News India Live,Digital Desk:(Indian Currency Rules)आप जानते ही होंगे कि भारत में ₹1 के नोट को छोड़कर बाकी सभी नोट छापने का काम रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) करता है। लेकिन, एक साल में कितने नोट छापने हैं, इसका आखिरी फैसला भारत सरकार लेती है। हाँ, सरकार भी अकेले ये फैसला नहीं करती, उसे कुछ नियमों का पालन करना होता है। आइए, समझते हैं कि नोट छापने की ये पूरी प्रक्रिया (प्रोसेस) कैसे काम करती है।
जानिए क्या है नोट छापने की प्रक्रिया?
दरअसल, देश भर में नए नोट छापने की मंजूरी दो हिस्सों (स्टेज) में मिलती है।
पहले, RBI केंद्र सरकार को नोट छापने के लिए एक अर्ज़ी (आवेदन) भेजता है।
फिर, सरकार RBI के ही बड़े अर्थशास्त्रियों (इकॉनोमिस्ट) की एक टीम से इस बारे में सलाह-मशविरा करती है।
इसके बाद ही रिज़र्व बैंक को नोट छापने की हरी झंडी (मंजूरी) मिलती है।
कौन तय करता है कि साल में कितने नोट छपेंगे?
भले ही नोट छापने का काम RBI करता है, लेकिन एक साल में किस कीमत के कितने नोट छापे जाएंगे, यह सरकार ही तय करती है। लेकिन ऐसा करने के लिए सरकार को भी नियमों का पालन करना होता है। नए नोट कैसे दिखेंगे (डिज़ाइन) और उनमें क्या सुरक्षा खासियतें (सिक्योरिटी फीचर्स) होंगी, यह भी सरकार ही तय करती है।
वैसे, RBI को ₹10,000 तक के नोट छापने का अधिकार है। अगर इससे भी बड़े नोट छापने हों, तो इसके लिए रिज़र्व बैंक को सरकार से अलग से मंज़ूरी लेनी पड़ती है।
नोट छापते समय किन बातों का ध्यान रखा जाता है?
सरकार और RBI को नोट छापने का फैसला लेते समय कई बातों का ध्यान रखना होता है। इनमें देश की अर्थव्यवस्था कितनी बढ़ रही है (GDP ग्रोथ रेट), सरकार का खर्चा कितना है (राजकोषीय घाटा) जैसी चीजें शामिल हैं। इन्हीं के आधार पर नोटों की छपाई की संख्या तय होती है।
एक और ज़रूरी बात: साल 1956 में एक ‘मिनिमम रिज़र्व सिस्टम’ (न्यूनतम आरक्षित प्रणाली) शुरू किया गया था। इसके तहत, RBI को नोट छापने से पहले अपने पास हमेशा कम से कम ₹200 करोड़ का रिज़र्व रखना ही होता है। इस ₹200 करोड़ के रिज़र्व में ₹115 करोड़ का सोना और ₹85 करोड़ की विदेशी मुद्रा (जैसे डॉलर) होनी चाहिए। यह रिज़र्व इसलिए रखा जाता है ताकि किसी भी मुश्किल हालात में RBI पैसों की कमी के कारण दिवालिया (डिफॉल्ट) न घोषित हो जाए।
कहाँ होती है नोटों की छपाई?
अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये नोट छपते कहाँ हैं? तो आपको बता दें कि भारत में नोट छापने के लिए चार जगहें (प्रिंटिंग प्रेस) हैं:
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नासिक (महाराष्ट्र)
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देवास (मध्य प्रदेश)
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मैसूर (कर्नाटक)
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सालबनी (पश्चिम बंगाल)
नोट छपने के बाद ये बैंकों को बांट दिए जाते हैं। फिर बैंक इन्हें एटीएम या अपनी शाखाओं के ज़रिए हम आम लोगों तक पहुंचाते हैं। इसके बाद ये नोट कई सालों तक बाज़ार में चलते रहते हैं (सर्कुलेशन में रहते हैं)।
पुराने नोटों का क्या होता है? (नोट रि-इश्यू)
जब ये नोट बाज़ार में चलते-चलते पुराने और घिस जाते हैं, तो लोग इन्हें वापस बैंकों में जमा कर देते हैं। बैंकों के पास से ये नोट वापस RBI के पास पहुंचते हैं। RBI इन नोटों की हालत देखता है और फिर तय करता है कि इन्हें दोबारा इस्तेमाल के लिए बाज़ार में भेजना है (रि-इश्यू करना है) या ये इतने खराब हो चुके हैं कि इन्हें नष्ट कर देना चाहिए।
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