बिहार विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है और इस बार एनडीए का फोकस महिलाओं पर है। बिहार की राजनीति में महिलाओं का वोट हमेशा से निर्णायक रहा है। लंबे समय से यह ताकत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास मानी जाती रही है, लेकिन अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए इस वर्ग को साधने के लिए लगातार नए फैसले ले रहा है। इसी रणनीति के तहत मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना शुरू की जा रही है, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 26 सितंबर को वर्चुअली शुभारंभ करेंगे। पहली किस्त के तौर पर 75 लाख महिलाओं के खाते में सीधे 10-10 हज़ार रुपये ट्रांसफर किए जाएँगे। एनडीए इसे महिला सशक्तिकरण की ऐतिहासिक पहल बता रहा है, जबकि विपक्ष इसे चुनावी स्टंट बता रहा है।
एक करोड़ से ज़्यादा महिलाओं ने किया था आवेदनसरकार का दावा है कि अब तक 1 करोड़ 11 लाख महिलाओं ने आवेदन किया है, जिनमें सबसे ज़्यादा संख्या ग्रामीण इलाकों से है। सरकार ने इस आयोजन को गाँव-गाँव उत्सव की तरह मनाने की तैयारी की है। राज्य स्तर के अलावा, इसका सीधा प्रसारण सभी 38 ज़िलों, 534 प्रखंडों और 70 हज़ार से ज़्यादा ग्राम संगठनों में किया जाएगा। इतना ही नहीं, केंद्रीय स्तर पर बिहार में किए गए कार्यों की भी बिहार की महिलाओं के बीच जवाबदेही रखी जा रही है। राजनीतिक रूप से इस योजना का एक बड़ा संदेश है। नवरात्रि के अवसर पर इसकी शुरुआत करके आस्था और सशक्तिकरण, दोनों को एक साथ जोड़ा गया है। एनडीए इसे महिला वोट बैंक को मज़बूत करने का हथियार बना रहा है, जबकि विपक्ष इसे चुनावी स्टंट और मुफ़्तखोरी की राजनीति बता रहा है।
महिलाओं का वोट जीत के लिए अहम क्यों है
बिहार में महिलाओं का वोट हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता है।
एनडीए इसे महिला सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता की ऐतिहासिक पहल बताकर इसे चुनावी मुद्दा बनाना चाहता है।
यह योजना नवरात्रि के अवसर पर शुरू की जा रही है—जो "आस्था और सशक्तिकरण" दोनों का एक राजनीतिक संदेश है।
विपक्ष इसे "चुनावी स्टंट" और "मुफ़्तखोरी की राजनीति" कहने को तैयार है।
महिलाओं को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से कुल 5 हज़ार करोड़ रुपये दिए जाएँगे।
हर परिवार की एक महिला को इस योजना का लाभ मिलेगा।
महिलाएँ इस राशि का उपयोग खेती, पशुपालन, हस्तशिल्प, सिलाई-बुनाई और छोटे-मोटे व्यवसायों में कर सकती हैं।
उद्देश्य—आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना।
कार्यक्रम का आयोजनइस शुभारंभ समारोह को एक भव्य समारोह की तरह मनाया जाएगा:
राज्य स्तरीय कार्यक्रम का पटना से सीधा प्रसारण किया जाएगा।
सभी 38 जिलों में डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यक्रम।
534 प्रखंड मुख्यालयों पर बीडीओ की अध्यक्षता में आयोजन।
1680 संकुल स्तरीय संगठनों और 70 हज़ार ग्राम संगठनों में भी सीधा प्रसारण।
हर स्तर पर सैकड़ों से हज़ारों महिलाएँ, खासकर जीविका समूह की "दीदियाँ" शामिल होंगी।
भाजपा और जदयू दोनों ही इस कार्यक्रम को गाँव-गाँव तक पहुँचाना चाहते हैं और महिलाओं तक सीधे संदेश पहुँचाना चाहते हैं। एनडीए का उद्देश्य महिलाओं को सिर्फ़ लाभार्थी नहीं, बल्कि एक चुनावी ताकत के रूप में उनके पक्ष में खड़ा करना है। बड़ा सवाल यह है कि क्या 10,000 की पहली किस्त और आने वाले वित्तीय लाभ एनडीए को महिलाओं का निर्णायक समर्थन दिला पाएंगे? एक बात तो साफ़ है कि बिहार की राजनीति में महिलाएं अब सिर्फ़ भागीदार नहीं, बल्कि चुनावी जीत का सबसे अहम कारक बन गई हैं।
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