हरियाणा के करनाल में एक चौंकाने वाली घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है। एक डेढ़ महीने की बच्ची को महज 1.70 लाख रुपये में बेचने का मामला सामने आया है। रामनगर थाना पुलिस ने बच्ची की मां की शिकायत पर मामला दर्ज किया है, लेकिन जांच में माता-पिता पर भी संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने बच्ची को ज्वालाजी से बरामद कर बाल भवन में सुरक्षित रखा है। यह घटना समाज के सामने कई गंभीर सवाल खड़े करती है।
मासूम की बिक्री का खौफनाक सच
करनाल के रामनगर क्षेत्र में यह मामला तब सामने आया जब बच्ची की मां ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के अनुसार, बच्ची को ज्वालाजी के एक परिवार को 1.70 लाख रुपये में बेचा गया। सीडब्ल्यूसी को इस मामले की जानकारी मिली, जिसके बाद बच्ची को सुरक्षित बरामद किया गया। अब बच्ची को बाल भवन में रखा गया है और उसका मेडिकल परीक्षण किया जाएगा। यह घटना न केवल स्थानीय समुदाय को स्तब्ध कर देती है, बल्कि मानव तस्करी और गरीबी से जुड़े गंभीर मुद्दों को भी उजागर करती है।
माता-पिता पर भी संदेह की सुई
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि बच्ची के माता-पिता गरीब हैं और दोनों दिव्यांग हैं। हालांकि, पुलिस को बच्ची की मां पर भी रुपये लेकर बच्ची को बेचने का संदेह है। यह संदेह मामले को और जटिल बनाता है। क्या गरीबी ने माता-पिता को ऐसा कदम उठाने के लिए मजबूर किया, या इसके पीछे कोई बड़ा रैकेट है? पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है, लेकिन अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि यह सौदा एक निजी अस्पताल के जरिए हुआ था, जिसके तार अब पुलिस खंगाल रही है।
सीडब्ल्यूसी की त्वरित कार्रवाई
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने इस मामले में तुरंत सक्रियता दिखाई। बच्ची को ज्वालाजी से सुरक्षित बरामद करने के बाद उसे बाल भवन में स्थानांतरित किया गया, जहां उसकी देखभाल की जा रही है। सीडब्ल्यूसी ने बच्ची के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए मेडिकल जांच के निर्देश दिए हैं। कमेटी के इस कदम ने बच्ची के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में एक उम्मीद जगाई है, लेकिन यह सवाल अभी भी बरकरार है कि ऐसी घटनाएं क्यों और कैसे हो रही हैं।
समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी
यह घटना केवल एक बच्ची की कहानी नहीं, बल्कि समाज में व्याप्त गरीबी, अज्ञानता और मानव तस्करी जैसे गंभीर मुद्दों का दर्पण है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे। साथ ही, समाज को भी जागरूक होने की जरूरत है। अगर आपके आसपास कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो तुरंत पुलिस या चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 पर संपर्क करें। बच्चों की सुरक्षा हम सबकी साझा जिम्मेदारी है।
गरीबी से निपटने की जरूरत
इस मामले ने एक बार फिर गरीबी और सामाजिक असमानता के दुष्परिणामों को सामने ला दिया है। सरकार को ऐसी योजनाओं और कार्यक्रमों को बढ़ावा देना चाहिए, जो गरीब परिवारों को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाएं। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करके ही ऐसी त्रासदियों को रोका जा सकता है।