पेट्रोल में 20% इथेनॉल (E20) मिलाने की केंद्र सरकार की नीति को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में कई गंभीर सवाल उठाए गए हैं और कहा गया है कि यह नीति वाहन मालिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि वाहन मालिकों को इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल (E0) का विकल्प दिया जाए और E20 पेट्रोल पर स्पष्ट रूप से लेबल लगाया जाए, ताकि उन्हें पता रहे कि वे क्या खरीद रहे हैं। यह मामला न केवल उपभोक्ता अधिकारों से जुड़ा है, बल्कि पर्यावरण, ऑटोमोबाइल उद्योग और नीति कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाता है।
उपभोक्ताओं के अधिकार प्रभावित हो रहे हैंयाचिकाकर्ता अधिवक्ता अक्षय मल्होत्रा ने तर्क दिया है कि इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल का विकल्प दिए बिना केवल E20 पेट्रोल बेचना लाखों वाहन मालिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। देश में अप्रैल 2023 से पहले निर्मित कई वाहन E20 पेट्रोल के पूरी तरह अनुकूल नहीं हैं। याचिका में कहा गया है कि उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार है कि वे अपने वाहनों में किस प्रकार का ईंधन डाल रहे हैं। बिना सूचना के E20 पेट्रोल बेचना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत सूचित विकल्प के अधिकार का उल्लंघन है। यह नीति उन वाहन मालिकों के लिए समस्याएँ पैदा कर रही है जिनके वाहन पुराने हैं या E20 में अपग्रेड नहीं हुए हैं।
वाहन के पुर्जे खराब हो रहे हैंयाचिका में कहा गया है कि E20 पेट्रोल के इस्तेमाल से वाहनों की ईंधन दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। याचिका में कहा गया है कि इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल वाहनों का माइलेज कम कर रहा है, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक ईंधन खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके अलावा, इथेनॉल के रासायनिक गुणों के कारण वाहन के पुर्जों, जैसे ईंधन लाइनों, रबर और प्लास्टिक के पुर्जों के खराब होने और अन्य पुर्जों में जंग लगने की समस्या भी हो रही है। इससे वाहनों की मरम्मत की लागत बढ़ रही है और उनका जीवनकाल कम हो रहा है। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि बीमा कंपनियाँ E20 के इस्तेमाल से हुए नुकसान के दावों को खारिज कर रही हैं, जिससे वाहन मालिकों को दोहरा नुकसान हो रहा है।
वाहन निर्माताओं को पर्याप्त समय नहीं मिलायाचिका में सरकार के फैसले को 'मनमाना और अनुचित' बताते हुए कहा गया है कि वाहन निर्माताओं को E20-अनुरूप वाहन डिज़ाइन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। अप्रैल 2023 से पहले निर्मित कई वाहन, भले ही वे BS-VI मानकों के अनुरूप हों, 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं। इससे नीति निर्माताओं और उपभोक्ताओं, दोनों के लिए चुनौतियाँ पैदा हो रही हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार को पहले ही एक व्यवस्थित रोडमैप तैयार कर निर्माताओं को तकनीकी बदलाव करने का अवसर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ऐसे में वाहन निर्माताओं को पर्याप्त समय नहीं मिल पाया।
इथेनॉल मुक्त पेट्रोल की बिक्री शुरूयाचिकाकर्ता ने उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय से विभिन्न राहत की माँग की है। पहली माँग पेट्रोल पंपों पर इथेनॉल मुक्त पेट्रोल (E0) की बिक्री फिर से शुरू करने की है, ताकि वाहन मालिकों के पास अपने वाहनों के लिए सही ईंधन चुनने का विकल्प हो। दूसरी माँग E20 पेट्रोल पर स्पष्ट लेबलिंग अनिवार्य करने की है, ताकि उपभोक्ताओं को पता हो कि वे क्या खरीद रहे हैं। इसके अलावा, याचिका में E20 पेट्रोल के दीर्घकालिक प्रभावों, विशेष रूप से गैर-अनुपालन वाले वाहनों पर इसके प्रभाव और ईंधन दक्षता पर इसके प्रभाव पर एक अध्ययन की माँग की गई है।
विदेशों में भी होती है लेबलिंगयाचिका में विदेशी देशों का हवाला देते हुए कहा गया है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसे देशों में इथेनॉल-मुक्त पेट्रोल उपलब्ध है। पेट्रोल पंपों पर मिश्रित ईंधन की स्पष्ट लेबलिंग होती है ताकि उपभोक्ता सोच-समझकर निर्णय ले सकें। इसके विपरीत, भारत में उपभोक्ताओं को अक्सर पता ही नहीं होता कि उनके वाहनों में इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल डाला जा रहा है। याचिकाकर्ता ने इसे उपभोक्ता जागरूकता की कमी और सूचना के अधिकार का उल्लंघन बताया है।
सरकार ने यह फैसला क्यों लिया?केंद्र सरकार का कहना है कि E20 पेट्रोल नीति पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। इथेनॉल मिश्रण से कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होती है, जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होती है। साथ ही, यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है, क्योंकि इथेनॉल उत्पादन से किसानों को अतिरिक्त आय होती है। सरकार के अनुसार, ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (ARAI) और अन्य संस्थानों द्वारा किए गए परीक्षणों में E20 को पुराने वाहनों के लिए सुरक्षित पाया गया है। हालाँकि, याचिकाकर्ता का तर्क है कि पर्यावरणीय लाभों के साथ-साथ, उपभोक्ताओं की सुविधा और वाहनों की तकनीकी अनुकूलता पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
You may also like
मुख्यमंत्री की घोषणाएं युवाओं, उद्यमियों व आम जनता के हित में बड़ा कदम : डॉ. आशा खेदड़
क्रांतिकारी गुलाब सिंह लोधी ने अंग्रेज़ी हुकूमत की परवाह किए बिना फहराया था तिरंगा
सम्पूर्णानंद संस्कृत विवि. के पूर्व कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी की सड़क हादसे में पत्नी समेत माैत
Bigg Boss 19: जाने-पहचाने अंदाज में नजर आए सलमान खान, 24 अगस्त को आएगा बिग बॉस का 19वां सीजन
14 साल से क्राइम का सेम पैटर्न, गला काटकर… कैसे कपड़े धोने वाले का बेटा बन गया खूंखार कातिल, दहशत भरी है शंकर कन्नौजिया की ये कहानी