जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले में 28 लोगों की मौत के बाद अमेरिकी रक्षा विभाग में पेंटागन के पूर्व अधिकारी और अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट (एईआई) के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने पाकिस्तान को लेकर बेहद सख्त बयान दिया है। उन्होंने मांग की है कि अमेरिका पाकिस्तान को ‘आतंकवाद प्रायोजित करने वाला देश’ तथा पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को आतंकवादी घोषित करे।
आसिम मुनीर की तुलना ओसामा बिन लादेन से की गई
माइकल रुबिन ने कहा, ‘ओसामा बिन लादेन और असीम मुनीर के बीच एकमात्र अंतर यह है कि ओसामा एक गुफा में रहता था और असीम मुनीर एक महल में रहता था। दोनों के इरादे एक जैसे हैं और नतीजा भी एक जैसा ही होना चाहिए।’
इस मामले पर उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान को अब और निर्दोष नहीं बताया जा सकता।’ आप सुअर पर लिपस्टिक लगा सकते हैं, लेकिन वह फिर भी सुअर ही रहेगा। आप यह दिखावा कर सकते हैं कि पाकिस्तान आतंकवादियों का समर्थन करने वाला देश नहीं है, लेकिन वास्तविकता यह है कि वह आतंकवाद का प्रायोजक है।’
इसकी तुलना हमास हमलों से भी की गई।
रुबिन ने पहलगाम हमले की तुलना 7 अक्टूबर 2023 को इजरायल पर हमास के हमले से की। उन्होंने कहा, ‘जिस तरह हमास ने शांति की बात करते हुए यहूदियों को निशाना बनाया, उसी तरह पाकिस्तान ने मध्यम वर्ग के हिंदुओं पर हमला किया। दोनों हमले पर्यटकों और नागरिकों के विरुद्ध थे। अब भारत को भी इजराइल जैसा ही करना चाहिए। अब समय आ गया है कि भारत पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई पर अपना नियंत्रण समाप्त कर दे और आधिकारिक तौर पर उसे आतंकवादी संगठन घोषित कर दे, तथा भारत के सहयोगी भी ऐसा ही करें।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख के विवादास्पद बयान को हमले का कारण बताया गया
रुबिन ने दावा किया कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर के हालिया बयानों ने हमले को उकसाया। उन्होंने कहा, ‘मुनीर ने कहा था कि कश्मीर पाकिस्तान की ‘गले की नस’ है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि उन्होंने इस हमले को हरी झंडी दी थी। अब भारत को पाकिस्तान की ‘गले की नस’ काट देनी चाहिए।
रुबिन ने कहा कि प्रारंभिक खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है। ‘चाहे वह भूगोल हो, अतीत की घटनाएं हों या आतंकवादी नेटवर्क की विचारधारा हो, हर संकेत पाकिस्तान की ओर इशारा करता है। यह कोई संयोग नहीं है.
हमले का समय इसलिए चुना गया क्योंकि अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत की यात्रा पर थे।
रुबिन ने हमले के समय पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा से ध्यान हटाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास हो सकता है। उन्होंने याद दिलाया कि जब 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आए थे, तब भी आतंकवादी हमला हुआ था।
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