लरामपुरः छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले के शंकरगढ़ ब्लॉक अंतर्गत लोहाराटांड़ गांव में शासन-प्रशासन के विकास के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। ग्रामीण इलाकों में अब भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। ताजा मामला तब सामने आया जब एक गर्भवती महिला को समय पर उपचार दिलाने के लिए ग्रामीणों को ट्रैक्टर की मदद लेनी पड़ी।
दरअसल, गांव में सड़क की हालत इतनी बदतर है कि सामान्य दिनों में चलना मुश्किल होता है। ऐसे में बारिश के समय तो हालात और बुरे हो जाते है। बुनियादी सुविधाएं पहुंचना तो दूर एम्बुलेंस पहुंचना भी मुमकिन नहीं हो पाता है। उसमें भी कोई प्रेग्नेंट या बीमार हो जाए तो मुसीबत और बढ़ जाती है।
गुहार भी नहीं आई काम
ग्रामीणों का कहना है कि वे इस गंभीर समस्या को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। वहीं, जिस महिला को ट्रैक्टर से अस्पताल लाया गया, वह पहाड़ी कोरवा समुदाय से है। यह वह ट्राइब है जो विशेष पिछड़ी जनजाति में आती है। यह स्थिति सरकार की जन मन योजना के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है। जिससे इन समुदायों को वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा।
पक्की सड़क के अभाव में बढ़ी मुसीबतें
इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि गांव तक पक्की सड़क न होने के कारण एम्बुलेंस सेवा बाधित होती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों की ओर से 102 एम्बुलेंस सेवा को कॉल नहीं किया गया था। वर्तमान में गर्भवती महिला को बेहतर उपचार के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कब जागेगा और इस दुर्गम क्षेत्र में बसे लोगों को मूलभूत सुविधाएं कब तक उपलब्ध हो पाएंगी।
दरअसल, गांव में सड़क की हालत इतनी बदतर है कि सामान्य दिनों में चलना मुश्किल होता है। ऐसे में बारिश के समय तो हालात और बुरे हो जाते है। बुनियादी सुविधाएं पहुंचना तो दूर एम्बुलेंस पहुंचना भी मुमकिन नहीं हो पाता है। उसमें भी कोई प्रेग्नेंट या बीमार हो जाए तो मुसीबत और बढ़ जाती है।
गुहार भी नहीं आई काम
ग्रामीणों का कहना है कि वे इस गंभीर समस्या को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन अब तक कोई समाधान नहीं हुआ। वहीं, जिस महिला को ट्रैक्टर से अस्पताल लाया गया, वह पहाड़ी कोरवा समुदाय से है। यह वह ट्राइब है जो विशेष पिछड़ी जनजाति में आती है। यह स्थिति सरकार की जन मन योजना के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े करती है। जिससे इन समुदायों को वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा।
पक्की सड़क के अभाव में बढ़ी मुसीबतें
इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि गांव तक पक्की सड़क न होने के कारण एम्बुलेंस सेवा बाधित होती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीणों की ओर से 102 एम्बुलेंस सेवा को कॉल नहीं किया गया था। वर्तमान में गर्भवती महिला को बेहतर उपचार के लिए अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कब जागेगा और इस दुर्गम क्षेत्र में बसे लोगों को मूलभूत सुविधाएं कब तक उपलब्ध हो पाएंगी।
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