जयपुर, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . Rajasthan हाईकोर्ट ने एक सितंबर, 2014 के बाद रिटायर हुए कर्मचारी भविष्य निधि के सदस्यों को ईपीएस पेंशन योजना से वंचित करने पर आरएसआरटीसी के एमडी, भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त व पेंशन विभाग के निदेशक से जवाब देने के लिए कहा है. जस्टिस अशोक कुमार जैन ने यह आदेश रामेश्वर प्रसाद व अन्य की याचिका पर दिए.
मामले से जुड़े अधिवक्ता सुनील कुमार सिंगोदिया ने अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 नवंबर 2022 को एसएलपी को तय कर ट्रस्टों के कर्मचारियों, राज्य कर्मचारियों तथा निगम के कर्मचारियों को वास्तविक उच्च वेतन पर पेंशन के लिए संयुक्त विकल्प पत्र पेश करने की सीमा बढ़ाए जाने का निर्देश दिया था. इसके अलावा सुनील कुमार की याचिका में निर्देश दिए जा चुके हैं कि कर्मचारी प्रोविडेंट फण्ड अधिनियम 1995 में संशोधन के लिए जारी परिपत्र, जिसमें पेंशन फंड का प्रावधान करना वैध है. वहीं 22 अगस्त 2024 की अधिसूचना ऐसे कर्मचारियों पर भी लागू होती है जो एक सितंबर 2014 के बाद रिटायर हुए हैं, लेकिन उन्हें पेंशन का विकल्प नहीं दिया. ये कर्मचारी 1995 की स्कीम के पैरा 11 के तहत संयुक्त तौर पर भी विकल्प पत्र पेश करने के लिए स्वतंत्र हैं. प्रार्थियों की ओर से संयुक्त विकल्प पत्र दिया गया, लेकिन आरएसआरटीसी की ओर से प्रार्थियों को सभी दस्तावेज नहीं देने के कारण भविष्य निधि संगठन ने उनका विकल्प पत्र अस्वीकार कर दिया. इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों की अवहेलना है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.
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(Udaipur Kiran)
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