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इस झील में छिपा है अरबों रुपये का खजाना, निकालने वाले के साथ होता है कुछ ऐसा

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भारत एक रहस्यमयी भूमि है, जहां हर कोने में कोई न कोई कथा, कोई मान्यता और कोई चमत्कार छिपा होता है। आपने अब तक जमीन के नीचे छिपे खजानों के बारे में सुना होगा, महलों और किलों में छिपी दौलत की कहानियां पढ़ी होंगी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि किसी झील के अंदर भी अरबों रुपये का खजाना छिपा हो सकता है? और अगर है भी, तो कोई उसे निकाल क्यों नहीं पाया?

आज हम आपको एक ऐसी रहस्यमयी झील के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां हर साल लाखों की संख्या में लोग आते हैं और इस झील में सोना-चांदी, रुपये-पैसे चढ़ाकर अपनी मन्नतें मांगते हैं। यह झील हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से लगभग 60 किलोमीटर दूर घने जंगलों में स्थित है। इसका नाम है कमरूनाग झील, जो कमरुनाग देवता के नाम पर प्रसिद्ध है।

सदियों पुरानी परंपरा

कमरूनाग झील को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त यहां दर्शन करने आता है, वह अपनी मन्नत पूरी होने पर झील में आभूषण और नकदी चढ़ाता है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। स्थानीय लोगों का मानना है कि झील के तल में सोना, चांदी और नकदी की भरमार है, जिसकी कीमत अरबों रुपये में हो सकती है।

यह परंपरा केवल एक धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि एक अद्भुत श्रद्धा का प्रतीक है। यहां हर साल हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, कुछ अपनी इच्छा पूरी होने पर तो कुछ भविष्य की मन्नतों के साथ। और हर कोई झील में कुछ न कुछ अर्पित करके जाता है।

खजाने की रखवाली करता है नाग

कमरुनाग झील में छिपे खजाने को लेकर एक और रहस्यमयी मान्यता है। कहा जाता है कि यह खजाना किसी साधारण मनुष्य का नहीं, बल्कि देवताओं का है। और इस खजाने की सुरक्षा स्वयं एक नाग देवता करते हैं। लोक कथाओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस खजाने को निकालने की कोशिश करता है, वह नाग के कोप का शिकार बनता है और पलभर में काल का ग्रास बन जाता है।

कुछ स्थानीय लोग बताते हैं कि अतीत में कुछ लोगों ने झील की गहराई में उतरने या खजाने को निकालने की कोशिश की थी, लेकिन वे कभी लौटकर नहीं आए। ऐसे अनुभवों ने इस मान्यता को और भी मजबूत बना दिया है कि यह खजाना किसी सामान्य इंसान के लिए नहीं है।

झील से जुड़ा है पाताल का रास्ता?

कमरुनाग झील से जुड़ी एक और रहस्यपूर्ण कथा यह भी है कि यह झील पाताल लोक तक जाती है। यानी इसकी गहराई का कोई अंत नहीं है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से झील की गहराई की अब तक कोई पुष्टि नहीं हो सकी है क्योंकि इसकी गहराई को नापा ही नहीं गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि झील के आसपास कोई आधुनिक साधन जैसे डाइविंग या ड्रोन का प्रयोग नहीं किया जाता, क्योंकि इससे देवता की कृपा नाराज़ हो सकती है। इसी वजह से आज तक किसी ने झील की सतह से नीचे जाकर जांच करने की कोशिश नहीं की।

देवता के दर्शन और आस्था का केंद्र

कमरुनाग झील के पास ही एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है, जो कमरुनाग देवता को समर्पित है। यह मंदिर और झील दोनों ही श्रद्धालुओं के लिए आस्था का गढ़ हैं। कमरुनाग देवता को युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि महाभारत के युद्ध के दौरान स्वयं कमरुनाग ने भगवान कृष्ण से युद्ध में भाग लेने की अनुमति मांगी थी। उनकी ईमानदारी और तपस्या से प्रभावित होकर भगवान कृष्ण ने उन्हें हिमालय में निवास करने का आशीर्वाद दिया।

इसके बाद से ही कमरुनाग झील उनके तपोस्थल के रूप में जानी जाती है। स्थानीय लोग और दूर-दराज से आने वाले भक्त इस स्थान को बेहद पवित्र मानते हैं।

पर्यटन के लिए भी एक रहस्यमयी जगह

आज के समय में जहां हर जगह पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोशिशें की जा रही हैं, वहीं कमरुनाग झील को लेकर प्रशासन और स्थानीय समुदाय बेहद संवेदनशील हैं। यहां आधुनिक हस्तक्षेप को बहुत सीमित रखा गया है, ताकि झील की पवित्रता और आस्था बनी रहे।

कमरुनाग झील तक पहुंचने का रास्ता थोड़ा कठिन जरूर है, लेकिन जो भी वहां जाता है, वो एक अलग ही शांति और ऊर्जा का अनुभव करता है। यहां का वातावरण, देवता की उपस्थिति की अनुभूति और झील की रहस्यमयी गहराई—सब कुछ मिलकर एक अलौकिक अनुभव देते हैं।

निष्कर्ष

कमरुनाग झील केवल एक प्राकृतिक जलस्रोत नहीं, बल्कि यह आस्था, रहस्य और श्रद्धा का अद्भुत संगम है। यहां छिपा खजाना भले ही भौतिक रूप से अरबों का हो, लेकिन इस झील के साथ जुड़ी मान्यताएं, श्रद्धा और भक्ति उसकी तुलना में कहीं अधिक मूल्यवान हैं।

यहां का खजाना किसी इंसानी लालच के लिए नहीं, बल्कि एक गूढ़ चेतावनी है कि आस्था के स्थान पर भौतिकता की दृष्टि डालना शायद सही नहीं। इसलिए आज तक कोई भी इस खजाने को निकालने का साहस नहीं कर पाया, और न ही शायद करेगा।

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