News India Live, Digital Desk: Prasad Lene Ke Niyam: सनातन धर्म में कई परंपराएं और नियम हैं जो सदियों से लगातार चली आ रही हैं। इन्हीं नियमों में से एक महत्वपूर्ण नियम है कि प्रसाद को हमेशा दाहिने हाथ से ग्रहण किया जाता है। जब भी हम मंदिर जाते हैं या धार्मिक आयोजन में शामिल होते हैं, हमें हमेशा दाहिने हाथ से प्रसाद लेने की सलाह दी जाती है। आज जानते हैं कि आखिर इस नियम के पीछे का धार्मिक और ज्योतिषीय कारण क्या है।
दाहिने हाथ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्वऔर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, दाहिना हाथ शुभ ऊर्जा और सूर्य का प्रतीक माना गया है। इसके विपरीत, बायां हाथ चंद्र और छिपी हुई ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। यही कारण है कि पूजा-पाठ, आरती, भोग लगाना और प्रसाद ग्रहण करना जैसे सभी शुभ और धार्मिक कार्य दाहिने हाथ से ही किए जाते हैं। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, ईश्वर की कृपा मिलती है और रुके हुए काम पूरे होने लगते हैं।
क्या बायां हाथ अशुभ होता है?ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, बायां हाथ अशुभ या अपवित्र नहीं होता, बल्कि इसका उपयोग कुछ विशेष अशुद्ध कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे स्नान करना या शौच आदि के बाद साफ-सफाई करना। यही वजह है कि धार्मिक और शुभ कार्यों में बाएं हाथ का इस्तेमाल नहीं किया जाता और इसे अशुभ माना जाता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रसाद ग्रहण करने का भी विशेष तरीका है। जब आपको प्रसाद दिया जाए, तो पहले हाथ धोकर या साफ करके दोनों हाथ जोड़कर ईश्वर का आभार व्यक्त करें। उसके बाद दाहिने हाथ से प्रसाद लेकर उसे श्रद्धापूर्वक माथे पर लगाएं। ऐसा करने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है।
You may also like
मसूद अज़हर के 10 रिश्तेदार एयर स्ट्राइक में मारे गए, जानिए क्या है भारत के 'मोस्ट वॉन्टेड' की पूरी कहानी
चावल में प्लास्टिक, आटे में चॉक खुद चेक करें कितना मिलावटी है आपका खाना‟ ˠ
आज रात तक करें आवेदन! RPSC ने जूनियर केमिस्ट के 13 और एईआई के 9 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की
क्या छिलके की तरह उतर रही है आपके हाथ और पैर की त्वचा? तो हो सकती है ये बड़ी वजह, जानिए इससे छुटकारा पाने के उपाय ˠ
ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल खड़ा कर पृथ्वीराज और उदित राज ने अपनी मानसिकता का परिचय दिया : अरुण साव