नेपाल सहित देशभर से आए किसानों का जमावड़ा
बांदा, 31 अक्टूबर (Udaipur Kiran) .
खेती के दार्शनिक और व्यावहारिक पहलुओं पर मंथन के लिए यूपी के बांदा में जुटे देश भर के किसानों ने सहअस्तित्व पर आधारित आवर्तनशील खेती के सफल मॉडल को अपनाने की पहल की है.
बांदा में प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह की बगिया में चल रहे 27वें जीवन विद्या सम्मेलन के दूसरे दिन शुक्रवार को खेती के दार्शनिक स्वरूप को ज़मीनी हकीकत के रूप लागू किए गए तमाम सफल प्रयोगों को अपनी जरूरतों के अनुरूप लागू करने को समय की मांग बताया. चार दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में नेपाल के अलावा कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक, सभी राज्यों के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं.
इस दौरान किसान चौपाल का आयोजन किया गया. इसमें मध्यस्थ दर्शन के सिद्धांतों को खेती में अपना कर आवर्तनशील खेती को अपनाने वाले किसानों ने अपने अनुभव साझा किए. इस कड़ी में रायबरेली के प्रगतिशील किसान शेखर त्रिपाठी ने आवर्तनशील खेती से विनिमय को व्यवस्थित करके अपने परिवार और समाज को पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने में मिल रही कामयाबी का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि आवर्तनशील खेती न केवल किसानों के लिए समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि इससे देश की समूची अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की जा सकती है.
एक अन्य सेशन में युवा किसान आदित्य एवं महिला किसान निधि ने बीज एवं जल संचयन की आवर्तनशीलता से संबंधित विचार और अनुभव साझा किए. उन्होंने सेहत के लिए मुफ़ीद माने गए देसी बीजों को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया. इस दौरान नेपाल से आए किसान तोयनाथ ने जीवन विद्या से खेती की आसान और सस्ती विधियों को अपनाने के अपने फैसले को समझदारी पूर्ण बताया. उन्होंने कहा कि आवर्तनशील खेती को नेपाल के किसान भी अब तेजी से अपना रहे है. इस विधि से ही किसान और किसानी को सही मायने में आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है.
इस दौरान साहित्य एवं कला के सामाजिक जीवन में महत्व पर भी चर्चा की गई. इस सेशन में युवा आईटी प्रोफेशनल रुद्र सिंह एवं उनकी पत्नी सुयश ने अपनी जीवन यात्रा को बड़े ही मार्मिक तरीके से प्रस्तुत किया. जिसमें उन्होंने बताया कि शहर की तनाव भारी जिंदगी से तौबा कर गांव की शांत जीवन शैली को अपनाया.
किसानों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अनूठी पहल पर बांदा के बदोखर खुर्द गाँव में प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह की बगिया में आयोजित जीवन विद्या सम्मेलन आगामी दो नवंबर तक चलेगा. सम्मेलन के दूसरे दिन
मध्यस्थ दर्शन वांग्मय अनुवाद, सामाजिक संस्थाओं का योगदान और शिविर प्रबोधन पर भी चौपाल का आयोजन किया गया.इस दौरान दृष्टा गोपाला ने परिवार में आवर्तनशीलता के माध्यम से समाज में कैसे फैलाव हो इसकी प्रस्तुति युवाओं की ओर से किया.
(Udaipur Kiran) / अनिल सिंह
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