News India Live, Digital Desk: सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है, जिसने दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व की राजनीति में हलचल मचा दी है। ये समझौता ऐसे समय में हुआ है जब दुनिया में पहले से ही कई जगहों पर तनाव का माहौल है। इस समझौते की सबसे बड़ी बात ये है कि अब पाकिस्तान या सऊदी अरब में से किसी एक पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। इस पर भारत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि वो इस पूरी स्थिति पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है।इस्लामाबाद और रियाद के बीच हुए इस समझौते को 'स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट' का नाम दिया गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की मौजूदगी में इस पर हस्ताक्षर किए गए। दशकों से दोनों देशों के बीच अनौपचारिक रूप से सुरक्षा साझेदारी रही है, लेकिन अब इस समझौते ने उसे एक औपचारिक रूप दे दिया है।जानकारों का मानना है कि इस समझौते के पीछे कई कारण हो सकते हैं। हाल ही में कतर में इजरायली हमले के बाद खाड़ी के देशों में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ी है। ये देश पारंपरिक रूप से अपनी सुरक्षा के लिए अमेरिका पर निर्भर रहते आए हैं, लेकिन अब वे दूसरे विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं। पाकिस्तान, जो कि एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है, सऊदी अरब के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सहयोगी साबित हो सकता हैभारत का क्या कहना है?भारत ने इस मामले पर बहुत ही सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि सरकार को इस तरह के एक समझौते पर विचार किए जाने की जानकारी पहले से थी। उन्होंने कहा, "हम इस घटनाक्रम से भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करेंगे। भारत सरकार ने साफ किया है कि वो अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे।इस समझौते के क्या मायने हैं?बदलते समीकरण: यह समझौता इस बात का संकेत है कि सऊदी अरब अपनी सुरक्षा के लिए सिर्फ अमेरिका पर निर्भर नहीं रहना चाहता और अपने सहयोगियों का दायरा बढ़ा रहा है।पाकिस्तान के लिए अहम: आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए यह समझौता एक बड़ी कूटनीतिक जीत है। इससे उसे सऊदी अरब से वित्तीय और राजनीतिक समर्थन मिलने की उम्मीद हैभारत की चिंता: भले ही सऊदी अरब ने कहा है कि यह समझौता किसी खास देश के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसकी शर्तों को देखते हुए भारत की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है अगर भविष्य में भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है, तो सऊदी अरब की भूमिका अहम हो जाएगी।फिलहाल भारत इस पूरे घटनाक्रम पर सावधानी से नजर बनाए हुए है और अपनी रणनीति पर काम कर रहा है। आने वाला समय ही बताएगा कि पाकिस्तान और सऊदी अरब की यह दोस्ती क्षेत्रीय राजनीति पर क्या असर डालती है।
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