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कमलनाथ ने लोकसभा में पेश हुए तीनों संशोधन विधेयकों को बताया अलोकतांत्रिक

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भाेपाल, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को 130वां संविधान संशोधन विधेयक समेत तीन अहम बिल पेश किए। इस दौरान संसद में जमकर हंगामा हुआ। विपक्ष इन विधेयकाें का विराेध कर रहा है। मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भी इस बिल की निंदा करते हुए इसे अलाेकतांत्रिक और जनता के मत को कमजोर करने वाला बताया है।

कमलनाथ ने गुरुवार काे साेशल मीडिया एक्स पर ट्वीट कर कहा भारत की संसद में हाल ही में पेश किए गए तीन विधेयक, संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025—लोकतंत्र के लिए एक गंभीर खतरा हैं। इन विधेयकों में प्रावधान है कि यदि कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या मंत्री 30 दिन तक हिरासत में रहता है, तो उसे 31वें दिन स्वतः पद से हटा दिया जाएगा। मैं, इस बिल की कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ। यह न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि जनता के मत को कमजोर करने वाला भी है।

कमलनाथ ने आगे कहा भारतीय संविधान का मूल सिद्धांत कहता है कि कोई भी व्यक्ति तब तक निर्दोष है, जब तक उसका अपराध अदालत में सिद्ध न हो। यह बिल इस सिद्धांत को कुचलता है। बिना दोष सिद्धि के केवल 30 दिन की हिरासत के आधार पर किसी जनप्रतिनिधि को पद से हटाना न सिर्फ अन्याय है, बल्कि यह जनता के जनादेश का अपमान भी है। जनता द्वारा चुने गए नेताओं को इस तरह हटाना लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार है। यह बिल केंद्र सरकार को एक ऐसा हथियार देता है, जिसका उपयोग विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है।

बिल विपक्षी दलों को कमजोर करने और लोकतंत्र को दबाने का सुनियोजित प्रयास

पर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस बिल के जरिए केंद्र सरकार विपक्षी मुख्यमंत्रियों या मंत्रियों को आसानी से गिरफ्तार कर 30 दिन तक हिरासत में रख सकती है, जिससे उनकी सरकारें अस्थिर हो जाएंगी। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जैसे उदाहरण इस खतरे को स्पष्ट करते हैं। यह बिल विपक्षी दलों को कमजोर करने और लोकतंत्र को दबाने का एक सुनियोजित प्रयास प्रतीत होता है। कमलनाथ ने कहा कि मैं विपक्ष के उन सांसदों के साथ हूं, जिन्होंने संसद में इस बिल का तीव्र विरोध किया है। यह बिल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का दावा करता है, लेकिन इसके पीछे की मंशा संदिग्ध है। यह भारतीय लोकतंत्र पर एक और हमला है।

कमलनाथ ने कहा कि मैं केंद्र सरकार से अपील करता हूँ कि वह इस बिल को तत्काल वापस ले और विपक्ष की चिंताओं को गंभीरता से सुने। लोकतंत्र में जवाबदेही जनता के प्रति होनी चाहिए, न कि सत्तारूढ़ दल की मंशा के प्रति। हम सबको मिलकर भारतीय लोकतंत्र की गरिमा और जनता के विश्वास को बनाए रखना होगा।

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(Udaipur Kiran) / नेहा पांडे

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