पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान खत्म हो चुके हैं। 6 नवंबर कोपहले चरण में 121 सीटों और दूसरे चरण में 11 नवंबर को 122 सीटों पर वोटिंग हुई। चुनाव संपन्न होने के बाद दैनिक भास्कर के रिपोर्टर्स एग्जिट पोल में सत्ताधारी एनडीए को बहुमत मिलता नजर आ रहा है। दैनिक भास्कर एग्जिट पोल के मुताबिकएनडीए को 145 से 160 सीट मिल रही हैं जबकि महागठबंधन को 73 से 91 सीटें मिलती नजर आ रही हैं। अन्य को 5-10 सीटें मिल सकती हैं। बिहार विधान सभा में 243 सीटें हैं और बहुमत के लिए 122 सीटों की जरूरत होती है।
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर की जन सुराज के तीन उम्मीदवार अपनी सीटों पर टक्कर दे रहे हैं। इससे यह संभावना बन रही है कि पार्टी का बिहार चुनाव में खाता खुल जाए। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को सिर्फ एक सीट पर जीत मिलती दिख रही है। लेकिन राजद-कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो रहा है।
मुकेश सहनी का खाता खुलना मुश्किल!महागठबंधन के मुकेश सहनी का खाता खुलना भी मुश्किल नजर आ रहा है। दैनिक भास्कर के मुताबिक कई बड़ी सीटों पर उलटफेर की स्थिति नजर आ रही है। इनमें डिप्टी CM विजय सिन्हा की सीट लखीसराय, मैथिली ठाकुर की अलीनगर, तेजप्रताप यादव की महुआ, रामकृपाल यादव की दानापुर और सम्राट चौधरी की तारापुर सीट पर कड़ी टक्कर नजर आ रही है।
एनडीए को इस फायदा मिलता दिख रहा
पिछले यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली थी। लेकिन इस बार उसे 20 से 35 सीटों का फायदा मिलता दिख रहा है। दैनिक भास्कर के मुताबिक जदयू को 2020 में 43 सीटें मिली थीं। इस बार 59 से 68 हो सकती हैं। पार्टी को 16 से 25 सीटों का फायदा मिल सकता है। वहीं बीजेपी को 2020 में 74 सीटें जीती थीं। इस बार 72 से 82 हो सकती हैं। चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी-आर 28 सीटों पर लड़ी है। मगर उसे महज 4 से 5 सीटों पर जीत मिलती नजर आ रही है। जीतन राम मांझी की पार्टी HAM 6 सीटों पर चुनाव लड़ी और 4-5 सीटों पर आगे दिख रही है। उपेंद्र कुशवाहा की RLM का खाता खुलना मुश्किल लग रहा है।
महागठबंधन की स्थिति क्या है?
2020 में महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं। इस बार 19 से 37 सीटों का नुकसान हो सकता है। सीटें घटकर 73 से 91 तक रह सकती हैं। राजद सबसे ज्यादा नुकसान में दिख रही है। 2020 में 75 सीटें जीतीं थी। इस बार 12 से 24 सीटों का नुकसान हो सकता है। वहीं कांग्रेस 59 सीटों पर चुनाव लड़ी है, वह सिर्फ 12 से 15 सीटों पर आगे नजर आ रही है। 2020 में 19 सीटें जीती थीं। मुकेश सहनी की VIP 13 सीटों पर चुनाव लड़ी। पार्टी किसी भी सीट पर आगे नहीं दिख रही है। लेफ्ट पार्टियों में CPI-ML ने पिछली बार 12 सीटें जीती थीं, इस बार 6 से 9 सीटों पर आगे है। CPI 2 सीटों पर आगे है, जबकि CPM एक सीट पर आगे नजर आ रही है।
जन सुराज 3 सीटों पर दे रही कड़ी टक्कर
भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक प्रशांत किशोर की जन सुराज के तीन उम्मीदवार अपनी सीटों पर टक्कर दे रहे हैं। इससे यह संभावना बन रही है कि पार्टी का बिहार चुनाव में खाता खुल जाए। वहीं असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM को सिर्फ एक सीट पर जीत मिलती दिख रही है। लेकिन राजद-कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो रहा है।
मुकेश सहनी का खाता खुलना मुश्किल!महागठबंधन के मुकेश सहनी का खाता खुलना भी मुश्किल नजर आ रहा है। दैनिक भास्कर के मुताबिक कई बड़ी सीटों पर उलटफेर की स्थिति नजर आ रही है। इनमें डिप्टी CM विजय सिन्हा की सीट लखीसराय, मैथिली ठाकुर की अलीनगर, तेजप्रताप यादव की महुआ, रामकृपाल यादव की दानापुर और सम्राट चौधरी की तारापुर सीट पर कड़ी टक्कर नजर आ रही है।
एनडीए को इस फायदा मिलता दिख रहा
पिछले यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली थी। लेकिन इस बार उसे 20 से 35 सीटों का फायदा मिलता दिख रहा है। दैनिक भास्कर के मुताबिक जदयू को 2020 में 43 सीटें मिली थीं। इस बार 59 से 68 हो सकती हैं। पार्टी को 16 से 25 सीटों का फायदा मिल सकता है। वहीं बीजेपी को 2020 में 74 सीटें जीती थीं। इस बार 72 से 82 हो सकती हैं। चिराग पासवान की पार्टी एलजेपी-आर 28 सीटों पर लड़ी है। मगर उसे महज 4 से 5 सीटों पर जीत मिलती नजर आ रही है। जीतन राम मांझी की पार्टी HAM 6 सीटों पर चुनाव लड़ी और 4-5 सीटों पर आगे दिख रही है। उपेंद्र कुशवाहा की RLM का खाता खुलना मुश्किल लग रहा है।
महागठबंधन की स्थिति क्या है?
2020 में महागठबंधन को 110 सीटें मिली थीं। इस बार 19 से 37 सीटों का नुकसान हो सकता है। सीटें घटकर 73 से 91 तक रह सकती हैं। राजद सबसे ज्यादा नुकसान में दिख रही है। 2020 में 75 सीटें जीतीं थी। इस बार 12 से 24 सीटों का नुकसान हो सकता है। वहीं कांग्रेस 59 सीटों पर चुनाव लड़ी है, वह सिर्फ 12 से 15 सीटों पर आगे नजर आ रही है। 2020 में 19 सीटें जीती थीं। मुकेश सहनी की VIP 13 सीटों पर चुनाव लड़ी। पार्टी किसी भी सीट पर आगे नहीं दिख रही है। लेफ्ट पार्टियों में CPI-ML ने पिछली बार 12 सीटें जीती थीं, इस बार 6 से 9 सीटों पर आगे है। CPI 2 सीटों पर आगे है, जबकि CPM एक सीट पर आगे नजर आ रही है।
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