने वालों के नाम को गोपनीय रखा जाएगा। इसके आधार पर ही रिपोर्ट तैयार कर आगे की कार्रवाई की जाएगी। प्राथिमक जांच में कोई साक्ष्य नहीं मिले है।
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