इंटरनेट डेस्क। रतन टाटा के करीबी सहयोगी और ताज होटल्स समूह के पूर्व निदेशक मोहिनी मोहन दत्ता ने दिवंगत उद्योगपति की वसीयत की शर्तों पर सहमति दे दी है। इसके अनुसार उन्हें 588 करोड़ रुपये की संपत्ति मिली है। एक रिपोर्ट के अनुसार, दत्ता, एकमात्र गैर-पारिवारिक व्यक्ति हैं जिन्हें इतनी बड़ी संपत्ति मिली है और वे रतन टाटा की बची हुई संपत्ति के एक तिहाई हिस्से के हकदार हैं। रतन टाटा की 3,900 करोड़ रुपये की संपत्ति के दो दर्जन लाभार्थियों में से 77 वर्षीय दत्ता एकमात्र व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी विरासत के मूल्य पर सवाल उठाया था। वसीयत की शर्तों पर दत्ता की सहमति के साथ, इसके निष्पादक अब बॉम्बे हाई कोर्ट से और अधिक तेजी से प्रोबेट प्राप्त कर सकेंगे।
शुरू में संपत्तियों के बटवारे पर जताई थी आपत्तिदत्ता ने शुरू में रतन टाटा की संपत्तियों के वितरण पर आपत्ति जताई थी, लेकिन 'नो-कॉन्टेस्ट' क्लॉज के कारण वे कानूनी रूप से अपने मुद्दे को आगे नहीं बढ़ा सके। क्लॉज के अनुसार, वसीयत को चुनौती देने वाला कोई भी उत्तराधिकारी अपना हक खो देता है। जैसा कि पहले बताया गया है, मोहिनी मोहन दत्ता और रतन टाटा के बीच घनिष्ठ संबंध थे, जिसके कारण उद्योग जगत के इस दिग्गज ने रतन टाटा को इतनी बड़ी संपत्ति दी। टाटा की शेष बची संपत्ति, रियल एस्टेट और शेयरहोल्डिंग को छोड़कर, उनकी दो सौतेली बहनों, 72 वर्षीय शिरीन जीजीभॉय और 70 वर्षीय डीनना जीजीभॉय के बीच समान रूप से वितरित की जाएगी।
कौन हैं मोहिनी मोहन दत्ता ?
मोहिनी मोहन दत्ता ने अपने करियर की शुरुआत ताज समूह के ट्रैवल डेस्क से की थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने 1986 में टाटा इंडस्ट्रीज से फंडिंग के साथ अपनी खुद की ट्रैवल फर्म - स्टैलियन ट्रैवल सर्विसेज की स्थापना की। उस अवधि के दौरान, रिपोर्ट के अनुसार, टाटा की कंपनियाँ यात्रा के उद्देश्यों के लिए स्टैलियन की सेवाओं का उपयोग करती थीं।